महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हिंदुत्व और सांप्रदायिक सद्भाव को लेकर तीखा विवाद भड़क गया है। विपक्षी इंडिया गठबंधन द्वारा मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच जमकर बयानबाजी हो रही है।
यह विवाद तमिलनाडु के एक धार्मिक स्थल पर कार्तिगई दीपम (दीप प्रज्वलन) की अनुमति देने वाले जज के फैसले से सामने आया है, जो एक दरगाह के निकट स्थित पवित्र स्थान पर था। शाह ने इसे 'वोट बैंक की राजनीति' करार देते हुए ठाकरे पर निशाना साधा, तो ठाकरे ने बीजेपी पर हिंदुत्व के नाम पर ढोंग का आरोप लगाया।

विवाद कैसे शुरू हुआ

मामला तमिलनाडु के एक प्राचीन धार्मिक स्थल से जुड़ा है, जहां हिंदू परंपरा के अनुसार कार्तिगई दीपम जलाने की अनुमति जस्टिस स्वामीनाथन ने दी थी। यह स्थल एक दरगाह के करीब होने के कारण काननू व्यवस्था संभालने की नौबत आ गई। तमिलनाडु सरकार ने उस जगह पर धारा 163 (पुरानी धारा 144) लगा दी। इसे हिन्दू संगठनों ने मुद्दा बना दिया। हाईकोर्ट के जज जीआर स्वामीनाथन ने वहां दीप जलाने का आदेश दिया। धारा 163 लगाने को उन्होंने कोर्ट की अवमानना करार दिया।  विपक्षी दलों ने इसे 'सांप्रदायिक सद्भाव' के खिलाफ बताते हुए जज के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव पेश किया। 
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उद्धव ठाकरे पर अमित शाह का हमला

केद्रीय मंत्री अमित शाह ने मामला संसद में उठाया। उन्होंने इसे स्वतंत्र भारत का पहला ऐसा मामला बताया, जहां किसी जज को केवल 'वोट बैंक की राजनीति' के लिए महाभियोग का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, "यह तुष्टिकरण की रणनीति है, जो न्यायपालिका को कमजोर करेगी।" शाह ने उद्धव ठाकरे को सीधे निशाने पर लेते हुए कहा कि वे इस 'रणनीति' के साथ खड़े होकर हिंदुत्व के सिद्धांतों से भटक गए हैं। शाह ने ठाकरे पर सवाल उठाया कि वे इंडिया गठबंधन के इस कदम का समर्थन कैसे कर रहे हैं, जो धार्मिक परंपराओं को कुचलने जैसा है। उन्होंने इसे 'खतरनाक मिसाल' करार दिया और ठाकरे की राजनीतिक नैतिकता पर सवाल खड़े किए।

उद्धव ठाकरे का पलटवार- वन डे मातरम

उद्धव ठाकरे ने अमित शाह के हमले का जवाब देते हुए कहा कि बीजेपी, आरएसएस और शाह हमें हिंदुत्व नहीं  सिखाएं। उन्होंने हिन्दुत्व का हिमायती बनने का कोई हक नहीं है। उद्धव ने कहा केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू के गोमांस से जुड़े बयानों पर सवाल उठाते हुए पूछा, "क्या शाह अपने मंत्री रिजिजू का इस्तीफा मांगेंगे?" ठाकरे ने बीजेपी के 'वंदे मातरम' पर जोर को 'वन डे मातरम' बताते हुए इसे खोखला ढोंग करार दिया। साथ ही, पालघर साधु हत्याकांड में बीजेपी की 'दोहरी नैतिकता' पर चुटकी ली, जहां विपक्ष पर हमला बोलने वाले अब खुद चुप हैं। ठाकरे ने कहा, "हिंदुत्व का ज्ञान देने वाले पहले अपनी करनी देखें।"

