शिक्षा मंत्रालय ने जेएनयू कुलपति शांतिश्री धूलिपुडी पंडित को गुजरात में आयोजित केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन में अनुपस्थित रहने के लिए नोटिस जारी किया है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार मंत्रालय ने इस अनुपस्थिति को गंभीरता से लेते हुए इसका कारण पूछा है। रिपोर्ट है कि पंडित इसी दौरान जेएनयू में उस कार्यक्रम में शामिल थीं, जिसका उद्घाटन तत्कालीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किया था।

शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा इस सप्ताह जेएनयू कुलपति को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि शांतिश्री धूलिपुडी पंडित ने 10-11 जुलाई को गुजरात के केवडिया में आयोजित दो दिवसीय केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सम्मेलन में हिस्सा नहीं लिया। इस सम्मेलन में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी के अधिकारियों, अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और शिक्षाविदों ने भाग लिया था। अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार पत्र में कहा गया कि पंडित को इस सम्मेलन के लिए पहले से औपचारिक रूप से आमंत्रित किया गया था, लेकिन उन्होंने बिना किसी औपचारिक अनुमति के दोनों दिनों में हिस्सा नहीं लिया। मंत्रालय ने इसे गंभीर मानते हुए कहा कि उनकी अनुपस्थिति के कारण विभिन्न विषयों पर होने वाली चर्चाओं में उनकी महत्वपूर्ण राय और योगदान की कमी खली।
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जेएनयू का समानांतर आयोजन

उसी समय 10-12 जुलाई को जेएनयू ने अपने परिसर में भारतीय ज्ञान प्रणाली पर एक तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया था। इसका उद्घाटन पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किया था। धनखड़ ने 21 जुलाई को चौंकाने वाले अंदाज़ में भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपने इस्तीफे का कारण स्वास्थ्य समस्याओं को बताया है। यह इस्तीफ़ा संसद के मानसून सत्र के पहले दिन हुआ जो पहले से ही विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच तीखी बहस के लिए चर्चा में था। उनके इस्तीफ़े को लेकर सरकार और धनखड़ के बीच सबकुछ ठीक नहीं होने की बात कही जा रही है।

माना जा रहा है कि कुलपति ने अपने परिसर में हुए आयोजन को प्राथमिकता दी, जिसके कारण वह मंत्रालय के सम्मेलन में शामिल नहीं हो सकीं। रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दोनों आयोजन महत्वपूर्ण थे और कुलपति को दोनों में भाग लेना चाहिए था। अधिकारी ने कहा, 'उनकी उपस्थिति से अन्य लोग लाभान्वित हो सकते थे। जब लोग एक साथ आते हैं तो विचारों का आदान-प्रदान होता है। इतना खर्च और समय लगाकर आयोजित इस सम्मेलन में उनकी अनुपस्थिति निराशाजनक थी।'

मंत्रालय की प्रतिक्रिया

मंत्रालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए केवल जेएनयू कुलपति को ही इस तरह का पत्र भेजा, क्योंकि वह इस सम्मेलन में अनुपस्थित रहने वाली एकमात्र संस्थान प्रमुख थीं। अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार उच्च शिक्षा सचिव विनीत जोशी ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। वहीं, जेएनयू कुलपति और विश्वविद्यालय के मीडिया संबंध अधिकारी ने 'द इंडियन एक्सप्रेस' के कॉल, संदेश और ईमेल का जवाब नहीं दिया।
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'JNU VC को नोटिस असामान्य क़दम'

इस खबर के सामने आने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस मुद्दे को लेकर कई प्रतिक्रियाएँ आईं। कई यूजरों ने इस घटना को असामान्य बताया। एक यूजर ने लिखा, 'शिक्षा मंत्रालय ने जेएनयू वी-सी से गुजरात में आयोजित कुलपतियों के सम्मेलन में अनुपस्थिति का स्पष्टीकरण मांगा है, इसे गंभीरता से लिया जा रहा है।' एक अन्य पोस्ट में कहा गया, 'यह एक असामान्य कदम है, मंत्रालय ने जेएनयू वी-सी की अनुपस्थिति को गंभीरता से लिया है।'

जेएनयू की पहली महिला कुलपति

शांतिश्री धूलिपुडी पंडित जेएनयू की पहली महिला कुलपति हैं, जिन्होंने फरवरी 2022 में 13वें कुलपति के रूप में कार्यभार संभाला था। वह स्वयं जेएनयू की पूर्व छात्रा हैं और विश्वविद्यालय को भारत का नंबर एक संस्थान मानती हैं। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था, 'जेएनयू डी-फाइव का प्रतीक है: डेमोक्रेसी, डेवलपमेंट, डाइवर्सिटी, डिसेंट और डिफरेंस।' हालाँकि, उनकी अनुपस्थिति का यह मुद्दा विश्वविद्यालय और मंत्रालय के बीच संबंधों में एक नया तनाव पैदा कर सकता है।
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शिक्षा मंत्रालय का यह कदम यह दिखाता है कि वह केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से सक्रिय भागीदारी और जवाबदेही की अपेक्षा करता है। जेएनयू जैसे प्रमुख संस्थान की कुलपति से इस तरह की अनुपस्थिति को मंत्रालय ने गंभीरता से लिया है, जो भविष्य में विश्वविद्यालय प्रशासन और केंद्र सरकार के बीच संबंध को प्रभावित कर सकता है। इस मामले में जेएनयू कुलपति की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है और यह देखना बाक़ी है कि वह मंत्रालय के इस नोटिस का जवाब कैसे देती हैं।