कर्नाटक के आलंद विधानसभा क्षेत्र में 2023 के विधानसभा चुनावों के दौरान मतदाता सूची से नाम हटाने के कथित घोटाले की जांच तेज हो गई है। राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) ने स्पष्ट किया है कि भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) ने जांच के लिए सभी उपलब्ध डेटा पुलिस को सौंप दिया है। हालांकि, सीआईडी का कहना है कि जांच को आगे बढ़ाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण तकनीकी जानकारी अभी भी नहीं मिली है। राहुल गांधी के सबूत देने के बाद चुनाव आयोग और मोदी सरकार में हलचल मची हुई है। चुनाव आयोग मान रहा है कि आलंद में कुछ गड़बड़ी हुई है।

6018 नाम हटाने के आवेदन चुनाव अधिकारी को मिले थे

यह मामला दिसंबर 2022 से जुड़ा है, जब आलंद के निर्वाचन अधिकारी को 6,018 फॉर्म 7 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें मतदाताओं के नाम हटाने की मांग की गई थी। ये आवेदन एनवीएसपी, वीएचए और गारुड़ा जैसे ऐप्स के माध्यम से ऑनलाइन जमा किए गए थे। असामान्य रूप से बड़ी संख्या को देखते हुए सभी आवेदनों की जांच की गई। निर्वाचन रिटर्निंग ऑफिसर (ईआरओ), असिस्टेंट ईआरओ और बूथ लेवल ऑफिसरों द्वारा सत्यापन के बाद केवल 24 आवेदन वैध पाए गए, जबकि 5,994 आवेदनों को अस्वीकार कर दिया गया और नाम हटाने की कोई कार्रवाई नहीं की गई।

आलंद के 256 बूथों से 6670 वोटरों के नाम डिलीट कर दिए गए 

पूर्व विधायक बी.आर. पाटिल की शिकायत पर 21 फरवरी 2023 को आलंद पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई थी। पाटिल ने आरोप लगाया था कि आलंद विधानसभा क्षेत्र के 256 बूथों से 6,670 वोट अवैध रूप से हटा दिए गए थे। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे को उठाते हुए ईसीआई पर जांच में बाधा डालने का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया कि आयोग जांच एजेंसी को महत्वपूर्ण तकनीकी डेटा साझा करने से इनकार कर रहा है।
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आरोपों पर ईसीआई के जवाब के बाद राहुल का फिर हमला  

राहुल गांधी ने गुरुवार को जब आलंद मामले के सबूत मीडिया के सामने पेश किए तो फौरन ही चुनाव आयोग ने आरोपों को खारिज कर दिया। उसके बाद राहुल गांधी ने फिर हमला किया। कांग्रेस नेता ने एक्स पर लिखा, "हमारे आलंद से उम्मीदवार द्वारा धोखाधड़ी का पर्दाफ़ाश करने के बाद, स्थानीय चुनाव आयोग अधिकारी ने एक एफ़आईआर दर्ज की, लेकिन सीआईडी ​​जाँच को मुख्य चुनाव आयुक्त ने रोक दिया। कर्नाटक सीआईडी ​​ने 18 महीनों में 18 पत्र लिखकर सभी सबूत मांगे हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रोक दिया। कर्नाटक चुनाव आयोग ने जाँच का पालन करने के लिए चुनाव आयोग को कई अनुरोध भेजे हैं। उसे भी मुख्य चुनाव आयुक्त ने रोक दिया।" राहुल के इस ट्वीट के बाद कर्नाटक के सीईओ ने प्रेस रिलीज जारी करके दावे किए।

राहुल गांधी ने कहा- "डेस्टिनेशन आईपी, डिवाइस पोर्ट और ओटीपी ट्रेल्स की जानकारी रोक दी गई है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने ब्लॉक कर दी है। अगर यह वोट चोरी पकड़ी नहीं जाती और 6,018 वोट हटा दिए गए होते, तो हमारा उम्मीदवार चुनाव हार सकता था। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार बहाने बनाना बंद करें। कर्नाटक सीआईडी ​​को सबूत तुरंत जारी करें।"

सीईओ का दावा- 6 सितंबर को सभी डेटा सौंप दिया था

राहुल के ट्वीट के बाद कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने 18 सितंबर 2025 को जारी प्रेस रिलीज़ में कहा, "ईसीआई के निर्देशानुसार, 6 सितंबर 2023 को कलबुर्गी जिले के पुलिस अधीक्षक को सभी उपलब्ध जानकारी सौंप दी गई थी।" इसमें आपत्तिकर्ता का फॉर्म संदर्भ नंबर, नाम, ईपीआईसी नंबर, लॉगिन और प्रोसेसिंग के लिए इस्तेमाल किए गए मोबाइल नंबर, सॉफ्टवेयर ऐप माध्यम, आईपी एड्रेस, आवेदन स्थान, फॉर्म जमा करने की तारीख और समय तथा यूजर निर्माण की तारीख जैसी विस्तृत जानकारी शामिल है।
सीईओ ने आगे कहा, "जानकारी देने के बाद, मुख्य निर्वाचन अधिकारी, कर्नाटक ने जांच अधिकारी और पुलिस के साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों के साथ बैठकें कीं ताकि जांच की प्रगति की समीक्षा की जा सके। सीईओ, कर्नाटक पहले से ही जांच एजेंसी को हर संभव सहायता/जानकारी/दस्तावेज प्रदान कर रहे हैं।"

डेस्टिनेशन आईपी और डेस्टिनेशन पोर्ट की सूचना कहां है

हालांकि, सीआईडी सूत्रों के अनुसार, जांच आगे बढ़ाने के लिए 'डेस्टिनेशन आईपी और डेस्टिनेशन पोर्ट्स' की जानकारी ज़रूरी है, जो फर्जी फॉर्म 7 आवेदनों के सत्रों के माध्यम से डिवाइसों की लोकेशन तय करने और अपराधियों की पहचान करने में मदद करेगी। सितंबर 2023 के बाद सीआईडी ने इस संबंध में 18 पत्र लिखे हैं, लेकिन सीईओ की हालिया विज्ञप्ति में इन अनुरोधों का कोई जिक्र नहीं है। सीआईडी के पत्रों में कहा गया है, "जांच के दौरान आईपी लॉग प्रदान किए गए हैं। लेकिन डेस्टिनेशन आईपी और डेस्टिनेशन पोर्ट गायब हैं। इसलिए, संबंधित पक्ष को निर्देश देने का अनुरोध है कि इन्हें दिया जाए।"
ईसीआई की ओर से इन अनुरोधों पर अब तक कोई जवाब नहीं आया है। सीआईडी के एक अधिकारी ने बताया कि ईसीआई द्वारा प्रदान किए गए आईपी एड्रेस डायनामिक हैं, जिससे लोकेशन का पता लगाना मुश्किल हो जाता है, जबकि डेस्टिनेशन पोर्ट्स और आईपी यूनीक होते हैं और जांच के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
यह विवाद आलंद विधानसभा क्षेत्र में चुनावी धांधली के गंभीर आरोपों को बताता है, जहां कांग्रेस के बी.आर. पाटिल ने भाजपा पर वोट चोरी का आरोप लगाया था। जांच अभी जारी है, और तकनीकी डेटा के अभाव में जांच धीमी बनी हुई है। निर्वाचन आयोग और पुलिस के बीच तालमेल से ही इस मामले का समाधान संभव है, ताकि भविष्य के चुनावों में पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।