SSC candidate lathicharged in Delhi: दिल्ली पुलिस ने रात के अंधेरे में रामलीला मैदान में SSC परीक्षा अनियमितताओं के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे युवकों पर बर्बर लाठीचार्ज किया। 40 से अधिक छात्र हिरासत में। विपक्ष ने इसकी कड़ी निन्दा की है।
रामलीला मैदान में धरना दे रहे एसएससी कैंडिडेट्स पर दिल्ली पुलिस ने लाठी चार्ज किया
दिल्ली के रामलीला मैदान में कर्मचारी चयन आयोग (SSC) की परीक्षाओं गड़बड़ियों को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे SSC कैंडिडेट्स पर दिल्ली पुलिस ने रविवार देर रात बर्बर लाठीचार्ज किया। आरोप है कि पहले धरना स्थल की लाइट काटी गई, उसके बाद पुलिस ने इन पर लाठीचार्ज किया। इस घटना में कई टीचरों ने घायल होने का भी आरोप लगाया है। करीब 44 छात्रों को हिरासत में लिया गया। प्रदर्शनकारी SSC की भर्ती प्रक्रिया में कुप्रबंधन, तकनीकी खामियों, और पारदर्शिता की कमी जैसे मुद्दों को उठा रहे हैं। देशभर से दिल्ली के रामलीला मैदान में इन लोगों का प्रदर्शन चल रहा है। पुलिस कार्रवाई की कांग्रेस पार्टी सहित कई नेताओं ने कड़ी निंदा की है।
प्रदर्शन का कारण और छात्रों का आक्रोश
रामलीला मैदान में देशभर से आए हजारों छात्रों और शिक्षकों ने 'छात्र महा आंदोलन' के बैनर तले SSC की चयन प्रक्रिया में सुधार की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। अभ्यर्थियों का आरोप है कि SSC की चरण 13 भर्ती परीक्षा, जो 24 जुलाई से 1 अगस्त तक आयोजित की गई थी, में कई अनियमितताएं थीं। इनमें परीक्षा केंद्रों पर तकनीकी खामियां, अचानक परीक्षा रद्द होना, और दूर-दराज के केंद्रों का आवंटन शामिल है। कई छात्रों को 400-500 किलोमीटर दूर केंद्र आवंटित किए गए, और वहां पहुंचने पर उन्हें बिना पूर्व सूचना के परीक्षा रद्द होने की जानकारी मिली।
रात के अंधेरे में छात्रों को पीटने की वजह आखिर क्या है
प्रदर्शन के दौरान, पुलिस ने रात में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बिजली काट दी और लाठीचार्ज किया। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में पुलिस द्वारा छात्रों के साथ धक्का-मुक्की और लाठीचार्ज की तस्वीरें सामने आई हैं। अधिकारियों का कहना है कि लगभग 15,000 प्रदर्शनकारी मैदान में जमा हुए थे, जिनमें से करीब 100 ने अनुमति समय के बाद प्रदर्शन जारी रखने की कोशिश की, जिसके बाद 44 लोगों को हिरासत में लिया गया। हालांकि, प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि पुलिस ने गैरकानूनी तरीके से उन्हें हटाने की कोशिश की और शांतिपूर्ण प्रदर्शन को दबाने के लिए बल प्रयोग किया।
राहुल गांधी का मोदी सरकार पर हमला
नेता विपक्ष राहुल गांधी ने एसएससी कैंडिडेट्स पर रात के अंधेरे में लाठी चार्ज की कड़ी निन्दा की है। राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा है-रामलीला मैदान में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे SSC कैंडिडेट्स और शिक्षकों पर बर्बर लाठीचार्ज शर्मनाक ही नहीं, एक डरपोक सरकार की पहचान है। युवाओं ने सिर्फ़ अपना हक़ मांगा था- रोज़गार और न्याय। मिली क्या? लाठियां। साफ़ है- मोदी सरकार को न देश के युवाओं की चिंता है, न उनके भविष्य की। क्यों हो? ये सरकार जनता के वोटों से नहीं, वोट चुराकर सत्ता में आई है। राहुल ने कहा- पहले वोट चुराएंगे फिर परीक्षा चुराएंगे फिर नौकरियां चुराएंगे फिर आपका हक़ और आवाज़। दोनों कुचल देंगे! युवाओं, किसानों, गरीबों, बहुजनों और अल्पसंख्यकों- आपका वोट इन्हें चाहिए नहीं, इसलिए आपकी मांगे कभी इनकी प्राथमिकता नहीं होंगी। अब वक्त है- डरने का नहीं, डटकर मुकाबला करने का।
