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मोदी क्या कांग्रेस घोषणापत्र पर मुस्लिम लीग की छाप बताकर झूठ बोल रहे हैं?

कांग्रेस का घोषणापत्र 5 अप्रैल को जारी हुआ। 6 अप्रैल को मोदी की सहारनपुर में रैली थी। मोदी ने उस रैली में पहली बार कहा कि कांग्रेस के चुनाव घोषणापत्र पर मुस्लिम लीग की छाप है। यानी उन्हें कांग्रेस के घोषणात्र में मुस्लिम तुष्टिकरण दिखाई दिया और उन्होंने पूरे जोरशोर से हमला बोल दिया। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के घोषणापत्र पर लेफ्ट (वामपंथियों) की छाप है। यानी मोदी यह तय नहीं कर पाए कि किस आरोप पर टिके रहना है। लेकिन उनकी पार्टी के नेता समझ गए। वो पिल पड़े। तब से मोदी भी वही आरोप लगा रहे हैं। मोदी मंगलवार 9 अप्रैल को यूपी के पीलीभीत में थे। जिसमें उन्होंने फिर से कांग्रेस का घोषणापत्र मुस्लिम लीग के विचारों पर आधारित बताया और अयोध्या में कांग्रेस ने रामलला का अपमान किया है। 

क्या है कांग्रेस के घोषणापत्र में 

इस हमले से यह बात साफ हो गई कि कांग्रेस के घोषणापत्र को लेकर मोदी और भाजपा कहीं न कहीं असहज हैं। राम मंदिर को लेकर उनके बयानों को तवज्जों ही नहीं मिल रही है। कांग्रेस ने घोषणापत्र में अपनी प्राथमिकताओं को काफी स्पष्ट रूप से परिभाषित किया है। घोषणा पत्र में समानता और सामाजिक न्याय उसके एजेंडे में सबसे ऊपर है। युवा बेरोजगारी, जीएसटी के कारण व्यापारियों की परेशानी, किसानों की परेशानी, अचानक और पूर्ण नोटबंदी से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की बर्बादी, महिलाओं के खिलाफ अपराध, एससी, एसटी, अल्पसंख्यकों को इंसाफ की बात शामिल है। उसने केंद्र सरकार द्वारा संवैधानिक संस्थानों के अपहरण का आरोप लगाया है। इस समय चुनाव आयोग, ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल जिस तरह हो रहा है, वो किसी से छिपा नहीं है।

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भाजपा किस बात पर ज्यादा चिढ़ी

घोषणापत्र का सबसे स्पष्ट और साहसिक पहलू जातियों और उप-जातियों और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थितियों की गणना के लिए राष्ट्रव्यापी सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना आयोजित करने का वादा है। आंकड़ों के आधार पर सकारात्मक कार्रवाई का एजेंडा मजबूत होगा। कांग्रेस ने गारंटी दी है कि वह एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत बढ़ाने के लिए एक संवैधानिक संशोधन पारित करेगी। आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10 प्रतिशत का आरक्षण बिना किसी भेदभाव के सभी जातियों और समुदायों के लिए लागू किया जाएगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि एक वर्ष की अवधि के भीतर एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षित पदों की सभी बैकलॉग रिक्तियां भरी जाएंगी। कांग्रेस सरकार आने पर वो  सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में नियमित नौकरियों की कॉन्ट्रैक्ट व्यवस्था को समाप्त कर देगी और ऐसी नियुक्तियों का नियमितीकरण सुनिश्चित करेगी। नौकरियों को लेकर कानून भाजपा शासनकाल में बदले। मोदी का डर यही है कि अगर लोगों को सारी बातें याद आ गईं तो क्या होगा। श्रम कानूनों में बदलाव को लेकर मोदी सरकार ट्रेड यूनियनों के निशाने पर रही है।

भाजपा के तिलमिलाहट की और वजहेंः कांग्रेस ने कहा कि संविधान की रक्षा के लिए विशेष उपाय किए जाएंगे। क्योंकि 400 के पार का नारा देकर संविधान बदलने की बात भाजपा के लोगों ने की है। लेकिन कांग्रेस घोषणापत्र जरूर संविधान की रक्षा के प्रति प्रतिबद्धता दिखा रहा है। इसी तरह मानहानि अपराध कानून में भाजपा के बदलाव को रद्द करना, लोगों के शांतिपूर्वक और बिना हथियारों के इकट्ठा होने के अधिकार को बरकरार रखना; स्वतंत्र प्रेस और गोपनीयता को प्रभावित करने वाले कानूनों की समीक्षा करने और उन्हें निरस्त करने के लिए घोषणापत्र बात करता है। यह अपने मतदाताओं को असंवैधानिक कानूनों को निरस्त करने का आश्वासन देता है। कांग्रेस मेनिफेस्टो की यह लाइन महत्वपूर्ण है- "व्यक्तिगत स्वतंत्रता में हस्तक्षेप करने वाले सभी कानून निरस्त कर दिए जाएंगे।" एमएसनिफेस्टो भारत के चुनाव आयोग और अन्य वैधानिक निकायों को मजबूत करने और यह सुनिश्चित करने का वादा करता है कि संसद लोगों के प्रति जवाबदेह है।
क्रोनी कैपिटलिज्म पर हमले से पीएम मोदी खासे परेशान रहे हैं। संसद में अडानी समूह के खिलाफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने लंबे समय तक मोर्चा खोला। अब कांग्रेस का घोषणापत्र भी इसी तरफ इशारा कर रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारत में धन के पुनर्वितरण की वकालत करते हुए कहा है कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आई तो यह सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण कराएगी कि समाज के विभिन्न वर्गों को उनकी आबादी के अनुसार धन वितरित किया जाए। कांग्रेस का घोषणापत्र कहता है- अब देश में आर्थिक नीति को दोबारा स्थापित करने का समय आ गया है। हम नीतियों में उपयुक्त बदलावों के माध्यम से धन और आय की बढ़ती असमानता को संबोधित करेंगे।" यह बहुत बड़ी बात है। मोदी औऱ उनकी मंडली इन लाइनों और कांग्रेस के संकल्प को बहुत दूर तक देख रही है। यही वजह है कि वो बार-बार कांग्रेस के घोषणापत्र को मुस्लिम लीगी बताकर ध्यान बंटा रही है।