महायुति नेताओं का हमला

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे को 'कैमेलियन' (रंग बदलने वाला) बताते हुए कहा कि महाभियोग का समर्थन करके उन्होंने मोदी-शाह के हिंदुत्व पर सवाल उठाने का कोई अधिकार खो दिया है। शिंदे ने तंज कसते हुए कहा, "धार्मिक परंपरा की रक्षा करने वाले जज के खिलाफ खड़े होकर ठाकरे ने अपनी असलियत दिखा दी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ट्वीट कर ठाकरे पर करारा प्रहार किया: "तुम क्या थे, क्या हो गए? राजनीतिक आत्मा खो चुके हो।" फडणवीस ने ठाकरे के इस रुख को महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा मोड़ बताया।

राजनीतिक निहितार्थ

यह टकराव महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से ठीक पहले आया है, जहां हिंदुत्व का मुद्दा फिर से गरमाने की संभावना है। विपक्षी गठबंधन का महाभियोग प्रस्ताव संसद में बहस का विषय बनेगा, जबकि बीजेपी इसे न्यायपालिका पर हमले के रूप में पेश कर रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद दोनों पक्षों के वोट बैंक को प्रभावित कर सकता है, खासकर मुस्लिम-हिंदू समीकरण में। यह घटनाक्रम तमिलनाडु से शुरू होकर राष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गया है, और आने वाले दिनों में और तीखा होने की आशंका है।

पालघर में साधुओं की लिंचिंग और बीजेपी का असली चेहरा

उद्धव ने अमित शाह पर हमला करते समय पालघर साधु लिंचिंग मामले का खासतौर पर जिक्र किया था। पालघर साधु लिंचिंग कांड 16 अप्रैल 2020 को महाराष्ट्र के पालघर जिले के गांव में हुआ था, आज भी राजनीतिक विवादों का केंद्र बना हुआ है। इस घटना में दो साधुओं चिकने महाराज कल्पवृक्षगिरि (70 वर्ष) और सुशील गिरि महाराज (35 वर्ष) तथा उनके ड्राइवर नीलेश तेलगड़े (30 वर्ष) की एक उन्मादी भीड़ ने पथराव और लाठियों से हत्या कर दी थी। उस समय लॉकडाउन चल रहा था और साधु के रूप में बच्चा चोरी की अफवाहें फैली हुई थीं। लेकिन साधुओं की हत्या से जबरदस्त गुस्से को बीजेपी ने हवा दी। 
साधु नासिक से गुजरात के सूरत जा रहे थे, जब वन विभाग के चेकपॉइंट पर उनकी गाड़ी रोकी गई। स्थानीय आदिवासी बहुल गांव में बच्चा चोरी की अफवाहों से भड़की 300-400 की भीड़ ने पुलिस की मौजूदगी में ही हमला कर दिया। वीडियो वायरल होने से मामला राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचा। बीजेपी ने सीबीआई जांच की मांग की। मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। इस घटना में मुख्य आरोपी काशीनाथ चौधरी था।17 नवंबर 2025 में काशीनाथ चौधरी को बीजेपी में शामिल किया गया। बीजेपी जो इससे पहले एमवीए पर 'आरोपियों को बचाने' का आरोप लगा रही थी, वो आरोपों से घिर गई।

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एनसीपी (शरद पवार) के रोहित पवार ने ट्वीट कर कहा, "काशीनाथ चौधरी को 'वाशिंग मशीन' से साफ करके बीजेपी में ले लिया। क्या यह पालघर हत्याकांड के पीछे बीजेपी थी? उनकी हिंदुत्व राजनीति नकली है।" कांग्रेस ने इसे 'डबल स्टैंडर्ड' बताया, याद दिलाते हुए कि बीजेपी ने 2020 में चौधरी को 'मुख्य आरोपी' कहा था। आलोचना के बाद 24 घंटों में ही राज्य बीजेपी अध्यक्ष रविंद्र चव्हाण ने चौधरी का प्रवेश स्थगित कर दिया। पार्टी का कहना है कि चौधरी का नाम किसी एफआईआर या चार्जशीट में नहीं है; वे सिर्फ 'गवाह' थे। लेकिन यह कदम विपक्ष को 'हिंदुत्व पर ढोंग' का मौका दे गया। उद्धव ठाकरे ने हालिया संसदीय बहस में पालघर का जिक्र कर बीजेपी पर तंज कसा: "हिंदुत्व सिखाने वाले पहले पालघर के दोषियों को सजा दिला दें।"