राजनीतिक दलों ने एसएससी छात्रों पर लाठीचार्ज की निन्दा की
कांग्रेस पार्टी ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए इसे लोकतंत्र पर हमला करार दिया है। इंडियन नेशनल कांग्रेस (INC) ने अपने आधिकारिक X अकाउंट पर लिखा, "मोदी सरकार ने रात में पुलिस भेजकर SSC छात्रों के आंदोलन को कुचलने की कोशिश की है। यह सरासर गलत है, इसकी जितनी निंदा की जाए वो कम है।" पार्टी ने कहा कि छात्र महीनों से SSC में सुधार की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी आवाज को दबाने के लिए बल प्रयोग किया गया।
आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष और सांसद चंद्रशेखर आजाद ने भी इस कार्रवाई की निंदा की। उन्होंने कहा,
दिल्ली के रामलीला मैदान में देशभर से आए हज़ारों SSC अभ्यर्थी और शिक्षक शांतिपूर्ण ढंग से SSC के कुप्रबंधन और प्रशासनिक विफलताओं के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे थे। लेकिन छात्रों की जायज़ माँगों को सुनने के बजाय उन पर लाठीचार्ज किया गया! इतना ही नहीं, प्रोटेस्ट को कवर करने पहुँचे पत्रकारों को भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया। पत्रकारों के माइक और मोबाइल फोन तक छीन लिए गए। यह साफ़ दिखाता है कि सरकार सिर्फ़ छात्रों की आवाज़ नहीं, बल्कि सच्चाई दिखाने वाली पत्रकारिता को भी दबाना चाहती है। सांसद चंद्रशेखर ने कहा- छात्रों पर लाठीचार्ज कर सरकार ने साबित कर दिया है कि “उसे युवाओं की मेहनत और सपनों से कोई मतलब नहीं, वह सिर्फ़ छात्रों की आवाज़ को हिंसा से कुचलना जानती है।” हम प्रधानमंत्री जी से पूछते हैं- क्या अपने हक़ और भविष्य की लड़ाई लड़ना अब गुनाह है? क्या लोकतंत्र में छात्रों की आवाज़ का स्वागत लाठियों से किया जाएगा? भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर ने कहा- यह संघर्ष सिर्फ़ SSC अभ्यर्थियों का नहीं, बल्कि देश के हर उस युवा का है, जिसका हक़ छीना जा रहा है। लाठियाँ आंदोलन की चिंगारी को बुझा नहीं सकतीं, बल्कि यह चिंगारी अब महाविस्फोट बनेगी।
छात्रों की मांगें और भविष्य की रणनीति
प्रदर्शनकारी SSC की भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता, नियमित ऑडिट, और तकनीकी खामियों को दूर करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि एक ब्लैकलिस्टेड कंपनी को परीक्षा आयोजित करने की जिम्मेदारी देना उनकी मेहनत और भविष्य के साथ खिलवाड़ है। प्रदर्शन के आयोजकों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे। सोशल मीडिया पर #SSCSystemSudharo और #SSCMisManagement जैसे हैशटैग के साथ अभ्यर्थी अपनी मांगों को जोर-शोर से उठा रहे हैं।
SSC की प्रतिक्रिया
SSC चेयरमैन एस. गोपालकृष्णन ने स्वीकार किया कि परीक्षा के दौरान कुछ तकनीकी समस्याएं थीं। उन्होंने कहा, "नए एजेंसी के साथ यह पहली बार था, इसलिए कुछ प्रक्रियागत खामियां सामने आईं। हम इन समस्याओं को कम करने के लिए काम कर रहे हैं।" हालांकि, छात्रों का कहना है कि आयोग की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
रामलीला मैदान में SSC अभ्यर्थियों पर पुलिस कार्रवाई ने देशभर में आक्रोश पैदा कर दिया है। यह घटना न केवल SSC की भर्ती प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता को उजागर करती है, बल्कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार पर भी सवाल उठाती है। जैसे-जैसे यह आंदोलन गति पकड़ रहा है, सभी की निगाहें SSC और सरकार की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।