India China Relations FDI: भारत-चीन संबंध मजबूत करने के लिए कई उपाय किए जा रहा है। भारत सरकार अब चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और आयात प्रतिबंधों को आसान करने पर विचार कर रही है। यह बात एक भारतीय अधिकारी ने कही है।
पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनफिंग
भारत सरकार ने चीन से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और आयात प्रतिबंधों पर अपनी नीतियों में पुनर्विचार की संभावना जताई है। यह बयान एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फोरम 2025 के दौरान दिया। यह कदम दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार के संकेत देता है, जो हाल के वर्षों में सीमा विवादों के कारण तनावपूर्ण रहे हैं।
अधिकारी ने कहा, "अगर जरूरी हुआ, तो हम प्रेस नोट 3 पर पुनर्विचार कर सकते हैं। सभी विकल्प खुले हैं।" प्रेस नोट 3 अप्रैल 2020 में लागू किया गया था। जिसमें भारत के साथ साझा सीमा वाले देशों से आने वाले FDI के लिए पूर्व सरकारी मंजूरी अनिवार्य बनाता है। यह नीति मुख्य रूप से चीन को टारगेट करते हुए शुरू की गई थी, ताकि भारतीय कंपनियों के मौकापरस्त टेकओवर (अधिग्रहण) को रोका जा सके।
नीति आयोग ने हाल ही में सुझाव दिया है कि 24% तक के FDI के लिए पूर्व मंजूरी की शर्त को हटाया जा सकता है। जिससे निवेश प्रक्रिया को सरल किया जा सके। यह प्रस्ताव भारत को ग्लोबल सप्लाई चेन को अधिक एकीकृत करने और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने फोरम में कहा कि प्रेस नोट 3 उस समय एक महत्वपूर्ण निर्णय था। कोविड-19 संकट के बाद कंपनियों के मूल्यांकन में भारी गिरावट देखी गई थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह नीति FDI पर प्रतिबंध नहीं लगाती, बल्कि एक सतर्क नजरिया अपनाती है, जिसमें पूर्व मंजूरी की आवश्यकता होती है। गोयल ने कहा, "हमने कई कंपनियों को मंजूरी दी है।"
हाल के महीनों में भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार के संकेत दिखे हैं। दोनों देशों के मंत्रियों की हालिया यात्राओं और उड़ानों तथा पर्यटन पर हुए समझौतों ने सकारात्मक माहौल बनाया है। इसके अलावा, भारत ने 2023-24 में चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि देखी है, जिसमें चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है।
हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि चीन से FDI को आसान बनाने के लिए एक संतुलित और पारदर्शी स्क्रीनिंग प्रक्रिया की आवश्यकता है। यह विशेष रूप से उन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है, जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, और फार्मास्यूटिकल्स, जहां चीनी प्रौद्योगिकी और निवेश भारत के लिए फायदेमंद हो सकते हैं।
विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए भारत सरकार नीतियों को सरल बनाने और व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने पर ध्यान दे रही है। यह कदम न केवल भारत की आर्थिक वृद्धि को गति देगा, बल्कि वैश्विक व्यापार में भारत की स्थिति को भी मजबूत करेगा।