ट्रंप के टैरिफ दबाव के बीच क्या भारत रूस से तेल ख़रीदना अब और बढ़ा देगा क्योंकि रूस ने भारत को कच्चे तेल पर 5% छूट की पेशकश की है? यह कदम भारत-रूस संबंधों और वैश्विक ऊर्जा बाज़ार पर क्या असर डालेगा? पढ़ें पूरी रिपोर्ट।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारी टैरिफ़ के बीच रूस ने भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति पर 5 प्रतिशत की छूट देने की घोषणा की है। रूस की यह घोषणा ट्रंप द्वारा भारत पर रूसी तेल खरीदने के लिए 50 प्रतिशत टैरिफ़ लगाने के फ़ैसले के जवाब में आई है। यह क़दम भारत-रूस के बीच मज़बूत व्यापारिक संबंधों को दिखाता है। यह यूक्रेन-रूस युद्ध और अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण आए तनावों के बावजूद बरकरार है। रूस ने यह भी कहा कि अगर भारत को अमेरिकी बाजार में निर्यात में दिक्कत होती है, तो रूसी बाजार भारतीय निर्यात के लिए खुला है।
ट्रंप ने 6 अगस्त 2025 को एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ़ लगाने की घोषणा की थी। इसके साथ भारत पर कुल टैरिफ 50 प्रतिशत हो गया। यह टैरिफ भारत द्वारा रूस से कच्चा तेल खरीदने के लिए लगाया गया है, जिसे अमेरिका ने यूक्रेन युद्ध को फंड करने जैसा बताया है। ट्रंप ने कहा कि भारत रूसी तेल खरीदकर और उसे वैश्विक बाजार में बेचकर मुनाफा कमा रहा है, जिससे रूस की युद्ध मशीन को मदद मिल रही है।
भारत ने इस टैरिफ़ को ग़लत और अव्यावहारिक करार दिया है। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि भारत का रूसी तेल आयात राष्ट्रीय हितों और 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए बाजार आधारित निर्णय है। मंत्रालय ने यह भी बताया कि यूक्रेन संकट शुरू होने के बाद पारंपरिक तेल आपूर्ति यूरोप की ओर मोड़ दी गई थी, जिसके कारण भारत ने रूस से तेल खरीदना शुरू किया।
रूस की छूट की पेशकश क्यों?
भारत में रूस के डिप्टी ट्रेड प्रतिनिधि एवगेनी ग्रिवा ने 20 अगस्त को नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की कि रूस भारत को कच्चे तेल पर लगभग 5 प्रतिशत की छूट देगा। उन्होंने इसे वाणिज्यिक रहस्य करार देते हुए कहा कि यह छूट व्यापारिक बातचीत पर निर्भर करती है और इसमें उतार-चढ़ाव हो सकता है, लेकिन औसतन यह 5 प्रतिशत के आसपास रहती है। ग्रिवा के साथ रूस के डिप्टी चीफ ऑफ मिशन रोमन बाबुश्किन भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि अमेरिकी टैरिफ भारत-रूस तेल व्यापार को बाधित नहीं कर पाएंगे।
बाबुश्किन ने कहा, 'रूस के पास भारत को कच्चे तेल की आपूर्ति जारी रखने के लिए विशेष तंत्र हैं। हम भारत के साथ बैठकर इन समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।'
रूसी अधिकारी ने कहा है कि अगर भारत को अमेरिकी बाजार में अपने निर्यात में बाधा का सामना करना पड़ता है, तो रूस भारतीय निर्यात के लिए अपने बाजार को खोलने के लिए तैयार है।
ग्रिवा ने बताया कि भारत अपनी तेल ज़रूरतों का लगभग 40 प्रतिशत रूस से आयात करता है, जो भारत की रिफाइनरियों के लिए 250 मिलियन टन तेल की वार्षिक जरूरत का लगभग आधा हिस्सा है। उन्होंने कहा कि यह छूट भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने और वैश्विक तेल कीमतों को स्थिर रखने में मदद करेगी।
भारत-अमेरिका तनाव
ट्रंप प्रशासन ने भारत पर रूसी तेल खरीदने के लिए दबाव डालते हुए कहा कि यह रूस के यूक्रेन युद्ध को वित्तपोषित कर रहा है। व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने भारत पर मुनाफा कमाने और रूस पर सैंक्शन को कमजोर करने का आरोप लगाया, जबकि ट्रंप ने कहा कि भारत रणनीतिक साझेदार की तरह व्यवहार नहीं कर रहा।
भारत ने जवाब में पश्चिमी देशों के दोहरे मानदंडों की आलोचना की। विदेश मंत्रालय ने बताया कि 2024 में यूरोपीय संघ ने रूस से 67.5 अरब यूरो की तरलीकृत प्राकृतिक गैस यानी LNG का आयात किया और अमेरिका ने भी रूस से यूरेनियम, उर्वरक और रसायनों का आयात जारी रखा। मंत्रालय ने कहा कि भारत का तेल आयात वैश्विक बाजार की स्थिति और राष्ट्रीय हितों के कारण जरूरी है, जबकि पश्चिमी देशों का रूस के साथ व्यापार राष्ट्रीय अनिवार्यता नहीं है।
भारत-रूस तेल व्यापार
रूस वर्तमान में भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है, जो भारत की कुल तेल आपूर्ति का लगभग 35-40 प्रतिशत देता है। जनवरी से जून 2025 तक भारत ने प्रतिदिन लगभग 1.75 मिलियन बैरल रूसी तेल आयात किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 1 प्रतिशत अधिक है। रूस से सस्ते तेल ने भारत को पिछले दो वित्तीय वर्षों में लगभग 13 अरब डॉलर की बचत कराई है।
हालाँकि, ट्रंप के टैरिफ की धमकी के बाद कुछ भारतीय रिफाइनरियों ने रूसी तेल की खरीद को अस्थायी रूप से कम किया था, लेकिन भारतीय अधिकारियों ने साफ़ किया कि सरकार ने तेल कंपनियों को रूस से खरीद रोकने का कोई निर्देश नहीं दिया है। भारतीय तेल निगम ने हाल ही में अमेरिका, कनाडा और मध्य पूर्व से 7 मिलियन बैरल तेल खरीदा, लेकिन रूस के साथ भी खरीद जारी रखी।
हालांकि, रूस की छूट और भारतीय निर्यात के लिए रूसी बाजार खोलने की पेशकश से भारत को कुछ राहत मिल सकती है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह छूट भारत की ऊर्जा लागत को कम करेगी और महंगाई के दबाव को कम करेगी। यह कदम न केवल ट्रंप के टैरिफ दबाव का जवाब है, बल्कि भारत-रूस के बीच गहरे भरोसे और सहयोग को भी दिखाता है। हालांकि, यह स्थिति भारत-अमेरिका संबंधों को और जटिल कर सकती है, खासकर तब जब भारत BRICS जैसे मंचों के माध्यम से रूस और चीन के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत कर रहा है।