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धर्मांतरण, घुसपैठ से हो रहा आबादी का असंतुलन: आरएसएस

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने कहा है कि धर्मांतरण और देश के सीमावर्ती इलाकों में हो रही घुसपैठ से आबादी का असंतुलन बढ़ रहा है। होसबाले ने सख्त धर्मांतरण विरोधी कानून बनाने की मांग की है। उन्होंने यह बात प्रयागराज में आरएसएस की 4 दिन तक चली एक अहम बैठक के बाद पत्रकारों से कही। इस बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल हुए। 

जनसंख्या नीति की वकालत

होसबाले ने कहा कि संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में, देश में जारी धर्मांतरण के बारे में चिंता व्यक्त की गई और जनसंख्या नीति तैयार करने और इसे सभी पर एक समान ढंग से लागू करने का आह्वान किया गया। 

होसबाले ने कहा कि धर्मांतरण के जो लिए जो वर्तमान में कानून है उनको सख्ती से लागू किए जाने की भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि संघ का यह मानना है कि धर्मांतरण कर चुके लोगों को आरक्षण का फायदा नहीं मिलना चाहिए। 

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उन्होंने कहा कि बांग्लादेश से हो रही घुसपैठ की वजह से उत्तरी बिहार के कई जिलों में आबादी का असंतुलन पैदा हो गया है। इन जिलों में पूर्णिया और कटिहार शामिल हैं। संघ के महासचिव ने कहा कि कुछ अन्य राज्यों में भी ऐसा हुआ है और इसलिए संघ का कहना है कि इस विषय पर विचार किया जाना चाहिए। 

भागवत ने उठाया था मुद्दा

5 अक्टूबर को दशहरे के मौके पर दिए गए अपने संबोधन में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी जनसंख्या नीति की मांग की थी और कहा था कि धार्मिक आबादी के असंतुलन को नजरअंदाज ना किया जाए। 

संघ प्रमुख ने जबरन धर्मांतरण का हवाला देते हुए कहा था कि देश को तोड़ने के लिए इन चीजों का इस्तेमाल हो रहा है और अगर इसके खिलाफ आवश्यक कदम नहीं उठाए गए तो मुश्किलें बढ़ेंगी। 

उन्होंने पूर्वी तिमोर, कोसोवो और दक्षिण सूडान का जिक्र करते हुए कहा था कि वहां एक बड़ी आबादी में धर्मों के बीच असंतुलन के कारण नए देश बन गए हैं।

Dattatreya Hosabale Conversion infiltration causing population imbalance - Satya Hindi

हिंदुओं की संख्या घटी 

होसबाले ने दावा किया कि धर्मांतरण के कारण भारत के कई इलाकों में हिंदुओं की संख्या घट गई है और इसके गंभीर परिणाम भी सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीमाई इलाकों से हो रही घुसपैठ की वजह से सामाजिक और आर्थिक तनाव बढ़े हैं। होसबाले ने कहा कि आबादी के असंतुलन की वजह से अतीत में भारत सहित कई देशों में विभाजन तक हो चुका है। 

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, उन्होंने दावा किया कि पिछले 40-50 सालों में जनसंख्या नियंत्रण पर जोर दिए जाने के कारण परिवारों में सदस्यों का जो औसत आंकड़ा 3.4 था, वह घटकर 1.9 सदस्यों का रह गया है। उन्होंने कहा कि इस वजह से बुजुर्गों की संख्या युवाओं से ज्यादा हो सकती है और यह चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि भारत के युवा देश बने रहने के लिए जनसंख्या संतुलन होना जरूरी है। 

Dattatreya Hosabale Conversion infiltration causing population imbalance - Satya Hindi

उन्होंने कहा कि घर वापसी के कार्यक्रम का अच्छा नतीजा देखने को मिला है। घर वापसी के तहत दूसरे धर्मों में जा चुके लोगों को पिछले कुछ सालों में हिंदू धर्म में वापस लाया गया है। 

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ संघ की बातचीत को लेकर पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस तरह की बातचीत पिछले 40 सालों से लगातार चल रही है। बताना होगा कि अगस्त महीने में 5 मुसलिम बुद्धिजीवियों ने संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की थी। इसके बाद संघ प्रमुख दिल्ली की एक मस्जिद में गए थे और वहां उन्होंने ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष से भेंट की थी। 

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संघ से उलट हालांकि केंद्र सरकार के कुछ मंत्री जनसंख्या नियंत्रण कानून के विचार से सहमत नहीं हैं। इस साल अप्रैल में इस तरह के कानून के लिए राज्यसभा में राकेश सिन्हा के विधेयक पर चर्चा के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा था कि परिवार नियोजन जागरूकता और सुलभ स्वास्थ्य सेवा ने वैसे भी जनसंख्या को स्थिर कर दिया है और कुल प्रजनन दर लगभग 2% तक गिर गई है। सिन्हा ने बाद में अपना विधेयक वापस ले लिया था। विपक्षी सांसदों का कहना था कि परिवार नियोजन जबरदस्ती का मामला नहीं होना चाहिए।

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क़मर वहीद नक़वी
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