आपसी सहमति से अलग हो रहीं हैं दोनों कंपनियां
फॉक्सकॉन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि भारत में सेमीकंडक्टर बनाने के एक बेहतर आइडिया को हकीकत में बदलने के लिए उसने एक साल से ज्यादा समय तक वेदांता के साथ काम किया। अब उन्होंने आपसी सहमति से इस ज्वाइंट वेंचर को खत्म करने का निर्णय लिया है। अब वह वेदांता के पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई से अपना नाम हटाएगी। वेदांता ने अभी इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। फॉक्सकॉन दुनिया की दिग्गज कंपनी है। वह आईफोन समेत ऐपल के दूसरे प्रॉडक्ट्स की असेंबलिंग करती है। अपने बिजनेस को विस्तार देते हुए वह चिप निर्माण के क्षेत्र में हाल के वर्षों में लगातार आगे बढ़ रही है। फॉक्सकॉन ने पिछले वर्ष वेदांता के साथ मिलकर गुजरात में सेमीकंडक्टर बनाने और डिस्प्ले उत्पादन का संयंत्र लगाने को लेकर एक करार किया था। इसे तहत करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जाना था।देश के लक्ष्यों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा
वहीं दूसरी ओर केंद्रीय राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि फॉक्सकॉन का वेदांता के साथ सेमीकंडक्टर के साझा उपक्रम से हटने के कारण इस क्षेत्र में देश के लक्ष्यों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि दो निजी कंपनियां कैसे साझेदार चुनती हैं या नहीं चुनती हैं, यह सरकार का काम नहीं है। अब दोनों कंपनियां भारत में स्वतंत्र रूप से सेमिकॉन और इलेक्ट्रॉनिक्स में उचित तकनीकी साझेदारों के साथ अपनी रणनीतियों को आगे बढ़ा सकती हैं। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि बीते 18 महीनों में सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को गति देने की भारत की रणनीति में तेजी से प्रगति देखी गई है। मंत्री ने कहा कि फॉक्सकॉन और वेदांता दोनों का ही भारत में काफी निवेश है और वे मूल्यवान निवेशक हैं। 'यह बात अच्छी तरह पता थी कि दोनों ही कंपनियों के पास पूर्व से सेमीकंडक्टर का अनुभव या टेक्नोलॉजी नहीं थी। उनसे यह किसी टेक्नोलॉजी साझेदार से लेने की उम्मीद थी। उनके संयुक्त उद्यम ने 28 एनएम चिप के लिए प्रस्ताव दिया था। वे इसके निर्माण के लिए समुचित टेक्नोलॉजी साझेदार नहीं खोज पाए।
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