खड़गे का हमला

मोदी और भाजपा के लगातार हमले का जवाब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दिया है। खड़गे ने मोदी और भाजपा को उनके राजनीतिक और वैचारिक पूर्वजों का हवाला देते हुए कहा कि किस तरह उनके पूर्वजों की दोस्ती मुस्लिम लीग से रही है और किस तरह से उनके वैचारिक गुरु श्यामा प्रसाद मुकर्जी ने मुस्लिम और मोहम्मद अली जिन्ना के साथ अंग्रेजों में प्रोविंशियल सरकार तक चलाई थी। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को जवाबी हमला करते हुए कहा-  मोदी-शाह के राजनीतिक व वैचारिक पुरखों ने स्वतंत्रता आंदोलन में भारतीयों के ख़िलाफ़, अंग्रेज़ों और मुस्लिम लीग का साथ दिया। आज भी वो आम भारतीयों के योगदान से बनाए गए 'कांग्रेस न्याय पत्र' के ख़िलाफ़ मुस्लिम लीग की दुहाई दे रहे हैं।

खड़गे ने कहा- मोदी-शाह के पुरखों ने 1942 में "भारत छोड़ो" के दौरान, महात्मा गांधी के आवाहन व मौलाना आज़ाद की अध्यक्षता वाले आंदोलन का विरोध किया। सभी जानते है कि आपके पुरखों ने 1940's में मुस्लिम लीग के साथ मिलकर बंगाल, सिंध और NWFP में अपनी सरकार बनाई। खड़गे ने पूछा- क्या श्यामा प्रसाद मुख़र्जी ने तत्कालीन अंग्रेज़ी गवर्नर को ये नहीं लिखा कि 1942 के देश व कांग्रेस के भारत छोड़ो आंदोलन को कैसे दबाना चाहिए? और इसके लिए वे अंग्रज़ों का साथ देने के लिए तैयार है? मोदी-शाह व उनके मनोनीत अध्यक्ष आज कांग्रेस घोषणापत्र के बारे में उल्टी-सीधी भ्रांतियां फैला रहे हैं।

खड़गे ने पीएम मोदी का नाम लेते हुए कहा- मोदी जी के भाषणों में केवल आरएसएस की बू आती है, दिन पर दिन भाजपा की चुनावी हालत इतनी खस्ता होती जा रही है कि आरएसएस को अपने पुराने मित्र मुस्लिम लीग की याद सताने लगी है ! सच केवल एक है। कांग्रेस न्याय पत्र में हिंदुस्तान के 140 करोड़ लोगों की आशाओं व आकांक्षाओं की छाप है। उनकी सम्मिलित शक्ति, मोदी जी के 10 सालों के अन्याय काल का अंत करेगी।

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कांग्रेस सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म की अध्यक्ष सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि कांग्रेस के घोषणापत्र ने भाजपा के अंदर "घबराहट" पैदा कर दी है और चूंकि भाजपा 180 का आंकड़ा पार नहीं कर रही है, इसलिए मुस्लिम लीग के प्रति उसका प्रेम बढ़ गया है। सुप्रिया ने कहा- "दस साल तक सत्ता में रहने के बाद, जब देश चुनाव के कगार पर है और प्रधानमंत्री को अपना रिपोर्ट कार्ड दिखाना है और वोट मांगना है, तो वह घबरा गए हैं। वह फिर से अपनी उसी घिसी-पिटी हिंदू-मुस्लिम स्क्रिप्ट पर वापस आ गए हैं।" कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा- “मोदी जी इतने घबराए हुए हैं, इतने डरे हुए हैं, इतने डरे हुए हैं कि अपनी आने वाली हार के कारण वह फिर से बकवास कर रहे हैं। मीडिया, विशेषज्ञों और यहां तक ​​कि हमारे विरोधियों को भी यह स्वीकार करना होगा कि यह न्याय पत्र भविष्य के लिए एक उत्कृष्ट खाका है - जिसमें समाज के हर वर्ग को शामिल किया गया है - यही वह व्यापक दृष्टिकोण है जिसकी आज देश को आवश्यकता है।''

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क़मर वहीद नक़वी
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