डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ़ दबाव के बीच भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर मॉस्को पहुँचे और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से मुलाक़ात की है। रूसी तेल खरीदने पर ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ़ पर हैरानी जताते हुए जयशंकर ने कहा है कि भारत को रूसी तेल खरीदने के लिए दंडित किया जा रहा है, जबकि अमेरिका ने पिछले कुछ वर्षों में भारत से वैश्विक ऊर्जा बाजार को स्थिर करने के लिए रूसी तेल खरीदने को कहा था।

जयशंकर तीन दिवसीय यात्रा पर रूस की राजधानी मॉस्को पहुँचे हैं। विदेश मंत्री ने पुतिन के साथ बैठक की कुछ तस्वीरों को साझा करते हुए एक्स पर पोस्ट किया, 'आज क्रेमलिन में राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात कर सम्मानित महसूस कर रहा हूँ। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हार्दिक अभिवादन उन्हें पहुँचाया। प्रथम उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ हुई चर्चा से उन्हें अवगत कराया। वार्षिक नेताओं के शिखर सम्मेलन की तैयारियाँ अच्छी तरह चल रही हैं। वैश्विक स्थिति और यूक्रेन के हालिया घटनाक्रम पर उनके साझा दृष्टिकोण के लिए मैं आभारी हूँ।'

अमेरिकी टैरिफ़ और जयशंकर का मॉस्को दौरा

विदेश मंत्री जयशंकर तीन दिवसीय दौरे पर मॉस्को पहुंचे हैं जहां उन्होंने 26वीं भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग की सह-अध्यक्षता की और भारत-रूस व्यापार मंच को संबोधित किया। यह दौरा ऐसे समय में हुआ है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने के लिए भारत पर 25% टैरिफ लगाया, जिसे बाद में बढ़ाकर 50% कर दिया गया। ट्रंप प्रशासन का दावा है कि भारत का रूसी तेल खरीदना यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध को वित्तीय सहायता देता है।

जयशंकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'हम रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदार नहीं हैं, वह चीन है। हम एलएनजी के सबसे बड़े खरीदार नहीं हैं, वह यूरोपीय संघ है। 2022 के बाद रूस के साथ व्यापार में सबसे बड़ी वृद्धि करने वाला देश भी हम नहीं हैं; कुछ और देश हैं। अमेरिका ने पिछले कुछ वर्षों में हमसे कहा था कि हमें वैश्विक ऊर्जा बाजार को स्थिर करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए, जिसमें रूसी तेल खरीदना शामिल है। संयोगवश, हम अमेरिका से भी तेल खरीदते हैं और उस मात्रा में वृद्धि हुई है। इसलिए, हम इस तर्क की तर्कसंगति पर बहुत हैरान हैं।'

अमेरिकी टैरिफ का असर

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जुलाई 2025 में भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जिसे अगस्त में बढ़ाकर 50% कर दिया गया। यह टैरिफ भारत के कपड़ा, समुद्री उत्पादों और चमड़ा निर्यात जैसे क्षेत्रों को कठिनाई में डाल सकता है। भारतीय सरकार ने इन टैरिफ को गलत और अन्यायपूर्ण करार दिया है।

ट्रंप ने दावा किया कि भारत रूस का सबसे बड़ा या दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार है और इन टैरिफ का उद्देश्य रूस पर दबाव डालना है ताकि वह यूक्रेन युद्ध को ख़त्म करे। हालाँकि, जयशंकर ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि भारत का रूसी तेल खरीदना राष्ट्रीय हित में है और यह वैश्विक ऊर्जा बाजार को स्थिर करने के लिए किया गया।

रूस के प्रथम उप-प्रधानमंत्री डेनिस मंतुरोव ने भी भारत को तेल और अन्य ऊर्जा आपूर्ति जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई। रूसी दूतावास के अधिकारी रोमन बबुश्किन ने कहा, 'यदि भारतीय सामान अमेरिकी बाजार में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, तो रूसी बाजार भारतीय निर्यात का स्वागत करता है।' उन्होंने टैरिफ को ग़लत और दोहरे मापदंड वाला करार दिया।

जयशंकर ने मॉस्को में भारत-रूस संबंधों को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे स्थिर प्रमुख संबंधों में से एक बताया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच रक्षा और सैन्य तकनीकी सहयोग मजबूत है और रूस भारत के 'मेक इन इंडिया' लक्ष्यों का समर्थन करता है, जिसमें साझा उत्पादन और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण शामिल है।

विदेश मंत्री ने भारत-रूस व्यापार असंतुलन को कम करने की ज़रूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, 'हमने भारत के निर्यात को रूस में बढ़ाने और गैर-टैरिफ बाधाओं और नियामक बाधाओं को जल्दी से हटाने की साझा महत्वाकांक्षा की पुष्टि की। कृषि, फार्मा और कपड़ा जैसे क्षेत्रों में भारत के निर्यात को बढ़ाने से असंतुलन को ठीक करने में मदद मिलेगी।'

जयशंकर ने रूसी सेना में सेवा दे रहे भारतीयों का मुद्दा भी उठाया और कहा कि कई लोगों को रिहा कर दिया गया है, लेकिन कुछ मामले अभी लंबित हैं। उन्होंने रूस से इन मामलों को शीघ्र हल करने का आग्रह किया।

टैरिफ़ का असर

अमेरिकी टैरिफ़ का असर न केवल भारत पर बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है। रूस दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है, और भारत और चीन इसके सबसे बड़े खरीदारों में से हैं। यदि भारत रूसी तेल खरीदना बंद करता है, तो स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत का कच्चा तेल आयात बिल इस वित्तीय वर्ष में 9 बिलियन अमेरिकी डॉलर और अगले वर्ष में 12 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ सकता है।

चीन और यूरोपीय संघ ने भी अमेरिकी टैरिफ की आलोचना की है। चीन के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ये टैरिफ वैश्विक आर्थिक स्थिरता को कमजोर कर सकते हैं और आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित कर सकते हैं।
जयशंकर की मॉस्को यात्रा और उनकी टिप्पणियां भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को दिखाती हैं। भारत ने हमेशा बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था का समर्थन किया है, जहां देश अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर स्वतंत्र निर्णय लेते हैं। हालांकि, अमेरिकी टैरिफ और भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता पर इसका प्रभाव भारत के लिए एक उलझी हुई स्थिति पैदा कर सकता है।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के इस वर्ष के अंत में भारत दौरे की तैयारी चल रही है, और जयशंकर की यह यात्रा उसकी आधारशिला रखने का काम करेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को रूसी तेल खरीद और अमेरिकी टैरिफ के बीच संतुलन बनाना होगा, ताकि उसकी आर्थिक और कूटनीतिक स्थिति मजबूत रहे।