अब न्यायपालिका भी यह मानने लगी है कि नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ चले आन्दोलन को कुचलने में पुलिस ने ज़्यादतियाँ कीं, ख़ुद हिंसा की और निर्दोष लोगों को जानबूझ कर फँसाया, यहाँ तक कि पुलिस की गोलीबारी में मरे लोगों पर मुकदमे थोप दिए।