इस्कॉन मंदिर ढाका
अदालत ने बांग्लादेश सरकार को कानून-व्यवस्था ठीक करने और बांग्लादेश के नागरिकों के जीवन और संपत्ति की रक्षा करने की जरूरत पर जोर दिया। उसने कहा कि इस्कॉन बांग्लादेश पर प्रतिबंध लगाने की जरूरत नहीं है।
10 अन्य कानूनी पेशेवरों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वकील अल मामुन रसेल द्वारा पेश याचिका में सरकारी कानूनी अधिकारी एडवोकेट सैफुल इस्लाम की कथित हत्या के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की गई है।
याचिका में इस्कॉन को चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद विरोध प्रदर्शन के दौरान एक वकील की कथित हत्या से भी जोड़ा गया है, और इसे समूह की "कानून और व्यवस्था के प्रति घोर उपेक्षा" के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। इसमें इस्कॉन पर पारंपरिक हिंदू समुदायों पर अपनी मान्यताओं को थोपने के लिए सदस्यों को जबरन भर्ती करने, सनातन मंदिरों पर कब्जा करने, सनातन समुदाय के सदस्यों को बेदखल करने और यहां तक कि मस्जिदों पर हमला करने का भी आरोप लगाया गया है।
दास, जिन्हें राजद्रोह के मामले में सोमवार को गिरफ्तार किया गया था, को अदालत ने जमानत देने से इनकार कर दिया, जिसके कारण ढाका और चट्टोग्राम सहित कई शहरों में हिन्दू समुदाय के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन किया। वह इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन) के पूर्व सदस्य थे, हाल ही में उन्हें संगठन से निष्कासित कर दिया गया था।