भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी के भारत प्रत्यर्पण को बेल्जियम कोर्ट से मंजूरी मिल गई है। लेकिन क्या कानूनी और कूटनीतिक अड़चनें अब भी बाकी हैं? अब प्रत्यर्पण कितना आसान?
भगोड़े डायमंड व्यापारी मेहुल चोकसी के भारत प्रत्यर्पण को बेल्जियम के एंटवर्प कोर्ट ने शुक्रवार को मंजूरी दे दी। यह भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक और कानूनी जीत है। चोकसी पर पंजाब नेशनल बैंक में 13000 करोड़ रुपये के कथित ऋण घोटाले का आरोप है, जिसमें उन्होंने अपने भतीजे नीरव मोदी के साथ साठगांठ की थी। कोर्ट ने भारत के अनुरोध पर चोकसी की गिरफ्तारी को वैध ठहराते हुए कहा कि प्रत्यर्पण का पहला कानूनी चरण पूरा हो गया है। हालांकि, चोकसी को बेल्जियम की उच्चतर अदालत में अपील का अधिकार है, जिससे उनका तत्काल प्रत्यर्पण संभव नहीं लगता। यह फैसला बेल्जियम में अप्रैल में उनकी गिरफ्तारी के पांच महीने बाद आया है, जब केंद्रीय जांच ब्यूरो ने बेल्जियम से प्रत्यर्पण की मांग की थी।
बेल्जियम कोर्ट में सुनवाई के दौरान भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले बेल्जियम के अभियोजन पक्ष और चोकसी की कानूनी टीम ने अपनी दलीलें पेश कीं। अदालत ने पाया कि भारत में चोकसी पर जिन अपराधों का आरोप है, उनमें आपराधिक षडयंत्र, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात, साक्ष्य नष्ट करना और भ्रष्टाचार शामिल हैं, जो बेल्जियम के कानून के तहत भी दंडनीय हैं। यह अंतरराष्ट्रीय संधियों के तहत प्रत्यर्पण के लिए ज़रूरी शर्त को पूरा करता है।
भारत सरकार ने एक महीने पहले ही बेल्जियम सरकार को आश्वासन दिया था कि अगर चोकसी को प्रत्यर्पित किया गया तो उन्हें मुंबई के आर्थर रोड जेल परिसर में ही रखा जाएगा। सरकार की ओर से यह आश्वासन तब दिया गया जब जेलों की स्थिति और मानवाधिकारों का हवाला दिया गया।
मेहुल चोकसी गीतांजलि ग्रुप के मालिक हैं। वह 2018 में पीएनबी घोटाले के खुलासे के बाद भारत छोड़कर भाग गए थे। वे पहले एंटीग्वा एंड बरबुडा चले गए, जहां उन्होंने नागरिकता प्राप्त की थी। 2021 में डोमिनिका में उनकी गिरफ्तारी हुई, लेकिन अपहरण के आरोप लगाकर वे वहां से रिहा हो गए। उसके बाद 2023 में चोकसी बेल्जियम पहुंचे, जहां उनकी पत्नी बेल्जियन नागरिक हैं।
केंद्रीय जांच ब्यूरो को जनवरी 2024 में बेल्जियम में चोकसी की मौजूदगी की जानकारी मिली, जिसके बाद अक्टूबर 2024 में औपचारिक प्रत्यर्पण का अनुरोध भेजा गया।
11 अप्रैल 2025 को एंटवर्प पुलिस ने चोकसी को गिरफ्तार किया। उनकी कई जमानत याचिकाएं विभिन्न बेल्जियन कोर्टों द्वारा खारिज कर दी गईं। प्रत्यर्पण सुनवाई सितंबर 2025 में शुरू हुई, जहां सीबीआई और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने बेल्जियन अभियोजकों की मदद की। भारत ने 4 सितंबर को एक पत्र में आश्वासन दिया कि चोकसी को मुंबई के आर्थर रोड जेल कॉम्प्लेक्स में रखा जाएगा, जहां मानवाधिकारों का पालन होगा।
शुक्रवार को एंटवर्प कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। कोर्ट ने फैसला सुनाया कि चोकसी की गिरफ्तारी वैध थी और भारत का प्रत्यर्पण अनुरोध स्वीकार्य है। अभियोजकों ने कोर्ट को बताया कि चोकसी फ्लाइट रिस्क बने हुए हैं और उन्हें जेल में ही रखा जाना चाहिए। भारत ने 2018 और 2021 में मुंबई की विशेष अदालत द्वारा जारी दो वॉरंट भी सौंपे। प्रत्यर्पण प्रक्रिया भारत-बेल्जियम के 2020 के एक्स्ट्राडिशन संधि के तहत हो रही है, जो यह पहला मामला है।
पीएनबी घोटाला 2018 में सामने आया, जब बैंक ने खुलासा किया कि चोकसी और नीरव मोदी ने धोखाधड़ीपूर्ण लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग यानी एलओयू के जरिए 13,578 करोड़ रुपये का ऋण लिया। आरोप है कि चोकसी ने अपनी कंपनियों के नाम पर फर्जी आयात ऑर्डर बनाए और बैंक अधिकारियों को रिश्वत देकर लेन-देन छिपाया। सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने चोकसी, नीरव मोदी, उनके परिवार के सदस्यों, कर्मचारियों और बैंक अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया।
चोकसी पर आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी, खातों में हेराफेरी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं। ईडी ने उनकी संपत्ति जब्त की, जबकि नीरव मोदी यूके में प्रत्यर्पण मुकदमे का सामना कर रहे हैं।