यूएस मीडिया ब्लूमबर्ग की खबर है कि अडानी समूह अपने खिलाफ अमेरिका में रिश्वतखोरी के आरोपों को खारिज कराने के लिए ट्रम्प प्रशासन से बात की है। दूसरी अपुष्ट खबर है कि हिंडनबर्ग रिसर्च के साथ भी बात भी हो रही है।
गौतम अडानी
भारतीय अरबपति गौतम अडानी के नेतृत्व वाला अडानी समूह अमेरिका में अपने खिलाफ चल रहे रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के मामलों को खत्म कराने के लिए जुट गया है। ब्लूमबर्ग न्यूज़ की एक रिपोर्ट के अनुसार, अडानी समूह के प्रतिनिधियों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के अधिकारियों के साथ मुलाकात की है ताकि गौतम अडानी और उनके सहयोगियों पर लगे आपराधिक आरोपों को रद्द करवाया जा सके। इसके साथ ही, समूह 2023 के हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से पैदा विवादों को सुलझाने के लिए भी समझौते की दिशा में काम कर रहा है। हालांकि हिंडनबर्ग रिसर्च की खबर को किसी मीडिया आउटलेट ने पुष्ट नहीं किया है। सोशल मीडिया पर इस संबंध में लोगों ने ट्वीट किया है।
पिछले साल नवंबर में, अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) और प्रतिभूति और विनिमय आयोग (SEC) ने गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी, और अडानी ग्रीन एनर्जी के अन्य अधिकारियों के खिलाफ आरोप दायर किए थे। आरोप है कि समूह ने 2020 से 2024 के बीच भारतीय सरकारी अधिकारियों को 265 मिलियन डॉलर (लगभग 2,100 करोड़ रुपये) की रिश्वत दी ताकि सौर ऊर्जा आपूर्ति अनुबंध हासिल किए जा सकें, जिनसे 20 साल में 2 बिलियन डॉलर का मुनाफा होने की उम्मीद थी। इसके अलावा, अडानी समूह पर अमेरिकी निवेशकों और वैश्विक वित्तीय संस्थानों से 3 बिलियन डॉलर से अधिक की फंडिंग के लिए गलत जानकारी देने का भी आरोप है। जब ये आरोप सार्वजनिक हुए तो अडानी समूह की नौ सूचीबद्ध कंपनियों के बाजार मूल्य में लगभग 13 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अडानी समूह के प्रतिनिधियों ने इस साल की शुरुआत में ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों के साथ बातचीत शुरू की थी, जो हाल के हफ्तों में और तेज हो गई हैं। सूत्रों का कहना है कि यदि यह गति बनी रही तो अगले एक महीने में मामले का समाधान हो सकता है। अडानी के प्रतिनिधि यह दलील दे रहे हैं कि यह अभियोजन ट्रंप प्रशासन की प्राथमिकताओं के अनुरूप नहीं है। ट्रंप ने फरवरी 2025 में विदेशी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (FCPA) के तहत मुकदमे को रोकने का एक कार्यकारी आदेश जारी किया था, जिसके तहत अडानी के मामले को भी राहत मिल सकती है। यह आदेश अमेरिकी कंपनियों को विदेशों में प्रतिस्पर्धा करने में मदद करने के लिए लाया गया था।
अडानी समूह 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद भी विवादों में घिरा था। जिसमें समूह पर शेयर बाजार में हेराफेरी, एकाउंट्स धोखाधड़ी, और ऑफशोर टैक्स हेवन के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया था। इस रिपोर्ट के बाद समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई और लगभग 150 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। अडानी समूह ने इन आरोपों को "निराधार" बताकर खारिज किया था और कानूनी कार्रवाई की धमकी दी थी, लेकिन आजतक कोई मुकदमा दायर नहीं किया गया।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कुछ पोस्ट्स में दावा किया गया है कि अडानी समूह हिंडनबर्ग के साथ समझौते की कोशिश कर रहा है ताकि इस विवाद को सुलझाया जा सके। हालांकि, इन दावों की स्वतंत्र पुष्टि नहीं हुई है। लोग गप्पबाजी ज्यादा कर रहे हैं। किसी के पास कोई ठोस सूचना नहीं है। एक यूजर ने लिखा, "अडानी अब हिंडनबर्ग के साथ सेटलमेंट की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन क्या यह उनकी छवि को बचा पाएगा?"
अडानी समूह ने इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि वे "पारदर्शिता और रेगुलेटर अनुपालन" के उच्चतम मानकों का पालन करते हैं। समूह ने अमेरिका में शीर्ष कानूनी फर्मों, जैसे किरकलैंड एंड एलिस और क्विन इमानुएल उर्कहार्ट एंड सुलिवन LLP, को नियुक्त किया है। इसके अलावा, समूह ने अमेरिका में अपनी लॉबिंग गतिविधियों को बढ़ाया है, और 2023 के बाद से 130,000 डॉलर से अधिक लॉबिंग पर खर्च किए हैं।
ट्रंप प्रशासन के साथ बातचीत की खबरों के बाद, 5 मई 2025 को अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों में 6% तक की तेजी देखी गई। अडानी पोर्ट्स, अडानी एंटरप्राइजेज, और अडानी ग्रीन एनर्जी के शेयरों में उछाल दर्ज किया गया, जिससे समूह का बाजार पूंजीकरण 18,000 करोड़ रुपये बढ़ गया। निवेशकों में यह उम्मीद जगी है कि यदि मामला खारिज होता है, तो अडानी समूह अपनी 10 बिलियन डॉलर की अमेरिकी निवेश योजना को फिर से शुरू कर सकता है, जिसमें परमाणु ऊर्जा, उपयोगिताएँ, और पूर्वी तट पर एक बंदरगाह शामिल हैं।
भारत में, विपक्षी दल इस मामले को लेकर केंद्र सरकार पर लगातार निशाना साध रहे हैं। कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने X पर लिखा, "अडानी के लोग ट्रंप प्रशासन से मिलकर फ्रॉड के मामले को खारिज करवाने की कोशिश कर रहे हैं।" यह मामला संसद से सड़क तक उठाया गया। हालांकि, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह अडानी समूह का निजी मामला है।
यदि अडानी समूह ट्रंप प्रशासन के साथ समझौता करने या हिंडनबर्ग विवाद को सुलझाने में सफल होता है, तो यह उनकी वैश्विक छवि और कारोबारी योजनाओं के लिए बड़ी राहत होगी। यह मामला भारत-अमेरिका व्यापारिक संबंधों और कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर लंबे समय तक प्रभाव डाल सकता है। फिलहाल, अडानी समूह को SEC के आरोपों का जवाब 21 दिनों के भीतर देना होगा, और मामला ट्रंप प्रशासन के नए नेतृत्व के तहत आगे बढ़ेगा।