भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते यानी बीटीए को लेकर चल रही बातचीत एक बार फिर गति पकड़ रही है। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए वार्ता सही दिशा में आगे बढ़ रही है। रिपोर्ट है कि इस सिलसिले में गोयल के नेतृत्व में एक उच्च-स्तरीय भारतीय टीम अगले सप्ताह वाशिंगटन की यात्रा करेगी, ताकि इस समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देने की दिशा में अहम क़दम उठाए जा सकें। पहले दौर की बातचीत में समझौता नहीं हो पाया था और फिर ट्रंप ने भारत पर 50 फ़ीसदी टैरिफ़ लगा दिया। इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था।

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते की चर्चा इस साल मार्च में शुरू हुई थी, जब प्रधानमंत्री मोदी और डोनाल्ड ट्रंप ने फरवरी 2025 में इस दिशा में मंत्रियों को निर्देश दिए थे। दोनों देशों ने नवंबर 2025 तक इस समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देने का लक्ष्य रखा है। हाल के महीनों में अमेरिका द्वारा भारत पर 50% आयात शुल्क लगाए जाने के बाद दोनों देशों के बीच कुछ तनाव देखा गया था, जिसका कारण भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद को बताया गया। हालाँकि, हाल ही में ट्रंप और मोदी के बीच सोशल मीडिया पर सकारात्मक संदेशों के आदान-प्रदान के बाद तनाव कम हुआ है।
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ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, 'मुझे विश्वास है कि दोनों देशों के लिए एक सफल निष्कर्ष पर पहुँचने में कोई कठिनाई नहीं होगी।' वहीं, मोदी ने जवाब में कहा कि भारत और अमेरिका 'नजदीकी मित्र और स्वाभाविक साझेदार' हैं और वे इस व्यापार समझौते के माध्यम से दोनों देशों की असीमित संभावनाओं को अनलॉक करने के लिए उत्साहित हैं।

गोयल ने वार्ता पर क्या बोला?

अबू धाबी में एक कार्यक्रम के दौरान पीयूष गोयल ने कहा, 'भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है। हाल ही में नई दिल्ली में अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में एक सात घंटे की बैठक हुई, जिसमें दोनों पक्षों ने सकारात्मक और दूरदर्शी चर्चा की।' गोयल ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और अमेरिका के बीच संबंध मजबूत और व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर आधारित हैं।

गोयल ने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों का स्थायी महत्व है और वार्ता में विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। गोयल ने यह भी साफ़ किया कि भारत केवल उन देशों के साथ व्यापार समझौते करना चाहता है, जहां दोनों पक्षों के लिए फायदे की स्थिति हो।

आधिकारिक सूत्रों के हवाले से द इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट दी है कि भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो अगले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र महासभा के मौक़े पर जब मिलेंगे तो वे भी इस मामले पर राजनीतिक स्तर पर बातचीत करेंगे। जयशंकर के अमेरिका दौरे की योजना बनाई जा रही है और आधिकारिक घोषणा का इंतज़ार है।

विदेश मंत्रालय ने क्या कहा

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने शुक्रवार को कहा, 'यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव के असिस्टेंट ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में एक टीम ने 16 सितंबर को वाणिज्य मंत्रालय में अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर चल रही बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए बैठक की। बातचीत सकारात्मक और भविष्योन्मुखी रही, जिसमें व्यापार समझौते के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई। आपसी हित वाले व्यापार समझौते को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए प्रयासों को और तेज करने का फैसला किया गया।'

16 सितंबर को जब नई दिल्ली में व्यापार वार्ता हुई तो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अगले दिन उनके 75वें जन्मदिन की बधाई देने के लिए फोन किया। मोदी ने जवाब में कहा कि वे भारत-अमेरिका साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।
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अगले सप्ताह की यात्रा अहम क्यों?

अगले सप्ताह गोयल के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की वाशिंगटन यात्रा को इस समझौते के लिए अहम माना जा रहा है। इस यात्रा का उद्देश्य कृषि और ऑटोमोटिव क्षेत्रों जैसे विवादास्पद मुद्दों को हल करना और एक पारस्परिक रूप से लाभकारी समझौते की दिशा में आगे बढ़ना है। सूत्रों के अनुसार, भारत अपने श्रम-आधारित क्षेत्रों, विशेष रूप से कपड़ा और इलेक्ट्रॉनिक्स, के लिए अमेरिकी बाज़ार में बेहतर अवसर चाहता है। दूसरी ओर, अमेरिका भारत में अपने कृषि उत्पादों, विशेष रूप से आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों और पशु चारा के लिए बाजार पहुँच चाहता है, जो भारत के लिए एक संवेदनशील मुद्दा है।

भारत-अमेरिका व्यापार

भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार वित्तीय वर्ष 2024-25 में 131.8 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें भारत का अमेरिका को निर्यात 86.5 बिलियन डॉलर और आयात 45.3 बिलियन डॉलर रहा। अमेरिका भारत में तीसरा सबसे बड़ा विदेशी निवेशक है, जिसने अप्रैल 2000 से जून 2025 तक 76.26 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश किया। दोनों देशों का लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक ले जाना है।
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भारत की स्थिति

हालांकि वार्ता सकारात्मक दिशा में बढ़ रही है, कुछ चुनौतियां बनी हुई हैं। भारत ने हमेशा अपने कृषि और डेयरी क्षेत्रों को संरक्षित करने की नीति अपनाई है, क्योंकि ये क्षेत्र देश की 70 करोड़ से अधिक किसानों की आजीविका से जुड़े हैं। इसके अलावा, अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50% शुल्क और रूसी तेल आयात को लेकर उसकी आपत्ति ने भी बातचीत को जटिल बनाया है। गोयल ने पहले कहा था कि भारत अपनी राष्ट्रीय गरिमा और आत्म-सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं करेगा।

यह व्यापार समझौता दोनों देशों के लिए अहम है, क्योंकि यह न केवल आर्थिक संबंधों को मज़बूत करेगा, बल्कि रणनीतिक साझेदारी को भी गहरा करेगा। गोयल ने कहा कि भारत उन देशों के साथ काम करना चाहता है, जिनके साथ उसके हित जुड़े हों और जहाँ दीर्घकालिक और टिकाऊ साझेदारी बनाई जा सके। अगले सप्ताह की वार्ता से इस समझौते को नवंबर 2025 तक अंतिम रूप देने की दिशा में प्रगति की उम्मीद है।