सुप्रीम कोर्ट द्वारा लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को उनके चीन से जुड़े बयानों पर फटकार लगाए जाने के बाद कांग्रेस ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस ने कहा कि 2020 के गलवान संघर्ष के बाद से 'हर देशभक्त भारतीय' ने चीन के अतिक्रमण और सीमा पर तनाव को लेकर जवाब मांगा है, लेकिन मोदी सरकार ने अपनी DDLJ यानी 'डिनायल, डिस्ट्रैक्ट, लाई, जस्टिफाई' नीति के तहत सच्चाई को छिपाने और भटकाने का काम किया है। पार्टी ने केंद्र पर आरोप लगाया कि उसने 1962 के बाद भारत को सबसे बड़े क्षेत्रीय नुकसान का सामना करने के लिए मजबूर किया और आर्थिक हितों और कायरता के कारण चीन के साथ सामान्यीकरण की नीति अपनाई।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राहुल गांधी को उनके 2022 की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दिए गए बयानों के लिए कड़ी फटकार लगाई। राहुल गांधी ने दावा किया था कि चीन ने भारत की 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया है और अरुणाचल प्रदेश में चीनी सैनिक भारतीय जवानों को 'पीट रहे हैं'। इसके अलावा, उन्होंने 2020 के गलवान संघर्ष का ज़िक्र करते हुए कहा था कि 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे और सरकार ने 'जमीन को आत्मसमर्पण' कर दिया। इन बयानों को लेकर उत्तर प्रदेश के लखनऊ में एक विशेष अदालत में राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया गया था, जिसे बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन यानी बीआरओ के पूर्व निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव ने दायर किया था। इसके ख़िलाफ़ हाई कोर्ट में दायर राहुल की याचिका खारिज कर दी गई थी

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी से सवाल किया, 'आपको कैसे पता कि चीन ने 2000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है? क्या आप वहां थे? क्या आपके पास कोई विश्वसनीय सामग्री है?' कोर्ट ने यह भी कहा, 'यदि आप सच्चे भारतीय हैं, तो आप ऐसी बातें नहीं कहेंगे।' हालाँकि, कोर्ट ने लखनऊ की अदालत में चल रही मानहानि की कार्यवाही पर तीन सप्ताह के लिए अंतरिम रोक लगा दी।

कांग्रेस की तीखी प्रतिक्रिया

कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों के बाद केंद्र सरकार पर हमला तेज कर दिया। पार्टी के वरिष्ठ नेता और महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में कहा, '15 जून 2020 को गलवान में 20 वीर सैनिकों की शहादत के बाद से हर देशभक्त भारतीय ने चीन पर जवाब मांगा है। लेकिन पिछले पांच वर्षों में मोदी सरकार ने अपनी DDLJ नीति - डिनायल, डिस्ट्रैक्ट, लाई, जस्टिफाई - के तहत सच्चाई को छिपाने और भटकाने का काम किया है।'

कांग्रेस के आठ तीखे सवाल

  1. 19 जून 2020 को गलवान में हमारे सैनिकों की शहादत के महज चार दिन बाद प्रधानमंत्री ने यह क्यों कहा कि 'ना कोई हमारी सीमा में घुस आया है, ना ही कोई घुसा हुआ है'? क्या यह चीन को दी गई क्लीन चिट नहीं थी?
  2. सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा है कि 'हम अप्रैल 2020 की यथास्थिति पर लौटना चाहते हैं।' क्या 21 अक्टूबर 2024 को हुआ वापसी समझौता हमें वास्तव में उसी यथास्थिति पर ले जाता है?
  3. क्या यह सच नहीं है कि आज भारतीय गश्त दलों को डेपसांग, डेमचोक और चुमार में अपने ही पेट्रोलिंग प्वाइंट तक जाने के लिए अब चीनी सहमति की ज़रूरत पड़ती है, जबकि पहले वे भारत के क्षेत्रीय अधिकारों का स्वतंत्र रूप से उपयोग करते थे?
  4. क्या यह सही नहीं है कि गलवान, हॉट स्प्रिंग और पैंगोंग झील क्षेत्र में भारतीय गश्ती दलों को उन इलाक़ों तक पहुंचने से 'बफर जोन' के कारण रोका जा रहा है, जबकि ये बफर जोन भारत के दावे की रेखा के भीतर ही स्थित हैं?
  5. क्या 2020 में यह व्यापक रूप से रिपोर्ट नहीं किया गया था कि पूर्वी लद्दाख का लगभग 1000 वर्ग किलोमीटर इलाक़ा चीनी नियंत्रण में आ गया है, जिसमें डेपसांग का 900 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र भी शामिल हैं?
  6. क्या यह सच नहीं है कि लेह के पुलिस अधीक्षक ने पुलिस महानिदेशकों के वार्षिक सम्मेलन में एक पेपर पेश किया था, जिसमें कहा गया था कि भारत ने पूर्वी लद्दाख में 65 में से 26 पेट्रोलिंग प्वाइंट तक अपनी पहुँच खो दी है?
  7. क्या यह सच नहीं है कि चीन से आयात तेजी से बढ़ रहा है- विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स, बैटरी और सौर सेल जैसे क्षेत्रों में? भारत का टेलीकॉम, फार्मा और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर चीनी आयात पर अत्यधिक निर्भर हो गया है? क्या यह भी सही नहीं है कि 2024-25 में चीन के साथ व्यापार घाटा रिकॉर्ड 99.2 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया?
  8. क्या यह सच नहीं है कि मोदी सरकार आज एक ऐसे देश के साथ 'रिश्ते सामान्य करने' की कोशिश कर रही है, जो ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की सैन्य कार्रवाई में अहम भूमिका निभाया था, पाकिस्तान को J-10C लड़ाकू विमान और हवा से हवा में मार करने वाली PL-15 मिसाइल जैसी हथियार प्रणालियाँ प्रदान की थीं और जैसा कि 4 जुलाई, 2025 को उप-सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह ने कहा था, भारतीय सैन्य अभियानों पर 'लाइव इनपुट' भी उपलब्ध कराया।
जयराम रमेश ने आगे कहा,
सच्चाई यह है कि मोदी सरकार 1962 के बाद भारत को हुए अब तक के सबसे बड़े भूभाग के नुकसान के लिए ज़िम्मेदार है और अपनी कायरता और गलत आर्थिक प्राथमिकताओं के चलते वह अब चीन जैसे दुश्मन प्रवृत्ति वाले देश के साथ 'सामान्यीकरण' की कोशिश कर रही है।
जयराम रमेश
कांग्रेस नेता

