भारत सरकार ने स्वदेशी स्टील्थ फाइटर जेट परियोजना को मंजूरी दे दी है। यह रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की बड़ी छलांग है और चीन-पाकिस्तान को रणनीतिक संदेश भी। जानें इसकी अहमियत।
भारत ने अपनी रक्षा क्षमताओं को और मज़बूत करने की दिशा में एक बड़ा क़दम उठाया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्वदेशी 5वीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट, एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट यानी एएमसीए परियोजना को मंजूरी दे दी है। यह क़दम ऐसे समय में उठाया गया है जब पाकिस्तान, चीन से 40 जे-35ए स्टील्थ फाइटर जेट खरीदने की योजना बना रहा है और चीन अपनी छठी पीढ़ी के विमानों के प्रोटोटाइप का प्रदर्शन कर रहा है।
एएमसीए एक ट्विन-इंजन, ऑल-वेदर, स्टील्थ और मल्टीरोल फाइटर जेट है, जिसे भारतीय वायुसेना और भारतीय नौसेना के लिए डिज़ाइन किया जा रहा है। इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी डीआरडीओ के तहत वैमानिकी विकास एजेंसी द्वारा विकसित किया जा रहा है। इस परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 15,000 करोड़ रुपये है।
एएमसीए में अत्याधुनिक स्टील्थ तकनीक, सुपरक्रूज़ क्षमता, और उन्नत एवियोनिक्स शामिल होंगे, जो इसे दुश्मन के रडार से बचने और युद्धक्षेत्र में बेहतर सूचना देने में सक्षम बनाएंगे। इस जेट में आंतरिक हथियार भंडारण, विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए एयर इंटेक्स, और कम रडार क्रॉस-सेक्शन जैसे फीचर्स होंगे, जो इसे 5वीं पीढ़ी का एक शक्तिशाली युद्धक विमान बनाएंगे।
पाकिस्तान द्वारा चीन से जे-35ए स्टील्थ फाइटर जेट्स की खरीद और तुर्की के साथ केएएएन 5वीं पीढ़ी के विमान पर सहयोग की खबरों ने भारत के लिए इस परियोजना को और महत्वपूर्ण बना दिया है।
चीन के पास पहले से ही जे-20 स्टील्थ फाइटर जेट्स का एक बड़ा बेड़ा है और वह 2025-26 तक अधिक जेट्स तैनात करने की योजना बना रहा है।
हाल ही में भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। इस बीच, अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट ने दावा किया कि पाकिस्तान ने चीनी जे-10 विमानों का उपयोग कर भारतीय फाइटर जेट्स को मार गिराया, हालांकि भारत ने इस दावे को खारिज किया है।
बहरहाल, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की अध्यक्षता में गठित एक उच्च-स्तरीय समिति ने एएमसीए के लिए रणनीति और उत्पादन मॉडल तैयार करने का काम शुरू कर दिया है। इस परियोजना में निजी क्षेत्र की कंपनियों की भागीदारी को बढ़ावा देने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि समय-सीमा को कम किया जा सके और स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा मिले।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने पिछले साल इस परियोजना को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी। अब, राजनाथ सिंह की मंजूरी के साथ यह परियोजना कार्यान्वयन चरण में प्रवेश कर चुकी है।
एएमसीए के साथ-साथ भारत 4.5-पीढ़ी के 114 मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट यानी एमआरएफए के निर्माण के लिए विदेशी सहयोग के साथ एक लंबित परियोजना को भी आगे बढ़ा रहा है। इसके अलावा, 180 तेजस मार्क-1ए और 108 तेजस मार्क-2 जेट्स की खरीद भी की जा रही है, ताकि भारतीय वायुसेना की कम होती स्क्वाड्रन ताकत को बढ़ाया जा सके।
यह परियोजना न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करेगी, बल्कि 'आत्मनिर्भर भारत' के विजन को भी साकार करेगी। एएमसीए के साथ, भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा देश बन जाएगा, जो सुपरक्रूज़ और स्टील्थ क्षमताओं वाले विमान विकसित करने में सक्षम होगा।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि एएमसीए परियोजना भारत को क्षेत्रीय शक्ति संतुलन में एक महत्वपूर्ण बढ़त देगी और यह देश की रक्षा तैयारियों को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।
चीन और पाकिस्तान की बढ़ती सैन्य ताकत के बीच, भारत का यह कदम न केवल सामरिक दृष्टि से अहम है, बल्कि स्वदेशी तकनीक और रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ऐतिहासिक उपलब्धि भी है। एएमसीए परियोजना के साथ, भारत वैश्विक रक्षा क्षेत्र में अपनी स्थिति को और मजबूत करने की ओर अग्रसर है।