यह विवाद तब शुरू हुआ जब सार्वजनिक महत्व के मुद्दों पर चर्चा चल रही थी। के.सी. वेणुगोपाल के भाषण के बाद स्पीकर बिरला ने हस्तक्षेप किया और सदस्यों के व्यवहार पर टिप्पणी की, खास तौर पर गांधी को संबोधित करते हुए। राहुल गांधी को निशाना बनाने की वजह साफ नहीं थी, लेकिन जैसे ही वह जवाब देने के लिए खड़े हुए, बिड़ला ने तुरंत सदन स्थगित कर दिया, जिससे विपक्षी सदस्य हैरान रह गए। यानी बिड़ला यह नहीं बता पा रहे हैं कि आखिर राहुल को बोलने से क्यों रोका गया।
सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस सांसदों से मुलाकात में भी बिड़ला ने कथित तौर पर अपने रुख का बचाव किया और नियमों की दुहाई देते रहे। मामले की समीक्षा करने का वादा किया।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह टकराव भारत के संसदीय लोकतंत्र में गहराती दरारों का संकेत है। स्पीकर की भूमिका संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण है, लेकिन जब विपक्ष को लगातार दरकिनार किया जाता है, तो यह संस्थान पर भरोसा कम होता जाता है। कांग्रेस के बुधवार के रुख से लग रहा है कि वो अब स्पीकर को निशाने पर लेगी। क्योंकि कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सहने की भी कोई सीमा होती है।