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एफएमसीजी कंपनियां झूठे दावों के साथ ग्राहकों को धोखा दे रही हैंः सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने भ्रामक विज्ञापनों के मामले की सुनवाई के दौरान पतंजलि की तो खिंचाई की, लेकिन उसने सभी एफएमसीजी कंपनियों के सामानों पर किए जा रहे दावों को लेकर अपनी आपत्ति जताई। अदालत ने कहा, "हमें केवल हमारे सामने आने वाले इन्हीं (पंतजलि-रामदेव) की चिंता नहीं है, हमें उन सभी एफएमसीजी और उन सभी कंपनियों की चिंता है जो वे अपने उपभोक्ताओं और ग्राहकों को बहुत ही गुलाबी तस्वीरें दिखा रहे हैं कि उनका प्रोडक्ट उनके लिए क्या कर सकता है... और अंत में उन लोगों के साथ जो इसके लिए अच्छा पैसा दे रहे हैं, अपने स्वास्थ्य की कीमत पर पीड़ित हो रहे हैं। अदालत को यह बिल्कुल नामंजूर है।''.

रामदेव की ओर वरिष्ठ वकील बलबीर सिंह ने सलाह दी कि इस अवसर का इस्तेमाल बड़े उपभोक्ता आधार वाली बड़ी कंपनियों के लिए व्यापक दिशानिर्देश तैयार करने में किया जा सकता है। लेकिन सार्वजनिक स्वास्थ्य के पहलू पर, जस्टिस हिमा कोहली ने रामदेव के वकील से कहा- "ये बहुत बड़ी कमियां हैं। बेशक आपकी कंपनियों को लाभ हो रहा है, बल्कि सवाल जनता के स्वास्थ्य का है।" 

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इससे पहले हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि उनकी हरकतें शीर्ष अदालत के आदेशों का जानबूझकर और बार-बार उल्लंघन करने वाली थीं। पतंजलि संस्थापकों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पीठ से कहा कि लोग जीवन में गलतियां करते हैं। हालांकि, शीर्ष अदालत ने वकील को फटकार लगाते हुए जवाब दिया कि ऐसे मामलों में व्यक्तियों को कष्ट उठाना पड़ता है। पीठ ने कहा, 'हम अंधे नहीं हैं। हम इस मामले में उदार नहीं बनना चाहते।'

जब रामदेव और आचार्य की ओर से पेश हुए मुकुल रोहतगी ने कहा कि माफी बिना शर्त थी तो जस्टिस कोहली ने कहा, 'अदालत में गलती पकड़े जाने के बाद वे केवल कागज पर हैं। वह इतने मुश्किल में हैं कि हालात से बचने के लिए ऐसा करने को मजबूर हैं। हम इसे स्वीकार नहीं करते, अस्वीकार करते हैं। हम इसे जानबूझकर की गई अवमानना मानते हैं।'

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सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण को नोटिस जारी कर पूछा था कि उसके निर्देशों का कथित उल्लंघन करने के लिए उनके खिलाफ अदालत की अवमानना ​​की कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए। इस नोटिस के जवाब में उन्होंने माफी मांगी थी। पिछली सुनवाई में भी उनकी माफी को खारिज कर दिया गया था और फिर से हलफनामा दायर करने को कहा गया था। 

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क़मर वहीद नक़वी
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