सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हेट स्पीच से देश का माहौल खराब हो रहा है और इस पर रोक लगाने की जरूरत है। यह टिप्पणी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यूयू ललित ने सोमवार को हेट स्पीच को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए की। याचिका में कहा गया था कि सरकार हेट स्पीच के मामलों में कार्रवाई नहीं कर रही है।
याचिका में कहा गया था कि हेट स्पीच देने के पीछे मकसद बहुसंख्यक हिंदू वोटों को अपने पाले में करना, नरसंहार करना और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना है और इसे लेकर लगातार कई अपराध हो रहे हैं।
न्यायमूर्ति एस. रविंद्र भट्ट और सीजेआई यूयू ललित की अध्यक्षता वाली 2 जजों की बेंच ने कहा कि इस याचिका में हेट स्पीच को लेकर विस्तार से जानकारी नहीं है और सिर्फ अस्पष्ट दावे किए गए हैं। अदालत ने कहा कि शायद याचिकाकर्ता का यह कहना सही हो कि हेट स्पीच की वजह से देश का माहौल खराब हो रहा है और इन पर रोक लगाने की जरूरत है।
याचिकाकर्ता हरप्रीत मनसुखानी ने अदालत से कहा कि हेट स्पीच एक फायदे का व्यवसाय बन गई है। उन्होंने कहा कि उनके पास इस बात के सबूत हैं कि एक राजनीतिक दल ने द कश्मीर फाइल्स मूवी को आर्थिक सहयोग दिया। बताना होगा कि कश्मीरी हिंदुओं के कत्लेआम पर द कश्मीर फाइल्स फिल्म बनाई गई थी।
याचिकाकर्ता ने अदालत से कहा कि हेट स्पीच के मामलों को रोकने में काफी देर हो चुकी है और हर वक्त हेट स्पीच दी जा रही है और यह ऐसा बाण है जो कभी वापस नहीं लौटता। उन्होंने कहा कि वह अदालत के सामने एक हलफनामा दाखिल करेंगी जिसमें हेट स्पीच की घटनाओं के बारे में जानकारी दी जाएगी। अदालत अब इस मामले में 1 नवंबर को सुनवाई करेगी।
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राज्य सरकारों से मांगा जवाब
हेट स्पीच के ही एक अन्य मामले में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने दिल्ली और उत्तराखंड की सरकार से कहा कि वह इन राज्यों में हुई धर्म संसद के आयोजनों को लेकर की गई कार्रवाई का जवाब दें। अदालत इस मामले में तुषार गांधी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। बताना होगा कि हरिद्वार और दिल्ली में हुई धर्म संसदों में मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी की गई थी और तब इसे लेकर देशभर में जबरदस्त शोर हुआ था।
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बीजेपी नेताओं की बयानबाजी
बताना होगा कि रविवार को दिल्ली में विराट हिंदू सभा की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में दिल्ली में बीजेपी के सांसद प्रवेश वर्मा और गाजियाबाद की लोनी विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने नफरती बयानबाजी की थी।
प्रवेश वर्मा ने एक समुदाय के लोगों का पूरी तरह बहिष्कार करने की अपील लोगों से की थी जबकि नंदकिशोर गुर्जर के भाषण से यह सवाल खड़ा हुआ था कि क्या साल 2020 में दिल्ली में हुए दंगों में उनकी कोई भूमिका थी। नंदकिशोर गुर्जर ने समुदाय विशेष के लोगों के खिलाफ भड़काऊ बयान भी दिए थे।
मूकदर्शक बनी हुई है सरकार
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने भी एक टिप्पणी में कहा था कि मीडिया में हेट स्पीच पर सरकार मूकदर्शक क्यों है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में धर्म संसद की बैठकों में दिए भाषणों के अलावा सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे नफरती संदेशों का मुद्दा उठाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा था कि टीवी पर अभद्र भाषा को रोकना एंकरों का काम है और एंकरों की यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है कि उनके शो में अभद्र भाषा का इस्तेमाल न हो। कोर्ट ने कहा था कि मुख्यधारा के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया पर सामग्री काफी हद तक अनियंत्रित है। अदालत ने इस बात पर हैरानी जताई थी कि केंद्र सरकार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में फैलाई जाने वाली नफरत पर मूकदर्शक बनी हुई है।
ऐसे में सवाल यह है कि क्या सुप्रीम कोर्ट की तमाम टिप्पणियों के बाद केंद्र सरकार हेट स्पीच के मामले में मूकदर्शक बनी रहेगी या कोई कार्रवाई करेगी।
केंद्रीय मंत्री ने दी थी नसीहत
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने पिछले महीने कहा था कि मेनस्ट्रीम मीडिया के लिए सबसे बड़ा खतरा न्यूज़ चैनल ही हैं। अनुराग ठाकुर ने कहा था कि सही पत्रकारिता का मतलब है कि बिना तोड़े-मरोड़े खबरों को दिखाया जाए और सभी पक्षों को उनकी बात रखने का मौका दिया जाए।
केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि अगर आप ऐसे लोगों को चैनल में बुलाते हैं जो झूठी खबरें फैलाते हैं, ध्रुवीकरण करते हैं, चीखते-चिल्लाते हैं तो आपके चैनल की विश्वसनीयता कम होती जाती है।
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