loader

भारत-बांग्लादेश के बीच हुए 7 क़रार, चीन को रोकने की कोशिश?

ऐसे समय जब चीन भारत को चारों ओर से घेरने और अपनी भौगोलिक-रणनीतिक नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए बांग्लादेश से नज़दीकियाँ बढ़ा रहा है, भारत ने ढाका के साथ सात द्विपक्षीय क़रारों पर दस्तख़त किए हैं। गुरुवार को हुई वर्चुअल बैठक में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की आपसी सहयोग को और बढ़ाने पर ज़ोर दिया।

रेल लाइन

पश्चिम बंगाल की हल्दीबाड़ी से बांग्लादेश के चिलाहाटी तक की रेल लाइन को दुरुस्त कर उसे फिर से बहाल किया जाएगा। दरअसल इस रेल लाइन पर पहले से ही है 1965 तक सामान्य रूप से रेलगाड़ियाँ चलती थीं। 
ख़ास ख़बरें
इस लाइन के चालू होने से उत्तर बंगाल से बांग्लादेश तक न सिर्फ लोगों का आना-जान सुगम होगा, बल्कि माल ढुलाई में सुविधा होगी और इससे दोतरफा व्यापार बढ़ेगा। इस रेल लाइन के चालू होने से असम के लोगों के लिए भी इस रास्ते बांग्लादेश से व्यापार करने में मदद मिलेगी। 

हाइड्रोकार्बन

इसके अलावा भारत बांग्लादेश को हाइड्रोकार्बन, कपड़ा और कृषि में मदद करेगा। दोनों नेताओं ने मिल कर एक डिजिटल प्रदर्शनी की शुरुआत की, जिसमें बांग्लादेश के संस्थापक और शेख हसीना के पिता शेख मुज़ीबुर रहमान और महात्मा गाँधी के जीवन और उनकी विरासत के बारे में जानकारियाँ दी जाएंगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बांग्लादेश भारत की 'पहले पड़ोसी' ('नेवहरहु़ड फ़र्स्ट') की नीति का सबसे मजबूत स्तंभ है। उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेश के साथ विजय दिवस मनाने में उन्हें गौरव की अनुभूति हो रही है। 
शेख हसीना ने बांग्लादेश की आज़ादी में भारत और इसकी सेना की भूमिका की तारीफ की और कहा कि भारतीय सेना ने बांग्लादेश की मुक्ति में सबसे अहम भूमिका निभाई थी।

विजय दिवस

बता दें कि 1971 में भारतीय सेना ने पूर्वी पाकिस्तान के अंदर घुस कर पाकिस्तानी फ़ौज से युद्ध लड़ा था, जिसमें पाकिस्तान की ज़ोरदार शिकस्त हुई थी, उसके 90 हज़ार से ज़्यादा सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था और बांग्लादेश का जन्म 16 दिसंबर 1971 को हुआ था। उस ऐतिहासिक घटना के 50 साल पूरे हो रहे हैं।
भारत और बांग्लादेश के बीच बातचीत और क़रारों पर दस्तख़त होना कूटनयिक लिहाज से बेहद अहम है क्योंकि समान नागरिकता क़ानून और एनआरसी पर दोनों देशों के बीच कटुता बहुत ही बढ़ गई थी।

भारत-बांग्लादेश कटुता

एनआरसी की फ़ाइनल सूची आने के बाद असम सरकार के वित्त मंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा था कि सूची से बाहर रह गए लोगों को लेने के लिए बांग्लादेश से संपर्क किया जाएगा। लेकिन उनके इस बयान के बाद बांग्लादेश के गृह मंत्री ने दावा किया है कि 1971 के बाद से उनके देश से कोई भी व्यक्ति भारत नहीं गया है। 
सरमा ने एनआरसी को बेकार की प्रक्रिया बताया था और कहा था कि बांग्लादेश से 1971 मे शरणार्थी बन कर आए कई भारतीय नागरिकों के नाम एनआरसी में शामिल नहीं किए गए हैं। उन्होंने इसे लेकर कड़ा विरोध जताया था।
india bangladesh sign 7 deals, including haldibari-chilahati rail line - Satya Hindi

सीएए से बांग्लादेश नाराज़

बांग्लादेश की राजधानी ढाका में न्यूज़ 18 से बात करते हुए गृह मंत्री असदुज्जमां ख़ान ने कहा था, “मुझे इस बात की जानकारी है कि असम में एनआरसी की लिस्ट जारी कर दी गई है। यह पूरी तरह भारत का आंतरिक मामला है और हमारा इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है।’
सरमा के बयान पर ख़ान ने कहा, “मैं फिर से कहता हूँ कि यह भारत का आंतरिक मामला है। मुझे नहीं पता कि इस मामले में किसने क्या कहा है। भारत को हमें इस बारे में आधिकारिक रुप से बताने दीजिए, उसके बाद ही हम इसका जवाब देंगे। मैं इतना कह सकता हूँ कि 1971 के बाद से बांग्लादेश से कोई भी भारत नहीं गया है। यह हो सकता है कि वे लोग (विशेषकर बंगाली) भारत के दूसरे हिस्सों से आकर असम में बस गए होंगे लेकिन वे बांग्लादेश के नहीं हैं।”

गृह मंत्री का विवादत बयान

इसके अलावा बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय जैसे लोगों ने भी घरेलू राजनीतिक कारणों से घुस आये बांग्लादेशियों का मजाक उड़ाया था, जिसकी गूंज उस पार भी सुनाई दी थी।
इसी तरह तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने भी असम के मुद्दे पर बांग्लादेश की आलोचना की थी और कहा था कि उसकी वजह से भारत के सीमावर्ती इलाक़ों में मुसलमानों की आबादी बढ़ी है जो देश की सुरक्षा के लिए ख़तरनाक है।
और इसके तुरन्त बाद बांग्लादेश चीन से नज़दीकियाँ बढ़ाने लगा और जो बांग्लादेश में अरबों डॉलर के निवेश का प्रस्ताव कर दिया। बीजिंग बांग्लादेश में बंदरगाह बनाने, सड़क निर्माण, बुनियादी सुविधाओं के विकास, कपड़ा उद्योग में मदद और निर्यात में छूट दे रहा है और इन परियोजनाओं पर अरबों डॉलर की पेशकश कर रहा है।
ऐसे में गुरुवार की बैठक और सात क़रारों पर दस्तख़त किया जाना भारत के लिए राहत की बात है।
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें