India US Trade Deal: भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को झटका लगा है क्योंकि अमेरिकी व्यापार टीम ने कृषि मुद्दों पर असहमति के कारण भारत दौरा रद्द कर दिया है। अमेरिका एक तरफ भारी टैरिफ लगा रहा है और भारतीय बाजार में ज्यादा पहुंच चाहता है।
भारत यूएस ट्रेड डील बीच में फंस गई है। यूएस टीएम अब भारत नहीं आ रही है
भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौते पर बातचीत एक बार फिर रुकावट का सामना कर रही है। सूत्रों के अनुसार, अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधियों की इस महीने के अंत में होने वाली भारत यात्रा रद्द कर दी गई है। इस रुकावट का मुख्य कारण भारत का अपने किसानों और डेयरी क्षेत्र की सुरक्षा के लिए अडिग रुख है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में भारतीय उत्पादों पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जो विश्व स्तर पर किसी भी देश पर लगाया गया सबसे ऊंचा टैरिफ है। इस टैरिफ का एक हिस्सा (25 फीसदी) पहले ही लागू हो चुका है, जबकि दूसरा 25 फीसदी टैरिफ, जो रूस से तेल आयात से संबंधित है, जियो पॉलिटिकल ( भू-राजनीतिक) घटनाओं के आधार पर लागू हो सकता है।
भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील की बातचीत इस साल फरवरी में शुरू हुई थी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका का दौरा किया था। हालांकि, भारत के किसानों, मछुआरों और पशुपालकों के हितों की रक्षा के लिए भारत का दृढ़ रुख और अमेरिका की अपने कृषि उत्पादों के लिए भारतीय बाजार में अधिक पहुंच की मांग के कारण बातचीत में रुकावट आ हो गई है।
प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में स्पष्ट किया कि भारत अपने किसानों और डेयरी क्षेत्र के हितों से कोई समझौता नहीं करेगा, भले ही इसके लिए उन्हें "भारी व्यक्तिगत कीमत" चुकानी पड़े। 7 अगस्त को ट्रम्प द्वारा भारतीय सामानों पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा के बाद भी मोदी ने यही रुख दोहराया था।
हालांकि 8 अगस्त से ही इस बात के संकेत मिल गए थे कि ट्रेड डील पर बातचीत रुक गई है और अमेरिकी व्यापार टीम के भारत आने की कोई औपचारिक सूचना नहीं मिली है।
अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेन्ट ने चेतावनी दी है कि यदि ट्रम्प और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच बातचीत पॉजिटिव नहीं रही, तो भारत पर टैरिफ और बढ़ सकते हैं। बेसेन्ट ने ब्लूमबर्ग को दिए एक इंटरव्यू में कहा, "हर कोई राष्ट्रपति पुतिन से निराश है। हम उम्मीद कर रहे थे कि वह बातचीत के लिए और खुले तौर पर सामने आएंगे। भारत पर रूसी तेल खरीदने के लिए टैरिफ लगाए गए हैं, और यदि बातचीत अच्छी नहीं रही, तो ये टैरिफ और बढ़ सकते हैं।"
यह गतिरोध भारत के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि अमेरिका उसका सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। अप्रैल-जुलाई 2025-26 के दौरान, भारत का अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार 12.56 बिलियन डॉलर रहा, जिसमें भारत का निर्यात 33.53 बिलियन डॉलर और आयात 17.41 बिलियन डॉलर रहा।
भारत ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि वह अपने किसानों और डेयरी क्षेत्र के हितों की रक्षा के लिए कोई समझौता नहीं करेगा। इस बीच, अमेरिका भारत के कृषि और डेयरी बाजारों में अपने उत्पादों के लिए अधिक पहुंच की मांग कर रहा है, जिसे भारत ने अस्वीकार कर दिया है।
इस स्थिति ने भारत-अमेरिका संबंधों के लिए एक नई चुनौती पेश कर दी है, और दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि यह गतिरोध कैसे हल होता है।