सी-वोटर ट्रैकर सर्वे के अनुसार राहुल गांधी की लोकप्रियता में तेज़ उछाल आया है। पीएम मोदी और राहुल के बीच का अंतर 21% से घटकर सिर्फ 11% रह गया है। इसके मायने क्या हैं?
विपक्ष के प्रमुख चेहरे राहुल गांधी की लोकप्रियता में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की गई है। सी-वोटर के ताज़ा ट्रैकर सर्वे के अनुसार, 'प्रधानमंत्री की पसंद कौन' के सवाल पर सितंबर 2025 में 52 प्रतिशत लोगों ने नरेंद्र मोदी को और 41 प्रतिशत ने राहुल गांधी को पसंद किया। यानी दोनों के बीच फासला सिर्फ़ 11 फीसदी प्वाइंट का है। इससे पहले जून में यह फासला 21 प्रतिशत था। फरवरी में भी यह फासला 16 प्रतिशत का था।
यह घटता अंतर विपक्ष के लिए उत्साहजनक संकेत है, लेकिन क्या यह 'वोट चोरी' के आरोपों का असर है? क्या राहुल अब भाजपा के लिए वास्तविक चुनौती बन रहे हैं? और क्या 2029 के लोकसभा चुनावों का समीकरण बदल सकता है?
लोकप्रियता का ग्राफ
सी-वोटर के आंकड़ों के अनुसार, राहुल गांधी की लोकप्रियता में लगातार उछाल आ रहा है। न्यूज़ तक की रिपोर्ट के अनुसार फरवरी 2025 में मोदी को 55 प्रतिशत और गांधी को 39 प्रतिशत समर्थन मिला था, जो 16 प्रतिशत का अंतर था। जून तक मोदी की हिस्सेदारी 57 प्रतिशत हो गई, लेकिन गांधी की 36 प्रतिशत पर स्थिर रही, जिससे फासला 21 प्रतिशत तक बढ़ गया। लेकिन सितंबर में नाटकीय बदलाव आया- मोदी 52 प्रतिशत पर सिमट गए, जबकि गांधी 41 प्रतिशत तक पहुंच गए। यह 11 प्रतिशत का अंतर अब तक का सबसे कम है।
राहुल की लोकप्रियता में उछाल, मोदी से फासला घटकर 21% से 11% हुआ
सी वोटर के ट्रैकर के अनुसार पीएम पद की पसंद के तौर पर राहुल गांधी की लोकप्रियता न केवल बढ़ी है, बल्कि नरेंद्र मोदी की रेटिंग में भी गिरावट आई है। तो क्या यह बढ़ोतरी हाल में राहुल गांधी के वोट चोरी के आरोप के कारण हुई है और क्या आगे भी यह बढ़ोतरी जारी रहेगी? सी वोटर के यशवंत देशमुख ने न्यूज़ तक से बातचीत में कहा कि राहुल की पॉपुलरिटी शीर्ष पर पहुँच गई है और अब इसमें बढ़ोतरी की संभावना नहीं है क्योंकि अब वह विदेश में हैं और वह कोई अभियान नहीं चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि तेजस्वी की बिहार अधिकार यात्रा भी ख़त्म हो गई है और अब एनडीए लीड ले सकता है क्योंकि बिहार में महिला वोटरों को लुभाने वाले फ़ैसले लिए गए हैं।
'वोट चोरी' आरोप क्या था?
कांग्रेस समर्थक अब कह रहे हैं कि कुछ महीने पहले पीएम मोदी और राहुल गांधी की लोकप्रियता में अंतर 21% था, लेकिन 'वोट चोरी' अभियान से यह 10% कम हो गया। कांग्रेस समर्थित ट्विटर हैंडल यूज़र अमोक ने लिखा है कि 'जल्द ही ईसीआई के खिलाफ और भी प्रेस कॉन्फ्रेंस होंगी, राहुल गांधी 50%+ वोट हासिल करेंगे'।
तो क्या राहुल गांधी के 'वोट चोरी' के आरोप से सच में उनकी लोकप्रियता बढ़ी? इस सवाल का जवाब राहुल के हाल के आरोपों और अभियानों से लगाया जा सकता है। राहुल का दावा है कि चुनाव आयोग की मिलीभगत से बीजेपी ने मतदाता सूचियों में हेराफेरी कर चुनाव जीते, जिससे मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बन सके। यह आरोप अगस्त 2025 से तेज हुए जब राहुल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस और रैलियों में 'सबूत' पेश किए। राहुल गांधी ने कर्नाटक, महाराष्ट्र, हरियाणा, बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के उदाहरण दिए हैं। उन्होंने दावा किया कि कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा सीट में क़रीब एक लाख फर्जी वोट जोड़े गए। इसके अलावा कर्नाटक की आलंद विधानसभा सीट पर 6 हज़ार से ज्यादा कांग्रेस-समर्थक वोटरों के नाम हटाए गए। हालाँकि, चुनाव आयोग ने राहुल के इन सभी आरोपों को खारिज कर दिया।
इस बीच बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी एसआईआर को लेकर छिड़े विवाद के बीच राहुल ने आरोप लगाया कि एसआईआर के माध्यम से गरीबों, पिछड़ों और दलितों के वोट हटाए जा रहे हैं। राहुल ने इसको लेकर बिहार में वोटर अधिकार यात्रा निकाली। इस यात्रा में राहुल गांधी को ख़बू समर्थन मिला और भारी भीड़ उमड़ी।
मूड ऑफ द नेशन सर्वे में क्या थी स्थिति?
इंडिया टुडे-सीवोटर मूड ऑफ द नेशन सर्वे के अगस्त 2025 के आंकड़ों के अनुसार नरेंद्र मोदी देश का नेतृत्व करने के लिए सबसे लोकप्रिय उम्मीदवार थे। सर्वे में पीएम मोदी को 51.5% समर्थन प्राप्त हुआ, जबकि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को 24.7% लोगों ने पसंद किया। फरवरी 2025 की तुलना में भी पीएम मोदी की लोकप्रियता बरकरार है, जहां उन्होंने 51.2% समर्थन हासिल किया था, जबकि राहुल गांधी को 24.9% लोगों ने चुना था। एक साल पहले यानी अगस्त 2024 में भी स्थिति लगभग यही थी, जहां पीएम मोदी 49.1% के साथ आगे थे और राहुल गांधी को 22.4% समर्थन मिला था। फरवरी 2024 में पीएम मोदी की लोकप्रियता 54.9% थी, जबकि राहुल गांधी को मात्र 13.8% समर्थन प्राप्त हुआ था।
तो सवाल है कि क्या राहुल की लोकप्रियता आगे भी ऐसे ही बढ़ती रहेगी? या फिर यह सामान्य उतार-चढ़ाव को दिखाता है? यदि ऐसा मोदी सरकार की नीतियों और राहुल की छवि व उनके अभियानों की वजह से हो रहा है, तो यह बीजेपी के लिए चिंता की बात हो सकती है!