बीते 5 साल में कश्मीर घाटी में आतंकवाद का स्वरूप बदला है, मामला सिर्फ़ अलगाववाद का नहीं रह गया है, इसलाम की अपनी व्याख्या लोगों के दिमाग में उतार कर उन्हें धर्मनिरपेक्ष भारतीय राज्य के ख़िलाफ़ भड़काने का है। क्या यह पूरे देश में बढ़ती कट्टरता का जवाब है? क्या उग्र हिन्दुत्ववाद की वजह से शरीआ के प्रति लोगों का झुकाव बढ़ रहा है? क्या हिन्दू राष्ट्र के नारे की वजह से लोग इसलामी ख़िलाफ़त की ओर बढ़ रहे हैं?