इसरो का मुख्यालय
अंतरिक्ष अब एक कारोबार में बदल गया है। चांद का दक्षिणी ध्रुव इसके लिए तमाम रास्ते खोलने जा रहा है क्योंकि वहां पानी की बर्फ है। तमाम देशों को उम्मीद है कि भविष्य में चांद पर कॉलोनी बसाने, खनिजों का खनन और मंगल ग्रह पर अंतिम मिशन का रास्ता दक्षिण ध्रुव खोल देगा।
रॉयटर्स के मुताबिक यदि चंद्रयान-3 सफल होता है, तो विश्लेषकों को उम्मीद है कि भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र प्रतिस्पर्धी इंजीनियरिंग का लाभ उठाएगा। प्रोजेक्ट्स पर यहां लागत भी कम आती है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पास इस मिशन के लिए लगभग 74 मिलियन डॉलर का बजट था।