क्या गलवान में भारत-चीन सैन्य टकराव के दौरान कई हथियारों की डिलीवरी समय पर नहीं हो पाई, इससे सैन्य तैयारियों पर असर पड़ा था और इस वजह से सरकार ने अब हथियारों की खरीद की नीति बदल दी है? सरकार ने कहा है कि आपात स्थिति में खरीदे जाने वाले हथियारों और सैन्य उपकरणों की डिलीवरी एक साल के भीतर पूरी करनी ही होगी। यदि इस समय सीमा में डिलीवरी नहीं होती तो संबंधित अनुबंध रद्द कर दिया जाएगा। रक्षा मंत्रालय द्वारा लागू की जा रही इस नई नीति का मक़सद भारतीय सशस्त्र बलों की तैयारियों को बढ़ाना और भविष्य के संघर्षों के लिए उनकी युद्धक क्षमता को मजबूत करना है। तो क्या अब रक्षा आपूर्ति के समय पर नहीं होने की बार-बार आने वाली समस्या का समाधान हो जाएगा?
आपातकालीन हथियारों की सप्लाई में देरी, अब नीति बदलने से सब ठीक हो जाएगा?
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- 5 Sep, 2025
भारत में आपातकालीन हथियारों की सप्लाई में लगातार देरी चिंता का कारण रही है। अब सरकार की नई रक्षा नीति से क्या सब ठीक हो जाएगा या चुनौतियाँ बनी रहेंगी? पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

बहरहाल, रक्षा मंत्रालय ने आपातकालीन खरीद प्रक्रिया को और सख्त करने का निर्णय लिया है। इस नीति के तहत केवल वे हथियार और गोला-बारूद खरीदे जाएँगे जो बाज़ार में तुरंत उपलब्ध हों। द इंडियन एक्सप्रेस ने ख़बर दी है कि एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'अब आपातकालीन स्थिति से खरीदे जाने वाले सभी उपकरणों की डिलीवरी अनुबंध पर हस्ताक्षर होने के एक साल के भीतर होनी होगी। ऐसा न होने पर अनुबंध अपने आप रद्द हो जाएगा।' इस नीति का मक़सद यह है कि आपातकालीन खरीद में सैन्य उपकरण समय पर मिल जाएँ।