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दारुल उलूम देवबंद (सहारनपुर)

गजवा-ए-हिन्द विवाद में दारुल उलूम देवबंद घिरा, लेकिन क्या उसने समर्थन किया?

इस्लामिक किताबों में गजवा-ए-हिंद की अवधारणा (Concept) को लेकर दिए गए स्पष्टीकरण ने मदरसा दारुल उलूम देवबंद को विवादों में ला दिया है। भाजपा और दक्षिणपंथी मीडिया ने आरोप लगाया है कि यह मदरसा बच्चों को 'जिहाद' सिखा रहा है।' राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने कथित फतवे को लेकर कानूनी कार्रवाई की मांग की है। उसने यूपी सरकार को सहारनपुर स्थित इस्लामिक शिक्षा केंद्र दारुल उलूम देवबंद के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश जारी किया है। इस संबंध में दारुल उलूम देवबंद में उनके दो फोन नंबरों पर फोन करके सत्य हिन्दी ने मदरसे का पक्ष जानना चाहा, लेकिन दोनों नंबर से कोई जवाब नहीं मिला, रिंग जाती रही। 

एनसीपीसीआर के चेयरपर्सन प्रियंक कानूनगो ने सहारनपुर के एसएसपी और डीएम को पत्र लिखकर कहा कि "फतवा बच्चों को अपने ही देश के खिलाफ नफरत के लिए प्रेरित कर रहा है और अंततः उन्हें अनावश्यक मानसिक या शारीरिक पीड़ा पहुंचा रहा है।" गजवा-ए-हिंद दरअसल भारतीय उपमहाद्वीप में एक कथित लड़ाई के बारे में भविष्यवाणी का जिक्र करता है। किसी इंटरनेट यूजर ने दारुल उलूम से ऑनलाइन पूछा था कि क्या हदीस में गजवा-ए-हिंद का जिक्र है। जवाब में, दारुल उलूम देवबंद ने सुन्नी इस्लाम में हदीस के छह प्रमुख संग्रहों में से एक 'सुनन अन-नसाई' (Sunan an-Nasai) से एक हदीस का संदर्भ दिया, जिसमें गजवा-ए-हिंद का उल्लेख है।

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दारुल उलूम ने पैगंबर मोहम्मद के सहाबा (साथी) हजरत अबू हुरैरा द्वारा सुनाई गई एक हदीस का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने गजवा-ए-हिंद में भाग लेने की इच्छा व्यक्त करते हुए कहा था, “मैं इसके लिए लड़ूंगा और इसके लिए अपनी सारी संपत्ति कुर्बान कर दूंगा। अगर मैं मर जाऊं तो बहुत बड़ा बलिदानी बनूंगा. यदि मैं जीवित रहा तो मुझे 'गाजी' (एक महान योद्धा) कहा जाएगा।“ अबू हुरैरा की जिस हदीस को मदरसा दारुल उलूम ने कोट किया है, वो भारत के संदर्भ में नहीं है। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने समय-समय पर बताया है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने गजवा ए हिन्द के नाम से आतंकियों का संगठन बनाया हुआ है। भारत में छापों के दौरान गजवा ए हिन्द के कुछ पर्चे भी बरामद किए। लेकिन किसी भी भारतीय खुफिया एजेंसी ने इस संगठन को कभी भी रसूल के सहाबी से नहीं जोड़ा। उनकी नजर में गजवा ए हिन्द एक आतंकी संगठन है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने पिछले दिनों इस संगठनों को लेकर छापे भी मारे हैं। 

दारूल उलूम देवबंद का कथित फतवा और अधिक स्पष्टता से आना चाहिए था। सवाल पूछने वाले शख्स ने शाररतपूर्ण ढंग से सवाल में इंडिया शब्द लिखा है। लेकिन दारुल उलूम की ओर से जवाब देने वाले मौलवी ने इंडिया शब्द पर ध्यान नहीं दिया और न सवाल पूछने वाले की शरारत पर ध्यान दिया। उसने गजवा ए हिन्द की अवधारणा बताने के चक्कर में सब गुड़गोबर कर दिया। स्पष्ट न होने के कारण दक्षिणपंथी संगठन इसे भारत के विरोध में मान रहे हैं। मीडिया में भी मदरसे की व्याख्या जिस तरह से की जा रही है, वो चिन्ताजनक हैं। कहा जा रहा है कि इस मुद्दे को यह कहकर सनसनीखेज बनाया गया है कि दारुल उलूम देवबंद ने जिहाद भड़काने वाला फतवा जारी किया है।

दारुल उलूम देवबंद की अभी तक कोई सफाई नहीं आई है। लेकिन नाम न छापने की शर्त पर कुछ मौलवियों ने स्पष्ट किया कि ग़ज़वा-ए-हिंद के बारे में हदीस को एक काल्पनिक संदर्भ में समझा जाना चाहिए, न कि कार्रवाई के आह्वान के रूप में। यानी वो भारत के संदर्भ में कहीं से नहीं है। मौलवियों का कहना है कि दारुल उलूम देवबंद को अपनी बात या कथित फतवा और स्पष्ट तरीके से बताना चाहिए था। यह सारी गलतफहमी है। दारुल उलूम देवबंद की स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वहां से ऐसा फतवा जारी होने का सवाल ही पैदा नहीं होता और न जारी हुआ है।

इस बीच, सहारनपुर के जिला मजिस्ट्रेट, दिनेश चंद्र ने कहा, “एनसीपीसीआर ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया है। एसडीएम देवबंद और पुलिस दारुल उलूम गए हैं। आगे की कार्रवाई जल्द की जाएगी।” एनसीपीसीआर ने जिला प्रशासन से दारुल उलूम की वेबसाइट की जांच करने का अनुरोध करते हुए कहा है कि इसके जरिए देश की जनता को गुमराह किया जा रहा है।

बहरहाल, भाजपा ने दारुल उलूम देवबंद पर कार्रवाई की मांग तेज कर दी है। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने मदरसे के रुख को संविधान विरोधी और पाकिस्तान समर्थक करार दिया। प्रेम शुक्ला ने कहा, "इससे साफ संकेत मिलता है कि दारुल उलूम को बाबा साहेब आम्बेडकर के संविधान, भारत के संविधान में कोई आस्था नहीं है।"

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एनआईए कर रही है जांच

नवंबर 2023 में पीटीआई की रिपोर्ट में कहा गया था कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने बिहार में पाकिस्तान समर्थित गजवा-ए-हिंद आतंकी मॉड्यूल मामले की जांच के सिलसिले में चार राज्यों में एक साथ छापेमारी की। एनआईए के प्रवक्ता ने पीटीआई को बताया था कि ये छापे मध्य प्रदेश के देवास, गुजरात के गिर सोमनाथ, उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ और केरल के कोझिकोड में संदिग्धों के परिसरों पर की गई। प्रवक्ता ने कहा कि छापे के दौरान कई आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल उपकरण जब्त किए गए। एनआईए प्रवक्ता के मुताबिक "भारत में गजवा-ए-हिंद की स्थापना के नाम पर प्रभावशाली युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के उद्देश्य से, समूह को पाकिस्तान स्थित संदिग्धों द्वारा संचालित किया जा रहा है।"

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यूसुफ किरमानी
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