पिछले कई दिनों से तब्लीग़ी जमात और दिल्ली के हज़रत निज़ामुद्दीन स्थित उसका मरकज़ तमाम मीडिया चैनलों और अख़बारों की सुर्ख़ियाँ बना हुआ है। कई चैनलों ने मरकज़ को कोरोना वायरस का एपी सेंटर क़रार दे दिया है। मीडिया का एक बड़ा हिस्सा तब्लीग़ी जमात को विलेन साबित करने पर भी तुला हुआ है।
तब्लीग़ी जमात विलेन है या इसलाम सिखाने की जमात?
- देश
- |
- |
- 2 Apr, 2020

पिछले कई दिनों से तब्लीग़ी जमात और दिल्ली के हज़रत निज़ामुद्दीन स्थित उसका मरकज़ तमाम मीडिया चैनलों और अख़बारों की सुर्ख़ियाँ बना हुआ है। ऐसे में सवाल यह है कि तब्लीग़ी जमात क्या है?
अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी ने भी तब्लीग़ी जमात को आतंक का स्रोत क़रार दे दिया है। वहीं उत्तर प्रदेश के शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिज़वी ने तब्लीग़ी जमात के सदर को फाँसी की सज़ा देने की माँग की है। ऐसे में सवाल यह है कि तब्लीग़ी जमात क्या है?
तब्लीग़ी जमात की शुरुआत
तब्लीग़ी जमात की स्थापना 1927 में एक सुधारवादी धार्मिक आंदोलन के तौर पर हुई थी। मौलाना मुहम्मद इलियास कांधलवी ने इसकी शुरुआत की थी। यह धार्मिक आंदोलन इसलाम की देवबंदी विचारधारा से प्रभावित और प्रेरित है। मौलाना मुहम्मद इलियास उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले के कांधला गाँव में पैदा हुए थे।