शिक्षा नीति बनाने के लिए एनडीए सरकार की गठित समिति की सिफ़ारिशों को लेकर दक्षिण से विरोधी सुर उठने शुरू हो गए हैं।तमिलनाडु और कर्नाटक से विरोधी स्वर ज़्यादा प्रखर और मुखर हैं। इन दोनों दक्षिणी राज्यों में भाषायी आंदोलन से जुड़े प्रमुख संगठनों ने एलान किया है कि वे हिंदी को थोपे जाने के हर प्रयास का पूरी ताक़त के साथ विरोध करेंगे। कुछ संगठनों ने कहा है कि चाहे जो हो जाय वे हिंदी को स्कूली शिक्षा में 'अनिवार्य' होने नहीं देंगे।