चुनावी चंदे के इस सबसे बड़े खेल में सबसे ज्यादा चंदा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 69.86.5 करोड़ रुपये मिले। दूसरे नंबर पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) है, जिसे 1397 करोड़ रुपये मिले। कांग्रेस को 1334 करोड़ मिले। सीपीएम और सीपीआई भारत की दो ऐसी पार्टियां हैं जिन्होंने चुनावी बांड के जरिए चंदा लेने से इनकार कर दिया। दोनों ही कम्युनिस्ट दलों ने इलेक्ट्रोरल बांड के लिए अलग से कोई खाता खोलने से मना कर दिया था। तमिलनाडु की डीएमके एकमात्र ऐसी पार्टी है जिसने अपने डोनर्स का खुलासा किया था कि उसे कहां से कितने पैसे चंदे के रूप में मिले।
11 मार्च को, जब एसबीआई ने समय सीमा बढ़ाने की मांग की, तो सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और उसे 12 मार्च को शाम 5 बजे तक चुनाव आयोग को चुनावी बांड के विवरण का खुलासा भेजने का आदेश दिया। आरटीआई एक्टिविस्ट कमोडोर (रिटायर्ड) लोकेश बत्रा ने 13 मार्च को एसबीआई से संपर्क कर डिजिटल फॉर्म में चुनावी बांड का पूरा डेटा आरटीआई के तहत मांगा, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग को दिया गया था। लेकिन एसबीआई ने आरटीआई के तहत वही सूचना देने से इनकार कर दिया।