संसद के शीतकालीन सत्र में मंगलवार को राज्यसभा में 'वंदे मातरम' पर विशेष चर्चा शुरू हुई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चर्चा की शुरुआत की और इसे अमर सृजन बताते हुए राष्ट्रभक्ति की भावना से जोड़ा। शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान को दोहराते हुए कांग्रेस पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में लगाए गए आपातकाल का जिक्र किया और कहा कि 'वंदे मातरम गाने वालों को इंदिरा जी ने जेल भिजवाया था'। उनके इस बयान पर विपक्षी सदस्यों ने कड़ा विरोध जताया और सदन में भारी हंगामा हुआ।

अमित शाह ने कहा, “लोकसभा में कुछ सदस्यों ने वंदे मातरम पर चर्चा की जरूरत पर सवाल उठाए थे। वंदे मातरम के प्रति समर्पण की जरूरत स्वतंत्रता संग्राम के दौरान थी, आज है और 2047 के विकसित भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए हमेशा रहेगी।” उन्होंने आगे कहा कि कुछ लोग इन चर्चाओं को बंगाल चुनाव से जोड़कर राष्ट्रीय गीत की महिमा को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। शाह ने स्पष्ट किया कि वंदे मातरम बंगाल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश का है। “बंकिम बाबू बंगाल के थे, आनंद मठ बंगाल से निकला, लेकिन वंदे मातरम बंगाल या देश तक सीमित नहीं। सीमा पर देश के लिए बलिदान देने वाला सैनिक या अंदर से देश की रक्षा करने वाला पुलिसकर्मी अंतिम सांस में सिर्फ वंदे मातरम का नारा लगाता है।”

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गृह मंत्री ने वंदे मातरम को 'अमर सृजन' बताते हुए कहा कि यह मातृभूमि के प्रति कर्तव्य और समर्पण की भावना जगाता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि दोनों सदनों में इस पर चर्चा से आने वाली पीढ़ियां इसके सच्चे महत्व और गौरव को समझ सकेंगी। शाह ने मोदी को दोहराते हुए कहा कि 'वंदे मातरम के टुकड़े करके तुष्टिकरण की नीति शुरू हुई; अगर ऐसा नहीं होता, तो देश का विभाजन नहीं होता।'

खड़गे का ज़ोरदार हमला

राज्यसभा में खड़गे ने अमित शाह को ज़ोरदार जवाब दिया। 'वंदे मातरम' पर बहस में बोलते हुए, एलओपी मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा: "...कांग्रेस ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वंदे मातरम को नारा बनाने का काम किया...आपका इतिहास है कि आप हमेशा स्वतंत्रता संग्राम और देशभक्ति गीतों के खिलाफ थे...।" खड़गे ने कहा- महात्मा गांधी जी ने जब 1921 में 'असहयोग आंदोलन' छेड़ा, तब लाखों कांग्रेस के कार्यकर्ता, स्वतंत्रता सेनानी- भारत माता की जय, महात्मा गांधी जी की जय का नारा लगाते हुए जेल जा रहे थे। जबकि उसी समय आपके (RSS-BJP) लोग अंग्रेजों की नौकरी कर रहे थे। आज आप हमें देशभक्ति सिखा रहे हैं।

मोदी देश से माफी मांगेः खड़गे

खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से "इस विषय पर चर्चा शुरू करने" और "राष्ट्रीय नायकों का अपमान" करने के लिए माफ़ी मांगने की माँग की। उन्होंने आगे कहा, "प्रधानमंत्री मोदी जवाहरलाल नेहरू का अपमान करने का कोई मौका नहीं छोड़ते, और गृह मंत्री अमित शाह भी यही करते हैं...।" खड़गे ने कहा देश का ध्यान मूल मुद्दों से भटकाया जा रहा है। रुपये के गिरने की चिन्ता पीएम मोदी को नहीं है। इस पर बीजेपी सांसदों ने खासा शोर मचाया। भाजपा सांसदों ने खड़गे पर "विषय पर न रहने" का आरोप लगाया। खड़गे ने विदेश नीति और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट को लेकर भाजपा पर जमकर हमला बोला।


श्याम प्रसाद मुखर्जी और जिन्ना का गठजोड़ क्या थाः खड़गे

खड़गे ने कहा- मैंने प्रधानमंत्री मोदी का भाषण सुना, उन्होंने नेहरू जी पर आरोप लगाते हुए कहा- 1937 में नेहरू जी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने मूल 'वंदे मातरम्' गीत से महत्वपूर्ण पद हटा दिए थे। आज BJP के लोग ऐसी बातें कर रहे हैं। लेकिन जब BJP के पुरखे श्यामा प्रसाद मुखर्जी, मुस्लिम लीग के साथ बंगाल में सरकार चला रहे थे, तब आपकी देशभक्ति कहां थी? BJP को अपना इतिहास पढ़ना चाहिए।

सोमवार को लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस चर्चा की शुरुआत की थी, जहां विभिन्न दलों के नेताओं ने स्वतंत्रता संग्राम में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की रचना की भूमिका पर प्रकाश डाला था। मोदी ने वंदे मातरम के सहारे मुख्य रूप से पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और कांग्रेस पर निशाना साधा था। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने मोदी पर जवाबी हमला करते हुए कहा था कि पीएम मोदी के पास बेरोजगारी, महंगाई, गरीबों के मुद्दों पर बात करने का समय नहीं है।
विपक्षी दलों के कुछ सदस्यों ने चर्चा को नेहरू और स्वतंत्रता आंदोलन पर हमला बताते हुए पहले ही आपत्ति जताई थी, जबकि शाह के इंदिरा गांधी और आपातकाल वाले बयान ने सदन में तनाव बढ़ा दिया। विपक्ष के हंगामे के बावजूद चर्चा जारी रही।

अमित शाह के भाषण के खास कोट

  • जो लोग वंदे मातरम गाना चाहते थे, उन्हें इंदिरा जी ने जेल में डाल दिया था।
  • सरकार ने पूरे साल वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ बड़े पैमाने पर मनाने का फैसला किया है।
  • वंदे मातरम को तोड़कर तुष्टिकरण की नीति शुरू हुई; अगर ऐसा न होता, तो देश का विभाजन न होता।
  • हम संसद से विमुख नहीं होते, न ही मुद्दों पर चर्चा से भागते हैं; किसी भी विषय पर चर्चा के लिए तैयार हैं।
  • दोनों सदनों में वंदे मातरम पर चर्चा से आने वाली पीढ़ियों को इसके वास्तविक महत्व और गौरव को समझने में मदद मिलेगी।
  • वंदे मातरम एक अमर रचना है जो भारत माता के प्रति कर्तव्य और समर्पण की भावना जगाती है।
  • कुछ लोग इसे बंगाल चुनाव से जोड़कर 'वंदे मातरम' के महत्व को कम करना चाहते हैं।
  • वंदे मातरम की आवश्यकता स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी थी, आज भी है और 2047 में जब देश विकसित भारत बनेगा, तब भी इसकी आवश्यकता होगी।