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पैगंबर पर टिप्पणीः भारत ने ओआईसी के बयान को संकीर्ण बता खारिज किया

पैगंबर पर बीजेपी नेताओं की टिप्पणियों पर कुछ मुस्लिम देशों के एक समूह के ऐतराज को भारत ने सोमवार को खारिज कर दिया। भारत ने उस समूह की प्रतिक्रियाओं को अनुचित और संकीर्ण दिमाग बताया है।
दरअसल, भारत की यह कड़ी प्रतिक्रिया आर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन यानी ओआईसी के बयान पर आई है। ओआईसी ने इस मामले में बीजेपी के दोनों नेताओं नूपुर शर्मा और नवीन जिन्दल के बयान की कड़ी निन्दा करते हुए यूएन से इसमें दखल देने की मांग की थी।
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बीजेपी ने रविवार को ही नूपुर शर्मा को पार्टी से सस्पेंड कर दिया था और नवीन जिन्दल को पार्टी से ही निकाल दिया था। लेकिन इसके बावजूद सऊदी अरब और अन्य मुस्लिम देशों को गुस्सा शांत नहीं हुआ। कतर, ईरान, कुवैत और सऊदी अरब ने इस मामले में कड़ी आपत्ति जताई थी। इन देशों ने साफ कहा था कि पैगंबर की तौहीन किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कतर, कुवैत और ईरान ने भारत से माफी की मांग भी की थी। भारत ने बीजेपी द्वारा की गई कार्रवाई से इन देशों को अवगत कराया, उसके बाद ये देश शांत हो गए।
इन देशों के मुकाबले ओआईसी का बयान ज्यादा तीखा था। उसने सीधे संयुक्त राष्ट्र से भारत में हो रहे घटनाक्रम का संज्ञान लेने और उस पर कार्रवाई की मांग की थी। ओआईसी का सदस्य पाकिस्तान भी है। भारत का आरोप है कि पाकिस्तान आओईसी के मंच का इस्तेमाल अपने स्वार्थ के लिए करता है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिन्दम बागची ने अपने ट्विटर हैंडल पर भारत का जो बयान जारी किया, उसमें कहा गया है कि हमने इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के महासचिव का भारत पर बयान देखा है। भारत सरकार OIC सचिवालय की अनुचित और संकीर्ण सोच वाली टिप्पणियों को स्पष्ट रूप से खारिज करती है। भारत सभी धर्मों को सर्वोच्च सम्मान देता है। भारतीय विदेश मंत्रालय का बयान पढ़ें। जिसमें कहा गया था कि एक धार्मिक व्यक्तित्व को बदनाम करने वाले आपत्तिजनक ट्वीट और टिप्पणियां कुछ व्यक्तियों द्वारा की गई थीं। वे किसी भी रूप में भारत सरकार के विचारों को नहीं दर्शाते हैं। ऐसे तत्वों के खिलाफ पहले ही कड़ी कार्रवाई की जा चुकी है।
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विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा: यह खेदजनक है कि ओआईसी सचिवालय ने फिर से प्रेरित, भ्रामक और शरारती टिप्पणी करने के लिए चुना है। यह केवल निहित स्वार्थों के इशारे पर अपने विभाजनकारी एजेंडे को उजागर करता है। हम ओआईसी सचिवालय से अपने सांप्रदायिक दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने से रोकने और सभी धर्मों और धर्मों के प्रति उचित सम्मान दिखाने का आग्रह करेंगे।

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क़मर वहीद नक़वी
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