ऐसे समय जब केंद्र सरकार अपनी ज़िद पर अड़ी है कि कृषि क़ानून 2020 किसी सूरत में रद्द नहीं होंगे, किसानों ने इस आन्दोलन को देश के कोने-कोने में ले जाने का फ़ैसला किया है। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने करनाल के इंद्रा में हुई किसान महापंचायत में कहा कि जब तक माँगें नहीं मानी जाएंगी, सरकार को शांत होकर बैठने नहीं दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे किसान आन्दोलन के 40 नेता देश के कोने-कोने में जाएंगे और लोगों के सामने अपनी बातें रखेंगे।
सरकार की नीयत पर सवाल
राकेश टिकैत ने कहा कि ये कृषि क़ानून जन वितरण प्रणाली को चौपट कर देंगे। इससे किसान ही नहीं, छोटे व्यापारियों, मज़दूरों और समाज के दूसरे तबकों के लोगों को भी आर्थिक नुक़सान होगा।
भारतीय किसान यूनियन के इस नेता ने सरकार की मंशा पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा,
“
“पहले गोदाम बन गए, उसके बाद क़ानून बनाए गए। क्या किसान यह नहीं जानते कि ये क़ानून बड़े कॉरपोरेट घरानों के हित में हैं? इस देश में भूख पर व्यापार नहीं खड़ा होने दिया जाएगा।”
राकेश टिकैत, अध्यक्ष, भारतीय किसान यूनियन
'किसान हैं एकजुट'
उन्होंने कहा कि आन्दोलन के ‘पंच’ और ‘मंच’ यही रहेंगे, जो भी निर्णय लिया जाएगा, उसे सारे किसान मानेंगे।
इस महापंचायत में बलबीर सिंह राजेवाल, दर्शन पाल और हरियाणा बीकेयू प्रमुख गुरनाम सिंह चढ़ूनी भी मौजूद थे।
बता दें कि सितंबर, 2020, में पारित तीन कृषि क़ानूनों को वापस लेने की माँग पर अड़े हज़ारों किसान लगभग ढाई महीने से दिल्ली उत्तर प्रदेश व हरियाणा स्थित दिल्ली की सीमा पर बैठे हुए हैं। उनकी माँग इन तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने की है, सरकार का कहना है कि वह ज़रूरत पड़ने पर उन नियमों में संशोधन कर सकती है, पर वापस तो किसी कीमत पर नहीं लेगी। किसानों का कहना है कि उन्हें क़ानून वापस लेने से कम कुछ स्वीकार नहीं है।
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किसान महापंचायतों की धूम
किसान महापंचायतें जारी हैं और आने वाले कुछ दिनों में किसान देश के कई और राज्यों में भी महापंचायतें करेंगे।
किसान एकता मोर्चा ने कहा है कि 18 फरवरी को राजस्थान के गंगानगर, 19 फरवरी को हनुमानगढ़ और 23 फरवरी को सीकर में किसान महापंचायत का आयोजन किया जाएगा।
शुक्रवार को बहादुरगढ़ में हुई महापंचायत में आंदोलन की अगुवाई कर रहे किसान एकता मोर्चा ने एक बार फिर साफ किया कि जब तक कृषि क़ानून वापस नहीं होंगे और सरकार एमएसपी को लेकर गारंटी क़ानून नहीं बनाती, तब तक वे अपना आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे।
गुजरात में होगी किसान पंचायत
मुरादाबाद के बिलारी में भी किसान महापंचायत हुई। बहादुरगढ़ की किसान महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात में बैठकें करने की योजना बना रहे हैं। टिकैत ने कहा कि सरकार को किसानों से बातचीत करनी चाहिए। इस आंदोलन का विस्तार कई राज्यों में हो चुका है और आने वाले दिनों में कई राज्यों में महापंचायतें होंगी।
इसके पहले मुरादाबाद के बिलारी में हुई किसान महापंचायत में पहुंचे किसान नेता नरेश टिकैत ने कहा था कि किसानों को इस आंदोलन को मजबूत करना चाहिए। उन्होंने कहा था कि यह सरकार किसानों के लिए कुछ नहीं कर रही है। उन्होंने कृषि कानूनों को काला क़ानून बताया और कहा कि सरकार को ये क़ानून वापस लेने ही होंगे।
यूपी में हलचल
किसान महापंचायतों को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ज़बरदस्त हलचल है। मुज़फ्फरनगर से लेकर बाग़पत और मथुरा से लेकर बिजनौर और शामली में तक हुई महापंचायतों में बड़ी संख्या में किसान उमड़े हैं। आरएलडी भारतीय किसान यूनियन के साथ मिलकर भी किसान महापंचायतों का आयोजन कर रही है और अब कांग्रेस भी मैदान में उतर आई है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर हरियाणा, राजस्थान और उत्तरांखड में हुई महापंचायतों के बाद गुरुवार को लुधियाना के जगराओं में महापंचायत बुलाई गई। इसमें बड़ी संख्या में किसानों के साथ ही आम लोग जुटे और कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ लड़ाई जारी रखने का एलान किया।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अमरोहा के अलावा हरियाणा के चरखी दादरी और मेवात में किसान महापंचायतें हुईं और इनमें जितनी बड़ी संख्या में लोग उमड़े हैं, वह यह बताने के लिए काफी है कि इन राज्यों में किसान कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ लंबी लड़ाई के लिए तैयार हो चुके हैं।
चरखी दादरी में हुई किसान महापंचायत में 50 हज़ार से ज़्यादा लोग जुटे। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले हुई महापंचायत में किसान नेता दर्शन पाल, बलबीर सिंह राजेवाल और राकेश टिकैत पहुंचे।
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पंजाब
संयुक्त किसान मोर्चे की ओर से बुलाई गई यह महापंचायत जगराओं की अनाज मंडी में हुई। इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं, किसान और मजदूर भी शामिल हुए। लुधियाना जिले की कई जगहों के अलावा मोगा और बरनाला से भी लोग महापंचायत में पहुंचे। किसानों के अलावा आढ़तियों की संस्थाओं, व्यापारी संगठनों से जुड़े लोगों ने भी इसमें भाग लिया।
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