भारत पहुँचे H-1B वीज़ा रखने वालों के लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है। भारत में अमेरिकी दूतावासों ने अचानक वीज़ा अपॉइंटमेंट रद्द कर दिए। इसके पीछे तकनीकी कारण हैं या नीतिगत बदलाव?
अमेरिका में काम करने वाले सैकड़ों भारतीय एच-1बी वीजा धारक भारत में फंस गए हैं। दिसंबर में वीजा रिन्यू कराने आए ये लोग अब वापस अमेरिका नहीं जा पा रहे, क्योंकि अमेरिकी दूतावासों ने उनके अपॉइंटमेंट अचानक रद्द कर दिए हैं। नई तारीख़ें महीनों बाद मिल रही हैं, कुछ को तो 2026 तक इंतजार करना पड़ेगा। इस वजह से गूगल जैसी बड़ी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को सलाह दी है कि विदेश यात्रा न करें, वरना लंबे समय तक फँस सकते हैं।
अमेरिकी दूतावासों ने 15 दिसंबर 2025 के बाद के एच-1बी और एच-4 वीजा अपॉइंटमेंट बड़े पैमाने पर रद्द कर दिए। वजह है नई पॉलिसी। अब सभी अप्लाई करने वालों के सोशल मीडिया प्रोफाइल की जांच की जा रही है। ये जांच राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए है। जांच में समय लगने से दूतावास रोजाना कम इंटरव्यू कर पा रहे हैं, इसलिए अपॉइंटमेंट आगे खिसकाए जा रहे हैं। कई लोगों की नई डेट मार्च, अप्रैल या मई 2026 की मिली है। कुछ मामलों में तो अक्टूबर 2026 तक की तारीख दी गई है।
भारत में आए लोग सबसे ज़्यादा प्रभावित
बहुत से भारतीय टेक कर्मचारी छुट्टियाँ मनाने या परिवार से मिलने भारत आए थे। वे सोच रहे थे कि वीजा स्टैंपिंग कराकर जल्दी वापस लौट जाएंगे। लेकिन अब उनके पास वैलिड वीजा स्टैंप नहीं है, इसलिए अमेरिका वापस नहीं जा सकते। पुरानी डेट पर दूतावास जाने पर एंट्री नहीं मिलेगी। अमेरिकी एम्बेसी ने एक्स पर पोस्ट किया कि नई डेट पर ही आएं।
गूगल और ऐपल की चेतावनी
गूगल ने अपने कर्मचारियों को मेमो भेजा कि अगर वीजा स्टैंप की जरूरत है तो यात्रा न करें। देरी इतनी है कि 12 महीने तक लग सकते हैं। गूगल हर साल करीब 1000 एच-1बी वीजा वाले कर्मचारी हायर करता है। ऐपल ने भी ऐसी ही सलाह दी। सितंबर में भी जब नई एच-1बी के लिए 1 लाख डॉलर फीस लगी थी, तब कंपनियों ने यात्रा न करने को कहा था।ट्रंप प्रशासन की सख्ती
ये बदलाव डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की इमिग्रेशन पॉलिसी का हिस्सा हैं। एच-1बी वीजा कुशल कर्मचारियों के लिए है, जिसमें भारतीयों का हिस्सा 70-71 प्रतिशत है। सितंबर 2025 में ट्रंप ने नई एच-1बी एप्लीकेशन पर 1 लाख डॉलर फीस लगा दी। अब सोशल मीडिया जांच अनिवार्य है। अप्लाई करने वाले को अपने प्रोफाइल पब्लिक करने पड़ते हैं। पहले ये सिर्फ स्टूडेंट वीजा पर था, अब एच-1बी पर भी।
कहा जा रहा है कि ये अब तक का सबसे बड़ा उलझन वाला मामला है। अपॉइंटमेंट बिना चेतावनी के रद्द हो रहे हैं और कोई पूर्वानुमान नहीं है। कंपनियों और कर्मचारियों दोनों को मुश्किल हो रही है। कुछ लोगों का कहना है कि ये सिर्फ भारत तक सीमित नहीं रहेगा, दुनिया भर के दूतावासों में भी हो सकता है।
कितने लोग प्रभावित?
सटीक संख्या नहीं पता, लेकिन सैकड़ों से हजारों तक भारतीय प्रभावित हैं। ज्यादातर टेक कंपनियों जैसे गूगल, ऐपल, अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट के कर्मचारी हैं। कुछ लोग नौकरी खोने के डर में हैं, क्योंकि लंबे समय तक अमेरिका से बाहर रहना मुश्किल है।एच-1बी वीजा क्या है?
एच-1बी वीजा से अमेरिकी कंपनियाँ विदेशी कुशल कर्मचारियों को हायर कर सकती हैं। पहले 3 साल के लिए मिलता है, फिर 3 साल बढ़ सकता है। भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स के लिए ये बहुत अहम है।
ये घटना एच-1बी प्रोग्राम पर बहस को और बढ़ा रही है। कुछ लोग कहते हैं कि ये अमेरिकी सुरक्षा के लिए जरूरी है, तो कुछ को लगता है कि इससे टैलेंटेड लोग प्रभावित हो रहे हैं। अब प्रभावित लोग नई डेट का इंतजार कर रहे हैं।