सीजेआई के घर पीएम मोदी। फाइल फोटो
इस कार्यक्रम में चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की कि जब उन्होंने चुनावी बांड योजना को अमान्य कर दिया और केंद्र सरकार के खिलाफ फैसला सुनाया, तो उन्हें "बहुत स्वतंत्र" कहा गया। चीफ जस्टिस ने कहा- "जब आप चुनावी बांड पर फैसला लेते हैं, तो आप बहुत स्वतंत्र होते हैं, लेकिन अगर फैसला सरकार के पक्ष में जाता है, तो आप स्वतंत्र नहीं हैं... लेकिन यह मेरी स्वतंत्रता की परिभाषा नहीं है।"
चीफ जस्टिस ने सोमवार के कार्यक्रम में कहा कि न्यायिक स्वतंत्रता का जो पारंपरागत विचार है, उसके तहत उसे एग्जेक्यूटिव पावर (कार्यकारी शक्ति) से अलगाव की जरूरत है। परंपरागत विचार यही है कि लोकतांत्रिक अखंडता को बनाए रखने में न्यायपालिका की भूमिका महत्वपूर्ण है। इसलिए न्यायपालिका आजाद होना चाहिए।