हर रोज़ भेदभाव और अपमान झेलते रहे दलितों को हाथरस मामले ने किस हद तक झकझोर दिया है, इसका इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इस घटना के बाद 236 दलितों ने बौद्ध धर्म अपना लिया है। वह भी एनसीआर में ही।
हाथरस घटना के बाद एनसीआर में 236 दलित क्यों बन गए बौद्ध?
- देश
- |
- |
- 21 Oct, 2020

दलित उत्पीड़न से हटकर भेदभाव और अपमान की बात ही करें तो अधिकतर सवर्ण अभी भी दलितों को अक्सर उनको जाति सूचक शब्दों से बुलाते हैं। जाति सूचक गालियाँ दिए जाने के मामले भी आते रहे हैं। अभी भी दलितों से छुआछूत जैसी दकियानूसी मानसिकता रखी जाती है। यह सिर्फ़ गाँवों की बात ही नहीं है बल्कि शहरों में भी यह सामंती मानसिकता बैठी हुई है। अच्छे-खासे पढ़े लिखे लोगों में भी।
धर्म परिवर्तन करने वाले के हवाले से 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने यह रिपोर्ट दी है। बौद्ध धर्म अपनाने वाले पवन वाल्मीकि ने कहा कि वह, उनके परिवार और कई पड़ोसियों ने 14 अक्टूबर को बौद्ध धर्म अपना लिया। उन्होंने कहा कि करेरा के 236 लोग डॉ. भीमराव आंबेडकर के भाई के पड़पोते राजरतन आंबेडकर की उपस्थिति में बौद्ध धर्म ग्रहण किया। उनका कहना है कि वे पीढ़ियों से ऐसा भेदभाव और अपमान सहते आए हैं, लेकिन हाथरस मामले ने उनको हिलाकर रख दिया। इस मामले में सरकारी मशीनरी के रवैये ने रही-सही कसर भी पूरी कर दी।