सोनम वांगचुक
पर्यावरणविद और एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने कहा कि लद्दाख में बुधवार को हुई हिंसा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के 2020 में किए गए वादों से पलटने और युवाओं में वर्षों से जारी बेरोजगारी के कारण भड़की। इंडिया टुडे टीवी से बात करते हुए वांगचुक ने इसे अपने जीवन के “सबसे दुखद दिनों में से एक” बताया। यह बयान उन्होंने तब दिया जब विरोध प्रदर्शन आगजनी और सुरक्षा बलों के साथ झड़पों में बदल गए।
वांगचुक ने कहा कि यह अशांति लद्दाख को राज्य का दर्जा नहीं देने और छठी अनुसूची में शामिल न करने के मुद्दे पर युवाओं का “स्वाभाविक विस्फोट” है।
लेह की हिंसा में कम से कम चार लोगों की मौत हो गई और 70 से अधिक घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों ने लेह में भाजपा कार्यालय और सीआरपीएफ की गाड़ी को आग लगा दी। पुलिस ने बताया कि 30 से अधिक सुरक्षाकर्मी घायल हुए क्योंकि भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे गए और फायरिंग करनी पड़ी। बाद में लद्दाख की राजधानी में कर्फ्यू लगा दिया गया।
वांगचुक ने कहा- “इससे युवाओं का खून खौल गया। साथ ही सरकार ने बातचीत के लिए जो तारीख दी थी वह अनावश्यक रूप से 16 दिन बाद की है, इससे लोग बहुत नाराज़ थे। यह गुस्सा अंदर ही अंदर सुलग रहा था।”
उन्होंने इसे वर्षों से अनसुनी की जा रही मांगों से जोड़ा। उन्होंने कहा, “पिछले पांच साल से वे बेरोजगार हैं, खासकर उच्चस्तर की नौकरियां लगभग नहीं हैं और लोकतंत्र को सीमित कर दिया गया है। उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं।” सोनम ने बीजेपी के इस आरोप को खारिज किया कि विरोध प्रदर्शन राजनीतिक दलों द्वारा आयोजित थे। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि “पूरी तरह से गैर-राजनीतिक।” उन्होंने बताया कि शीर्ष नेतृत्व ने कांग्रेस प्रतिनिधियों से भी दूर रहने को कहा ताकि राजनीतिकरण का कोई आभास न हो।
वांगचुक ने कहा- “मैं कांग्रेस को जानता हूं, वे इतने सक्षम नहीं हैं कि उनका कोई एक नेता 5,000 लोगों को बुला सके। यह उनके प्रभाव को बहुत ज्यादा श्रेय देना होगा।” बता दें कि बीजेपी यह साबित करने की कोशिश कर रही है कि लद्दाख के युवकों के आंदोलन के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है। बुधवार की हिंसा को लेकर भी बीजेपी ने कांग्रेस पर आरोप लगाए हैं।
जब सोनम वांगचुक से पूछा गया कि भाजपा कार्यालय और पुलिस वाहनों को ही क्यों निशाना बनाया गया, वांगचुक ने कहा कि लद्दाख में कई लोग सत्तारूढ़ दल से नाराज़ हैं क्योंकि उसने छठी अनुसूची के वादे पर “यू-टर्न” ले लिया है। वांगचुक ने कहा- “2020 में उनके घोषणापत्र में पहला बिंदु था कि लद्दाख को छठी अनुसूची में लिया जाएगा। लेकिन उन्होंने पूरी तरह यू-टर्न ले लिया।”
उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं ने हजारों नौकरियों के वादे किए थे जो कभी पूरे नहीं हुए। “तो उनके खिलाफ यह गुस्सा अंदर ही अंदर जमा हुआ था।” केंद्र शासित प्रदेशों में बेरोजगारी में लद्दाख दूसरे नंबर पर है। वांगचुक ने माना कि कई युवा उनकी गांधीवादी पद्धति से धैर्य खो चुके थे। “वे मुझे ताना देते थे कि मैं शांतिपूर्ण अनशन के रास्ते पर क्यों हूं। तो यह पहले से ही बन रहा था।” उन्होंने बुधवार को “शांति के हित में” अपना उपवास खत्म कर दिया।
उन्होंने बाहरी ताकतों से फंडिंग मिलने के आरोपों को भी सिरे से खारिज किया और कहा कि यह हाल के महीनों में उन्हें परेशान करने का हिस्सा है, जिसमें उनके स्कूल की सीबीआई जांच भी शामिल है। वांगचुक ने कहा- “केंद्र शासित प्रदेश में खुलेआम इतने भ्रष्टाचार के मामले हैं, लेकिन जांच हमारे ऊपर हो रही है।”
वांगचुक ने कहा कि वे अहिंसा का मार्ग कभी नहीं छोड़ेंगे। “शायद सरकार इसे गंभीरता से ले और हमें दोबारा अनशन न करना पड़े। लेकिन हां, मैं केवल और हमेशा शांतिपूर्ण मार्ग ही चुनूंगा... न सिर्फ जब तक यह हल हो, बल्कि अपनी मृत्यु तक।”
बयान में कहा गया कि हमलों में 30 से अधिक पुलिस और सीआरपीएफ कर्मी घायल हुए, जिससे सुरक्षा बलों को “आत्मरक्षा” में फायरिंग करनी पड़ी। सरकार ने आरोप लगाया कि “राजनीतिक रूप से प्रेरित लोग” उच्च स्तरीय समिति (एचपीसी) के साथ चल रही बातचीत को पटरी से उतारने की कोशिश कर रहे हैं।
केंद्र ने यह भी बताया कि उसने कई कदम उठाए हैं, जिनमें लद्दाख में अनुसूचित जनजाति का आरक्षण 45% से बढ़ाकर 84% करना, परिषदों में महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण देना, भोटी और पुर्गी भाषाओं को आधिकारिक भाषा का दर्जा देना और 1,800 सरकारी पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू करना शामिल है। एचपीसी की अगली बैठक 6 अक्टूबर को होगी।