प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार 21 सितंबर की शाम को देश को संबोधित किया। उनका भाषण मुख्य रूप से सोमवार 22 सितंबर से लागू होने जा रहे जीएसटी सुधारों पर था। लेकिन विपक्ष ने मोदी के भाषण को खारिज कर दिया। कांग्रेस, शिवसेना यूबीटी, आम आदमी पार्टी ने बयान जारी कर मोदी के भाषण को तथ्यात्मक रूप से जनता को गुमराह करने वाला बतया। कांग्रेस ने पिछले 11 वर्षों में जीएसटी की वसूली की याद दिलाई। आप ने कहा कि विदेशी वस्तुएं इस्तेमाल करने वाला प्रधानमंत्री स्वदेशी पर भाषण दे रहा है। सबसे रोचक प्रतिक्रिया कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की रही।
खड़गे ने मोदी के भाषण की तुलनना इस तरह की। उन्होने कहा- नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज को। खड़गे ने मोदी को संबोधित ट्वीट में एक्स पर कहा- आपकी सरकार ने कांग्रेस के सरल और कुशल GST के बजाय, अलग-अलग 9 स्लैब से वसूली कर “गब्बर सिंह टैक्स” लगाया और 8 साल में ₹55 लाख करोड़ से ज़्यादा वसूले। अब आप ₹2.5 लाख करोड़ के “बचत उत्सव” की बात कर के जनता को गहरे घाव देने के बाद मामूली बैंड ऐड लगाने की बात कर रहे हैं! कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा- जनता कभी नहीं भूलेगी कि आपने उनके दाल-चावल-अनाज, पेंसिल, किताबें, इलाज, किसानों के ट्रैक्टर सबसे GST वसूला था। आपकी सरकार को तो जनता से माफ़ी माँगनी चाहिये!
जयराम रमेश की मोदी के भाषण पर प्रतिक्रिया
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा- आज (रविवार) प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए जीएसटी काउंसिल, जो एक संवैधानिक निकाय है, द्वारा किए गए संशोधनों का पूरा श्रेय खुद को देने की कोशिश की। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस लंबे समय से यह तर्क देती आई है कि GST वास्तव में Growth Suppressing Tax है। इसमें कई समस्याएँ हैं -उच्च संख्या में टैक्स स्लैब, आम उपभोग की वस्तुओं पर दंडात्मक कर दरें, बड़े पैमाने पर चोरी और गलत वर्गीकरण, महंगी औपचारिकताओं का बोझ और एक उल्टा शुल्क ढाँचा (जहाँ आउटपुट पर इनपुट की तुलना में कम टैक्स लगता है)। हमने जुलाई 2017 से ही GST 2.0 की माँग की थी। यह लोकसभा चुनाव 2024 के लिए हमारे न्याय पत्र में एक प्रमुख वादा भी था।

रमेश ने वर्तमान जीएसटी सुधारों को अपर्याप्त बताते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था में प्रमुख रोजगार सृजनकर्ता एमएसएमई की व्यापक चिंताओं का सार्थक समाधान किया जाना चाहिए। बड़े परिवर्तनों के अलावा, इसमें अंतरराज्यीय आपूर्ति पर लागू होने वाली सीमाओं को और बढ़ाना शामिल है। विभिन्न सेक्टर से उभरे मुद्दे जैसे वस्त्र, पर्यटन, निर्यातक, हस्तशिल्प और कृषि इनपुट इनका समाधान किया जाना चाहिए। राज्यों को राज्य-स्तरीय जीएसटी लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, ताकि बिजली, शराब, पेट्रोलियम और रियल एस्टेट को भी इसके दायरे में लाया जा सके। सहकारी संघवाद की सच्ची भावना में राज्यों की प्रमुख माँग यानी उनके राजस्व की पूरी सुरक्षा के लिए मुआवज़े को पाँच और वर्षों तक बढ़ाया जाए -इस पर अभी तक ध्यान नहीं दिया गया है।

आप के संजय सिंह भी मोदी के भाषण पर बोले

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने कहा- जब GST लागू किया गया तो ऐसे बखान किया जैसे अर्थव्यवस्था में क्रांति आने वाली है लेकिन देश की जनता की कमर तोड़ दी गई। आज प्रधानमंत्री जी को 8 साल बाद याद आया कि GST कम करना है, फिर देश की जनता को 8 साल तक लूटा क्यों था? स्वदेशी का राग अलापा जा रहा है लेकिन ख़ुद विदेशी घड़ी, चश्मा, हेलीकॉप्टर, गाड़ी सब इस्तेमाल करना है। चीन के साथ 39 लाख करोड़ का आयात किया जब गलवान में हमारे जवानों को शहीद किया गया।

शिवसेना यूबीटी ने मोदी का भाषण खारिज किया 

शिवसेना (UBT) नेता आनंद दुबे ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कुछ भी नया नहीं कहा। अगर यह नया GST अच्छा है, तो इसका मतलब है कि पिछले 7-8 सालों से चले आ रहे GST स्लैब लोगों के लिए उपयुक्त नहीं थे और खराब थे?...।"