2011 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि शामलात देह यानी गाँव की साझा ज़मीन को ग्राम पंचायतों को वापस कर दिया जाना चाहिए और इसके साथ ही ऐसी किसी भी बिक्री को अवैध क़रार दिया गया।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने से पहले अवैध रूप से ख़रीदी गई सभी ज़मीनों को वापस लेने के लिए और समेकित कार्यवाही को चुनौती देने वाला एक मामला गुरुग्राम के डिप्टी कमिश्नर कोर्ट के पास लंबित है। 2018 में चार व्यक्तियों ने कथित तौर पर अदालत में दावा किया कि वे सामूहिक रूप से शामलात देह के 321 विवादित मालिकों का प्रतिनिधित्व करते हैं।