सरकार के आदेश पर डीजीसीए ने पायलटों और क्रू मेंबर्स के लिए जारी रोस्टर आदेश वापस लिया है। पायलट संगठनों ने चेतावनी दी है कि लंबे ड्यूटी घंटे और बढ़ती थकान उड़ान सुरक्षा के लिए ख़तरा हैं।
देशभर के हवाई अड्डों पर इंडिगो फ्लाइट्स में मची अफरातफरी के बीच केंद्र सरकार ने एयरलाइन संचालन को सामान्य करने के लिए अपना आदेश वापस ले लिया है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने क्रू और पायलटों के साप्ताहिक विश्राम से जुड़ा महत्वपूर्ण नियम वापस ले लिया है। लगातार तीसरे दिन भी इंडिगो की उड़ानें बाधित रहीं, शुक्रवार को ही 700 से ज़्यादा फ्लाइट रद्द करनी पड़ीं।
डीजीसीए का कौन सा आदेश वापस हुआ
DGCA ने अपने आदेश में यह प्रावधान हटा दिया कि साप्ताहिक विश्राम (Weekly Rest) के बदले किसी भी पायलट या क्रू की ‘लीव’ को शामिल या एडजस्ट नहीं किया जा सकता। नई उड़ान-ड्यूटी समय सीमाओं (FDTL) में यह क्लॉज लागू हुआ था, लेकिन अब एयरलाइंस के अनुरोध और मौजूदा संकट को देखते हुए इसे वापस ले लिया गया है।
DGCA के बयान में कहा गया: “ऑपरेशन में व्यवधान और विभिन्न एयरलाइनों से ऑपरेशन की निरंतरता एवं स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए प्राप्त ज्ञापनों को देखते हुए इस प्रावधान की समीक्षा आवश्यक समझी गई है।” आदेश में आगे कहा गया: “हफ्ते के विश्राम के स्थान पर अवकाश न जोड़ने से संबंधित निर्देश तत्काल प्रभाव से वापस लिए जाते हैं।” इस आंशिक छूट के बाद एयरलाइंस को रोस्टर बनाने में कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। खासकर इंडिगो, जो पायलट और क्रू की भयानक कमी से जूझ रही है।
पायलटों, क्रू मेंबर्स की समस्या को क्यों नहीं समझा जा रहा है
इंडिगो संकट ने एक बार फिर उस सबसे पुराने सवाल को सामने ला दिया है जिसे पायलट वर्षों से उठा रहे हैं- लंबे ड्यूटी आवर्स, थकान, और सुरक्षा पर खतरा। पायलटों के अनुसार समस्या यह है:
थकान (Fatigue) का बढ़ता स्तर: लगातार लंबे ड्यूटी आवर्स, रात की उड़ानें और कम विश्राम से पायलट शारीरिक और मानसिक रूप से अत्यधिक दबाव में आ रहे हैं।
कमर्शियल दबाव से सुरक्षा पर असर: पायलट एसोसिएशनों ने कहा है कि जब एयरलाइंस अपनी रद्द हुई या देरी हुई उड़ानें ठीक करने के लिए क्रू को लगातार ‘स्टैंडबाय’ पर रखती हैं, तो सुरक्षा की कीमत चुकानी पड़ती है।
FDTL नियमों को कमजोर करना खतरनाक: उनका कहना है कि DGCA को यात्री सुविधा और एयरलाइन ऑपरेशन से पहले सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए।
पायलट एसोसिएशन ने इंडिगो संकट पर क्या कहा?
भारत के प्रमुख पायलट संगठनों- जैसे इंडियन कमर्शियल पायलट्स एसोसिएशन (ICPA) और इंडियन पायलट्स गिल्ड (IPG) ने इंडिगो संकट पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा: 'क्रू की कमी एयरलाइन का प्रबंधन-संबंधी संकट है, सुरक्षा नियमों को कमजोर करने का कारण नहीं'। पायलट संघों का आरोप है कि: एयरलाइंस सालों से पर्याप्त संख्या में पायलट और क्रू नहीं भर्ती कर रही थीं। रोस्टर ओवरलोडेड थे और विश्राम पर्याप्त नहीं दिया जा रहा था। अब जब सिस्टम टूट गया है, तो उसके समाधान के लिए 'रेस्ट रूल्स' में ढील देना गलत है।
उन्होंने कहा- 'थकान कम करने के बजाय, नियमों में ढील देकर पायलटों पर और दबाव बढ़ेगा।' कई पायलट प्रतिनिधियों ने कहा: “कागज़ों में रोस्टर लचीला हो सकता है, लेकिन इंसान की शरीर-घड़ी (body clock) लचीली नहीं होती। थकान एक वास्तविक उड़ान-सुरक्षा खतरा है।” उन्होंमे कहा कि 'FDTL नियमों का उद्देश्य पायलट और यात्रियों दोनों की सुरक्षा है।' पायलटों का कहना है कि ये नियम सिर्फ प्रशासनिक औपचारिकता नहीं हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों का हिस्सा हैं। इन्हें कमजोर करना किसी भी तरह से उचित नहीं।
इंडिगो का कहना है कि: अचानक बड़ी संख्या में पायलट मेडिकल लीव पर चले गए। इसके कारण रोस्टर टूट गया और बड़े पैमाने पर उड़ानें प्रभावित हुईं। नए DGCA निर्देशों से अस्थायी राहत मिलेगी और रोस्टर स्थिर करने में मदद मिलेगी। लेकिन पायलट इसके बिल्कुल विपरीत कह रहे हैं कि मेडिकल लीव की संख्या ज्यादा होना थकान की गंभीरता का प्रमाण है।
विशेषज्ञों का कहना है कि: DGCA की यह छूट फिलहाल ऑपरेशन स्थिर करने के लिए मददगार हो सकती है, लेकिन दीर्घकाल में इसे सुरक्षा के लिहाज से पुनः मूल्यांकन की आवश्यकता होगी। सुरक्षा विशेषज्ञों की राय है कि भारत को पायलट थकान के मामलों की स्वतंत्र समीक्षा करनी चाहिए और “fatigue risk management system” को एयरलाइंस पर अनिवार्य करना चाहिए, न कि FDTL नियमों को कमजोर करना चाहिए।
नेता विपक्ष राहुल गांधी का बयान
नेता विपक्ष राहुल गांधी ने 5 दिसंबर को एक्स पर लिखा- इंडिगो की विफलता इस सरकार के एकाधिकार मॉडल की कीमत है। एक बार फिर, इसकी कीमत आम भारतीयों को चुकानी पड़ रही है - देरी, रद्दीकरण और लाचारी के रूप में। भारत हर क्षेत्र में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा का हकदार है, न कि मैच-फिक्सिंग वाले एकाधिकार का। राहुल गांधी ने 2024 में अपने उस लेख को भी शेयर किया है, जिसमें उन्होंने देश को एकाधिकार वाली मोदी सरकार की उद्योग नीति से सावधान किया था। राहुल ने उसमें लिखा था कि एक उद्योग क्षेत्र में किसी एक कंपनी पर निर्भर नहीं रहा जा सकता, क्योंकि उसकी मोनपली हो जाएगी। अब नतीजा सामने है। देश में अधिकांश घरेलू उड़ानों के रेट इंडिगो के पास है। एयरपोर्ट का रखरखाव अडानी समूह की कंपनी के पास है। सरकार एयर इंडिया को टाटा को बेच चुकी है।