हालांकि, इन संधियों के बावजूद पिछले तीन वर्षों में केवल 8 भारतीय कैदियों को ही स्वदेश लाया जा सका है। मंत्रालय के अनुसार, स्थानांतरण की प्रक्रिया समय लेने वाली है और इसके लिए कैदी की सहमति, मेजबान देश और स्थानांतरण करने वाले देश की मंजूरी जरूरी होती है।
रिपोर्ट में बताया गया कि स्थानांतरण प्रक्रिया में कई चरण शामिल हैं, जैसे स्थानांतरण करने वाले देश की सहमति प्राप्त करना, आवश्यक दस्तावेजों की उपलब्धता, संबंधित राज्य सरकार की टिप्पणियाँ प्राप्त करना, कैदी को रखने के लिए विशिष्ट जेल की पहचान करना और विदेश से भारत तक स्थानांतरण के लिए राज्य सरकार द्वारा एस्कॉर्ट की व्यवस्था करना। इन सभी प्रक्रियाओं के कारण समयसीमा तय करना मुश्किल हो जाता है।
यह रिपोर्ट, जिसका नेतृत्व कांग्रेस सांसद शशि थरूर कर रहे हैं, "विदेशों में भारतीय डायस्पोरा, जिसमें एनआरआई, पीआईओ, ओसीआई और प्रवासी श्रमिक शामिल हैं" विषय पर आधारित है। इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि जिन 12 देशों में भारतीय कैदियों की संख्या 100 से अधिक है, उनमें से 9 देशों के साथ पहले से ही TSP समझौते मौजूद हैं। फिर भी, इन समझौतों का प्रभाव सीमित है।