डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया खेमों में तनातनी को अब हाईकमान ने भी क्यों माना? कर्नाटक में जारी राजनीतिक संकट पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और वह स्वयं मिलकर स्थिति को संभाल लेंगे।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को कर्नाटक का वह खुला राज़ स्वीकार कर लिया है जो पिछले कई दिनों से पूरे देश के सामने था। कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच खींचतान अब पार्टी के लिए गले की हड्डी बन चुकी है। खड़गे ने साफ़ कहा, 'सोनिया जी, राहुल जी और मैं तीनों मिलकर इसे ठीक कर देंगे… बहुत जल्दी।' यह बयान ऐसे समय में आया है जब सूत्रों के हवाले से रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि 1 दिसंबर यानी संसद के शीतकालीन सत्र शुरू होने से ठीक पहले तक इस मामले का अंतिम हल निकल आएगा।
कर्नाटक में यह घमासान तब तेज हुआ है जब सिद्धारमैया सरकार के ढाई साल पूरे हुए हैं। कहा जा रहा है कि सरकार गठन के दौरान भी सीएम पद को लेकर बनी तनातनी के बाद ढाई साल का फॉर्मूला तय हुआ था। ऐसी चर्चा है कि 2023 में कांग्रेस की अप्रत्याशित जीत के बाद यह तय हुआ था कि मुख्यमंत्री पद को ढाई-ढाई साल के लिए बाँटा जाएगा। हालाँकि, आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं की गई। लेकिन ढाई साल पूरा हो चुका है और तभी से डीके शिवकुमार खेमे के विधायक दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं और बार-बार कथित 'गुप्त समझौते' की याद दिला रहे हैं।
क्या है 'गुप्त समझौते' का राज?
उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने एक दिन पहले ही अपने गृह क्षेत्र कनकपुरा में मीडिया से बातचीत में पहली बार स्वीकार किया कि मुख्यमंत्री पद को लेकर 'पांच-छह कांग्रेसी नेताओं के बीच एक गुप्त समझौता' हुआ था, लेकिन उन्होंने इसे सार्वजनिक करने से साफ़ इनकार कर दिया क्योंकि इससे पार्टी कमजोर या शर्मसार होगी।
शिवकुमार ने कहा, 'मैंने कभी मुख्यमंत्री बनाओ-बनाओ नहीं कहा। पांच-छह लोगों के बीच एक गुप्त समझौता है। मैं इसे सार्वजनिक रूप से नहीं बोलना चाहता क्योंकि इससे पार्टी को शर्मिंदगी होगी और कमजोर पड़ेगी। मैं अपने अंतर्मन की सुनता हूं। पार्टी है तो हम हैं, कार्यकर्ता हैं तो हम हैं।'उपमुख्यमंत्री ने दिल्ली पहुँचे अपने समर्थक विधायकों से भी पल्ला झाड़ लिया और कहा कि वे मंत्रिमंडल फेरबदल के लिए पहुँचे हैं, मुख्यमंत्री बदलने के लिए नहीं। पार्टी में गुटबाज़ी की ख़बरों को ख़ारिज करते हुए उन्होंने बुधवार को कहा,
कोई कन्फ्यूजन नहीं है। किसी को कुछ भी मांगना नहीं चाहिए। कोई ग्रुप नहीं है। सिर्फ एक ग्रुप है- कांग्रेस ग्रुप। हमारा ग्रुप 140 एमएलए का है। डीके शिवकुमार
उपमुख्यमंत्री, कर्नाटक
डीके शिवकुमार समर्थक विधायक इकबाल हुसैन ने एनडीटीवी से कहा, 'डीके शिवकुमार बहुत जल्दी मुख्यमंत्री बनेंगे।' इकबाल हुसैन वही विधायक हैं जो जून में भी यही बात कह चुके हैं कि उनके पास 100 से ज्यादा विधायक डीके के साथ खड़े हैं।
सिद्धारमैया का यू-टर्न
मंगलवार शाम तक सिद्धारमैया यही कह रहे थे कि मेरी ताक़त घटी नहीं, बढ़ी है। लेकिन बुधवार को उनका लहजा पूरी तरह बदल गया। उन्होंने कहा, 'विधायक दिल्ली जाएँ, कोई समस्या नहीं। उनकी राय क्या है देखते हैं। आखिरी फैसला हाईकमान का है। इस भ्रम को खत्म करने के लिए हाईकमान को फैसला करना होगा।'एक हफ्ते में कांग्रेस का पूरा यू-टर्न
गत सप्ताह तक पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला एक्स पर लिख रहे थे कि सब कुछ ठीक है, बीजेपी की साजिश है। बुधवार को खुद पार्टी अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिया कि मामला गंभीर है और सोनिया-राहुल-खड़गे को मिलकर सुलझाना पड़ेगा। यह कांग्रेस के तीन बड़े नेताओं का खुला ऐलान है कि कर्नाटक में अब स्थिति ठीक नहीं है।
जी परमेश्वर का दलित कार्ड
इस बीच सीएम पद को लेकर इस दो तरफा लड़ाई में तीसरा कोण भी उभरता दिख रहा है। सिद्धारमैया खेमे के माने जाने वाले गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने सोमवार को कहा था, 'दलित समाज लंबे समय से मुख्यमंत्री पद मांग रहा है… मैं हमेशा रेस में रहा हूं।'
तो अब दिसंबर का पहला सप्ताह आते-आते यह साफ़ हो जाएगा कि कर्नाटक का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा- सिद्धारमैया, डीके शिवकुमार या कोई तीसरा सरप्राइज़।