सुप्रीम कोर्ट में क्या दी गई दलीलें

इधर, सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष हुई। राहुल गांधी की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने पैरवी की। कोर्ट ने राहुल के दावों पर सवाल उठाते हुए कहा, "आप विपक्ष के नेता हैं, आप ऐसी बातें क्यों कहेंगे? आप इन्हें संसद में क्यों नहीं उठाते? सोशल मीडिया पर ऐसी बातें कहने की क्या जरूरत है?"

सिंघवी ने तर्क दिया कि अगर विपक्ष का नेता राष्ट्रीय चिंता के मुद्दों को प्रेस में नहीं उठा सकता, तो यह एक 'दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति' होगी। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के बयान पहले से ही सार्वजनिक डोमेन में मौजूद जानकारी पर आधारित थे। हालाँकि, कोर्ट ने इस तर्क को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया और कहा कि स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति का अधिकार सेना जैसे संवैधानिक संस्थानों की मानहानि तक नहीं जाते। जस्टिस दत्ता ने पूछा, 'क्या आपके पास कोई विश्वसनीय सबूत है कि चीन ने 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया है?'

कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी संवेदनशील बातों को सार्वजनिक मंचों पर उठाने के बजाय संसद में चर्चा की जानी चाहिए।

बीजेपी की प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों के बाद बीजेपी ने राहुल गांधी पर निशाना साधा। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने श्री राहुल गांधी जी को कड़ा संदेश और सबक दिया है! यदि वह भारत के सर्वोच्च न्यायालय की भी बात नहीं सुनते हैं, तो अन्य लोग उसकी बेकार बातों पर कैसे नियंत्रण कर सकते हैं?'
रिजिजू पहले राहुल गांधी के दावों को झूठा नैरेटिव बताते रहे हैं और कहा, 'चीन ने अरुणाचल प्रदेश में एक इंच जमीन भी नहीं ली है।' बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीया ने भी एक्स पर राहुल गांधी को 'चाइना गुरु' कहकर तंज कसा और कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता से संबंधित गैर-जिम्मेदार बयानों के लिए फटकार लगाई है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख

इससे पहले मई 2025 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राहुल गांधी की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने लखनऊ की विशेष अदालत द्वारा फरवरी 2025 में जारी समन और मानहानि मामले को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट के जस्टिस सुभाष विद्यार्थी ने कहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार सेना जैसी संस्थाओं की मानहानि तक नहीं जाता। 

राहुल गांधी ने क्या कहा था?

राहुल गांधी ने अपने बयानों में दावा किया था कि उन्होंने पूर्व सैन्य अधिकारियों और लद्दाख के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की थी, जिन्होंने उन्हें बताया कि पहले भारतीय क्षेत्र में रहे कई गश्त बिंदु अब चीनी नियंत्रण में हैं। अप्रैल 2025 में उन्होंने लोकसभा में जीरो आवर के दौरान भी यह मुद्दा उठाया था, जिसमें उन्होंने दावा किया था कि चीन ने 4000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है।

उन्होंने सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा था कि भारत-चीन के बीच 75 साल के राजनयिक संबंधों का जश्न मनाने से पहले हमें अपनी जमीन वापस लेनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की फटकार और कांग्रेस की तीखी प्रतिक्रिया ने भारत-चीन सीमा विवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे को फिर से चर्चा में ला दिया है। जहाँ कांग्रेस का कहना है कि वह सरकार की नीतियों पर सवाल उठाकर अपनी जिम्मेदारी निभा रही है, वहीं बीजेपी ने राहुल गांधी के बयानों को गैर-जिम्मेदार और देश के हितों के खिलाफ बताया है। मानहानि की कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगाने का सुप्रीम कोर्ट का यह फ़ैसला राहुल गांधी के लिए राहत लेकर आया है, लेकिन कोर्ट की टिप्पणियों ने उनकी विश्वसनीयता और बयानों की जिम्मेदारी पर सवाल उठाए हैं। इस वजह से अब सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तनाव और बढ़ा सकता है।