मोदी सरकार चुनावी बांड के माध्यम से अपने संदिग्ध लेनदेन को छिपाने के लिए हमारे देश के सबसे बड़े बैंक को ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रही है।
क्या सरकार आसानी से तमाम संदिग्ध सौदों को नहीं छिपा रही है, जहां राजमार्गों, बंदरगाहों, हवाई अड्डों, बिजली संयंत्रों आदि के कॉन्ट्रैक्ट इन अपारदर्शी चुनावी बांडों के बदले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबियों को सौंपे गए थे।
मोदी सरकार, पीएमओ और वित्त मंत्री ने भाजपा का खजाना भरने के लिए हर संस्थान - आरबीआई, चुनाव आयोग, संसद और विपक्ष को कुचल दिया है।
इस बीच कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को एसबीआई को "चुनावी बांड पर अपनी चालाकी से बच निकलने" की अनुमति नहीं देनी चाहिए। तिवारी ने कहा- "आम चुनाव से पहले लोगों को पता होना चाहिए कि किसने किससे क्या प्राप्त किया और क्या इसमें प्रथम दृष्टया कोई बदले की भावना शामिल थी?"