शिक्षा नीति बनाने के लिए एनडीए सरकार की गठित समिति की सिफ़ारिशों को लेकर दक्षिण से विरोधी सुर उठने शुरू हो गए हैं।तमिलनाडु और कर्नाटक से विरोधी स्वर ज़्यादा प्रखर और मुखर हैं। इन दोनों दक्षिणी राज्यों में भाषायी आंदोलन से जुड़े प्रमुख संगठनों ने एलान किया है कि वे हिंदी को थोपे जाने के हर प्रयास का पूरी ताक़त के साथ विरोध करेंगे। कुछ संगठनों ने कहा है कि चाहे जो हो जाय वे हिंदी को स्कूली शिक्षा में 'अनिवार्य' होने नहीं देंगे।
दक्षिण में फिर हिंदी विरोधी आंदोलन भड़कने का डर
- देश
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- 29 Mar, 2025
शिक्षा नीति बनाने के लिए एनडीए सरकार की गठित समिति की सिफ़ारिशों को लेकर दक्षिण से विरोधी सुर उठने शुरू हो गए हैं।
तमिलनाडु और कर्नाटक से विरोधी स्वर ज़्यादा प्रखर हैं।

1930 के दशक में तमिलनाडु में हिंदी विरोधी आंदोलन का नेतृत्व करने वाली द्रविड़ कड़गम (डीके) पार्टी के मौजूदा अध्यक्ष के. वीरमणि ने 'सत्य हिंदी' से बातचीत में कहा कि अगर केंद्र सरकार ने इस बार स्कूली बच्चों पर हिंदी थोपने की कोशिश की तो तमिलनाडु में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) स्कूलों को हमेशा बंद करवाने के लिए आंदोलन किया जाएगा। वहीं कर्नाटक में भाषायी आंदोलन की अगुवाई करने वाले संगठनों - ‘कन्नड़ रक्षण वेदिके’ और ‘कन्नड़ रक्षण वेदिके स्वाभिमाना बना’ ने भी कहा कि हिंदी थोपने की कोशिश को किसी हाल में कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। कन्नड़ रक्षण वेदिके स्वाभिमाना बना के मुखिया कृष्णे गौड़ा ने 'सत्य हिंदी' से बातचीत में कहा कि केंद्र एक बार फिर ग़लती कर रही है। हिंदी थोपने की कोशिश उग्र आंदोलन को न्योता देना है। लगता है कि पिछले आंदोलनों से केंद्र सरकार ने सबक नहीं सीखा है। कन्नड़ रक्षण वेदिके के नेता प्रवीण शेट्टी ने कहा कि हिंदी को जब 'ऑप्शनल' करने का विकल्प है तो उसे 'कंपल्सरी' करने की क्या ज़रूरत है। 'कंपल्सरी' करने की कोशिश को ज़ोर-ज़बरदस्ती समझा जाएगा और इसका जनता विरोध करेगी।
- तमिलनाडु और कर्नाटक से उठी इन आवाज़ों से साफ़ है कि केंद्र सरकार अगर देशभर में त्रिभाषा व्यवस्था लागू करने की कोशिश करती है तो इन दो राज्यों में हिंदी विरोधी आंदोलन शुरू होगा।
ग़ौरतलब है कि नयी शिक्षा नीति बनाने के लिए गठित के. कस्तूरीरंगन समिति ने रिपोर्ट तैयार कर ली है। बताया जाता है कि रिपोर्ट में देशभर में तीन भाषा व्यवस्था को लागू करने और हर राज्य में आठवीं कक्षा तक हिंदी अनिवार्य करने की सिफ़ारिश की गई है, हालांकि केंद्रीय मानव विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इससे इनकार किया है। लेकिन, अगर यह सिफ़ारिश लागू करने की बात भी केंद्र सरकार कहती है तो तमिलनाडु और कर्नाटक में हिंदी विरोधी आंदोलन की चिंगारी के भड़कने का ख़तरा है।