चाहे वैश्विक लोकतंत्र सूचकांक हो या फिर फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट या फिर वी-डेम इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट, लोकतंत्र के पैमाने पर गिरते स्तर ने लगता है कि मोदी सरकार को झकझोर दिया है! भले वह इन रिपोर्टों को सिरे से खारिज करती रही है, लेकिन अब ब्रिटेन के एक प्रमुख अखबार द गार्डियन ने रिपोर्ट दी है कि सरकार गुप्त तरीक़े से यह काम कर रही है कि किसी तरह उस रैंकिंग को सुधारा जाए। अख़बार ने आंतरिक रिपोर्टों का हवाला देते हुए लिखा है कि मोदी सरकार को 'दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र' के रूप में ख्याति के धुमिल होने की चिंता सता रही है।
लोकतंत्र की रैंकिंग बचाने के लिए गुपचुप काम कर रहा भारत: रिपोर्ट
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- 23 Jun, 2023
क्या वैश्विक लोकतंत्र सूचकांक में भारत की रैंकिंग गिरने से मोदी सरकार को कोई परवाह नहीं है? जानिए, द गार्डियन की एक रिपोर्ट में किस आधार पर दावा किया गया है कि रैंकिंग सुधारने के लिए गुप्त रूप से क्या किया जा रहा है।

प्रतीकात्मक तस्वीर।
रिपोर्ट में बैठकों के विवरणों के हवाले से कहा गया है कि कई वैश्विक रैंकिंग को सार्वजनिक रूप से खारिज करने के बावजूद सरकारी मंत्रालयों के अधिकारियों को भारत के प्रदर्शन की निगरानी करने के लिए नियुक्त किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों ने 2021 से कम से कम चार बैठकें की हैं, जिसमें इस बात पर चर्चा की गई है कि इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट द्वारा तैयार किए गए वैश्विक लोकतंत्र सूचकांक ने पिछले तीन वर्षों से दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश को 'त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र' में क्यों डाउनग्रेड किया है।