देश जमीनी स्तर पर बदलाव के लिए एक और रेप का इंतजार नहीं कर सकता। यह सिर्फ एक मामला नहीं है बल्कि देशभर में डॉक्टरों की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है।
अदालत ने राष्ट्रीय टास्क फोर्स से डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और अदालत द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों पर कार्य करने के सुझावों के साथ 3 सप्ताह में एक अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने की उम्मीद है। उन्हें 3 महीने के समय में एक अंतिम रिपोर्ट भी प्रस्तुत करनी है।
टास्क फोर्स पता करे कि महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए बनाए गए यौन उत्पीड़न रोकथाम अधिनियम (POSH) का अस्पतालों, नर्सिंग होमों और प्राइवेट अस्पतालों में पालन किया जा रहा है या नहीं।
कार्य स्थल पर सुरक्षा की कमी महिलाओं को समानता से वंचित कर रही है। महिला डॉक्टरों के लिए एक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल की जरूरत है।