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भारतीय-चीनी सेनाओं में दूसरे दौर की बातचीत सकारात्मक माहौल में

भारत और चीन की सीमाओं के बीच बुधवार को मेजर जनरल स्तर के अफ़सरों के बीच हुई बातचीत सकारात्मक रही है। इस बातचीत का मक़सद पूर्वी लद्दाख में दोनों सेनाओं के बीच की तनातनी को ख़त्म करना था। 
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क्या कहा भारत ने?

इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से एक ख़बर में कहा कि भारतीय सेना के प्रतिनिधियों ने मौजूदा संकट के पहले की स्थिति बहाल करने को कहा। इसके साथ ही उन्होंने बड़ी संख्या में मौजूद चीनी सैनिकों को वहाँ से हटाने की माँग भी की।

यह बातचीत ऐसे समय हो रही है जब इसके एक दिन पहले ही दोनों सेनाएं मसले के शांतिपूर्ण समाधान के लिए राजी हो गई थीं। यह कहा गया था कि गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग इलाक़ों को खाली कर दिया जाएगा। 

इस बातचीत के बीच ही दोनों देशों की सेनाएं पेगांग त्सो, दौलत बेग ओल्डी और डेमचोक में पहले की तरह ही जमी हुई हैं। 

इंडियन एक्सप्रेस ने यह भी कहा कि मंगलवार को सेना के सूत्रों ने कहा था कि सेना की गश्ती के बिन्दु 14 और 15 को खाली करना शुरू कर दिया गया है। 

6 जून की बातचीत

इसके पहले 6 जून को दोनों देशों की सेनाओं के बीच लेफ़्टनेंट जनरल स्तर पर बातचीत हुई थी। भारतीय सेना की उत्तरी कमान के 14वीं कोर के जीओसी लेफ़्टीनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने चीनी सेना के शिनजियांग सैन्य ज़िले के प्रमुख मेजर जनरल लिन लिउ से बात की थी।

बातचीत के बाद दोनों देशों ने तय किया है कि वे मौजूदा समस्या का निपटाना पहले हुए समझौतों के आधार पर करेंगे। 

सिक्किम में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर  सैनिक व साजो सामान के जमावड़े के बाद उपजे तनाव को दूर करने के लिए यह फ़ार्मूला निकाला गया था। 

दोनों देश इस पर भी सहमत हो गए थे कि राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर भी बातचीत की जाएगी और इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा।

इस बैठक में यह भी तय किया गया था कि अब मेजर जनरल स्तर पर बातचीत होगी। बुधवार को इसलिए ही बातचीत की गई थी। 

बता दें कि अप्रैल महीने में चीनी सैनिक लद्दाख और उत्तराखंड में वास्तविक नियंत्रण रेख के पास भारतीय सीमा में घुस आए और वहाँ से पीछे हटने से इनकार कर दिया।

इसके बाद 5 मई को दोनों देशों की सेनाएं बिल्कुल आमने-सामने आ गईं।  इसके बाद दोनों देशों की सेनाओं ने अपने सैनिक और सैन्य साजो-सामान वहां जमा कर लिए। इससे तनाव बढ़ता गया।

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क़मर वहीद नक़वी
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