पहला चरण
आपके देश में कोरोना वायरस के कुछ मामले आने लगते हैं। लगता है, कोई चिंता की बात नहीं है, यह सिर्फ़ सामान्य सर्दी-जुकाम है। मैं 75 वर्ष से ज़्यादा उम्र का नहीं हूँ इसलिए मुझे क्या होगा? सबलोग यूँ ही बढ़ाचढ़ा कर बोल रहे हैं।दूसरा चरण
केसों की संख्या काफ़ी बढ़ने लगती है।वे रेड ज़ोन घोषित करते हैं और एक या दो शहरों को क्वैरेंटाइन करते हैं जहाँ सबसे पहले कुछ मामले आए (22 फ़रवरी)।यह दुखद है और कुछ चिंताजनक भी लेकिन वे अपना ध्यान रख रहे हैं और इसलिए घबराने की ज़रूरत नहीं है। कुछ लोगों की मौत होती है लेकिन वे बुजुर्ग हैं इसलिए मीडिया पैनिक फैला रहा है, कितना शर्मनाक है यह।लोग पहले की तरह ही रहते हैं... दोस्तों से मिलना भी बंद नहीं करते हैं। लगता है, सब लोग ठीक हैं।
तीसरा चरण
कोरोना वायरस पॉजिटिव मामलों की संख्या काफ़ी तेज़ी से बढ़ने लगी। एक दिन में ही संख्या दोगुनी हो गई। कई मौतें हुईं। रेड ज़ोन घोषित किए गए उन 4 क्षेत्रों को क्वैरेंटाइन किया गया जहाँ ज़्यादा मामले आए। (7 मार्च)इटली के 25 फ़ीसदी हिस्से को क्वैरेंटाइन किया गया। स्कूल और विश्वविद्यालय बंद कर दिए गए, लेकिन बार, रेस्त्राँ और कार्यस्थल फिर भी खुले थे।
रेड ज़ोन क्षेत्र से उसी रात क़रीब 10 हज़ार लोग निकलते हैं और इटली के दूसरे बाक़ी हिस्से में अपने-अपने क्षेत्रों में अपने घर चले जाते हैं।
इटली के 75 फ़ीसदी हिस्से में लोग वही करना जारी रखते हैं जिस तरह से वे पहले रह रहे थे। वे लोग अभी भी स्थिति की गंभीरता को नहीं समझते हैं।चौथा चरण
मामले बेतहाशा बढ़ते जाते हैं। सभी जगह स्कूल और विश्वविद्यालय एक महीने के लिए बंद कर दिए जाते हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया जाता है।हॉस्पिटल फुल हो जाते हैं। सभी यूनिटों को कोरोना वायरस के मरीजों के लिए रखा जाता है। डॉक्टरों और नर्सों की कमी हो जाती है। सेवानिवृत्त डॉक्टरों और डॉक्टर का कोर्स पूरा होने में दो साल बाक़ी रहने वाले छात्रों को भी लगाया जाता है। शिफ़्ट सिस्टम ख़त्म, जितना ज़्यादा काम कर सकते हैं उतना करिए। डॉक्टर और उनके परिवार वाले भी संक्रमित हो जाते हैं।
न्यूमोनिया के काफ़ी मामले आ जाते हैं। आईसीयू में जगह कम पड़ जाती है। मरीजों के ज़िंदा रहने की संभावना के आधार पर डॉक्टर इलाज करने को मजबूर होते हैं।हॉस्पिटलों में जगह नहीं थी इसलिए लोगों की मौतें हुईं। एक दोस्त के रिश्तेदार की इसलिए मौत हो गई क्योंकि उनका इलाज नहीं हो सका। अफरा-तफरी का माहौल बन गया, सिस्टम कोलैप्स करने लगा।
पाँचवाँ चरण
10 हज़ार लोगों के रेड ज़ोन से भागने के बाद 9 मार्च को पूरे देश को क्वैरेंटाइन के अंदर घोषित किया गया।लोग काम पर अभी भी जा रहे थे, शॉपिंग करने जा रहे थे, व्यापार भी खुले थे क्योंकि अर्थव्यवस्था प्रभावित होती। लोगों में डर है, कुछ लोग मास्क लगाए हैं, लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे भी लोग हैं जिन्हें लगता है कि उन्हें कुछ नहीं हो सकता है। बड़े-बड़े समूहों में रेस्त्राँ में जाते हैं, दोस्तों के साथ घूमते हैं, ड्रिंक करते हैं और ऐसे ही काम बदस्तूर जारी रखते हैं।
छठा चरण
दो दिन बाद घोषणा की जाती है कि सभी तरह के व्यापार, बार, रेस्त्राँ, शॉपिंग सेंटर, सभी तरह की दुकानें आदि बंद की जाती हैं। सिर्फ़ सुपरमार्केट और फ़ार्मेसी खुले हैं। आप बाहर तभी जा सकते हैं जब आपके पास इसके लिए सर्टिफ़िकेट हो। इसमें यह जानकारी देनी होगी कि आपका नाम क्या है, कहाँ से आ रहे हैं, कहाँ जा रहे हैं और क्या काम है। पुलिस चेक प्वाइंट बनाए गए हैं। यदि बिना किसी कारण के बाहर पकड़े जाते हैं तो क़रीब 16000 रुपए का जुर्माना देना होगा। यदि आपको पता है कि आप कोरोना वायरस पॉजिटिव हैं और बाहर घूम रहे हैं तो एक से 12 साल तक जेल की सज़ा भी हो सकती है।तीसरे चरण से लेकर छठे चरण में सिर्फ़ पाँच दिन का फासला है। आख़िर में इस ट्वीट में चेताया गया है कि इस समस्या का समाधान लापरवाही बरतने से नहीं होगा।
यह ट्वीट 15 मार्च को किया गया था। इसके बाद से अब तक स्थिति और बिगड़ी ही है। चीन के बाद इटली सबसे ज़्यादा प्रभावित देश है। वहाँ 31 हज़ार से ज़्यादा लोग कोरोना वायरस से पीड़ित हैं। 2500 से ज़्यादा लोगों की मौतें हो गईं हैं। चीन में जहाँ फ़िलहाल क़रीब 8000 पॉजिटिव केस हैं वहीं इटली में 26000 से ज़्यादा हैं।