Bihar SIR Supreme Court Hearing: सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को बिहार एसआईआर पर सुनवाई के दौरान सोशल एक्टिविस्ट और याचिकाकर्ता योगेंद्र यादव ने जोरदार दलीलें पेश कीं। उन्होंने अदालत में दो जीवित लोगों को पेश कर दिया, जिन्हें चुनाव आयोग ने मृत घोषित कर दिया।
योगेंद्र यादव ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में दलीलें पेश कीं
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को बिहार एसआईआर से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से जाने-माने वकीलों कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, प्रशांत भूषण ने दलीलें पेश कीं। याचिकाकर्ता योगेंद्र यादव अपनी दलील पेश करने के लिए आए। लेकिन अदालत में उस समय हलचल मच गई, जब यादव ने कोर्ट रूम में मौजूद एक महिला सहित लोगों की इशारा करते हुए कहा कि इन दोनों जीवित लोगों को चुनाव आयोग ने मृत घोषित कर दिया। जबकि इन दोनों के पास वोटर कार्ड है।
इस पर चुनाव आयोग के वकील राकेश द्विवेदी उठकर खड़े हो गए और कहा कि ये नाटक है।
जस्टिस बागची ने फौरन कहा- ये अनजाने में हुई गलतियाँ हो सकती हैं, इन्हें ठीक किया जा सकता है। वकील राकेश द्विवेदी ने कहा- इस नाटक के बजाय यादव उनका नाम अपलोड कर सकते हैं।
जस्टिस सूर्यकांत ने द्विवेदी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि हमें अपने नागरिकों पर गर्व है कि वे सुप्रीम कोर्ट में हैं। राकेश द्विवेदी ने कहा- हम मतदाता सूची को ठीक कर रहे हैं। यादव रुकावट डालने के बजाय, हमारी मदद करें।
जस्टिस कांत ने कहा- यादव ने कुछ तथ्यात्मक मुद्दे उठाए हैं...। कुछ मुद्दों के लिए सुधार उपायों की जरूरत है... अगर आपने किए, तो बहुत अच्छा। अगर नहीं, तो हम देखेंगे। धन्यवाद योगेंद्र यादव, आपने बेहतरीन विश्लेषण दिया। आपकी सहायता के लिए धन्यवाद। सुनवाई कल यानी बुधवार 13 अगस्त को जारी रहेगी। राकेश द्विवेदी ने तब कहा कि हम जवाब देंगे।
योगेंद्र यादव की दलीलें
लाइव लॉ के मुताबिक एक्टिविस्ट और याचिकाकर्ता योगेंद्र यादव ने कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) विफल रहा है और गलत परिणाम देने वाला साबित हुआ है। पूरी दुनिया में मतदाता सूचियों की पूर्णता तय करने का स्टैंडर्ड तरीका वयस्क जनसंख्या की तुलना रजिस्टर्ड मतदाताओं की संख्या से करना है। उन्होंने कहा कि जब ज़िम्मेदारी राज्य से हटकर नागरिकों पर आ जाती है, तो मतदाताओं की सही संख्या तुरंत गायब जाती है। जिन लोगों को सूची से बाहर रखा जाता है, वे हाशिए पर और गरीब होते हैं, जो शायद मतदाता आबादी का एक-चौथाई हिस्सा होते हैं।
यादव ने सरकारी रिकॉर्ड का हवाला देते हुए कहा कि बिहार की वयस्क आबादी 8.18 करोड़ है, फिर भी मतदाता सूची में केवल 7.89 करोड़ मतदाता ही दर्ज हैं - 29 लाख कम। कहा- "गलतियाँ होती हैं, लेकिन यह पहला संशोधन है जिसमें एक भी नया नाम नहीं जोड़ा गया है।"
यादव की दलील के दौरान जस्टिस कांत ने पूछा कि क्या एसआईआर का इस्तेमाल फ़र्ज़ी मतदाताओं को हटाने के लिए किया जा सकता है।
इस पर योगेंद्र यादव ने जवाब दिया कि घर-घर जाकर सत्यापन के दौरान, अधिकारी "किसी भी घर में एक भी नया नाम नहीं ढूंढ पाते।" वे कहते हैं, "जब आप मेरे घर आते हैं, तो आप नए लोगों की नहीं, बल्कि नए लोगों की संख्या देखते हैं। जबकि 28 लाख लोगों को जोड़ा जा सकता है। चुनाव आयोग कह सकता है कि हम फॉर्म 6 भर सकते हैं, लेकिन यह संशोधन प्रक्रिया का हिस्सा नहीं है।" उन्होंने कहा कि प्रेस विज्ञप्तियों के ज़रिए क़ानूनी आदेशों में बदलाव किया जा रहा है। लेकिन "कम से कम नोटबंदी के दौरान, आरबीआई ने अधिसूचनाएँ जारी की थीं। चुनाव आयोग की तरह प्रेस विज्ञप्तियां जारी नहीं की थीं।"
योगेंद्र यादव ने कहा कि यह न केवल भारत के इतिहास में, बल्कि दुनिया भर के किसी भी लोकतंत्र में मताधिकार से वंचित करने का सबसे बड़ा मामला हो सकता है। उन्होंने इसे संशोधन का मामला नहीं, बल्कि मतदाताओं पर बोझ में एक "आमूलचूल परिवर्तन" बताया है। उन्होंने अदालत में एक महिला को पेश किया और दावा किया कि उसे ड्राफ्ट सूची में मृत घोषित कर दिया गया था। चुनाव आयोग की ओर से पेश हुए द्विवेदी ने इसे "एक ऐसा नाटक बताया जो अदालत के लिए नहीं, बल्कि टेलीविजन के लिए ही रखा जाना चाहिए।"
योगेंद्र यादव ने जब दलील पूरी की तो जस्टिस बागची ने कहा योगेंद्र यादव ने बहुत अच्छा विश्लेषण दिया है, चाहे अदालत इससे सहमत हो या नहीं। सुनवाई कल भी जारी रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को किसने क्या कहा
- नागरिकता निर्धारण चुनाव आयोग की भूमिका नहीं: सिंघवी
- भूषण ने मतदाता सूची में तेज़ी से संशोधन में पारदर्शिता की कमी और चुनौतियों पर प्रकाश डाला
- सिब्बल ने जनवरी 2023 के संशोधन के बाद नए एसआईआर की आवश्यकता पर सवाल उठाया
- पीड़ित व्यक्तियों के नाम बताएँ, चुनाव आयोग जवाबदेह होगा: न्यायमूर्ति कांत
- ड्राफ्ट रोल में छोटी-मोटी त्रुटियाँ होना स्वाभाविक है, जिन्हें बीएलओ द्वारा ठीक किया जा सकता है: चुनाव आयोग
- याचिकाकर्ताओं ने ड्राफ्ट रोल में 65 लाख मतदाताओं के 'बड़े पैमाने पर बहिष्कार' का मुद्दा उठाया