सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच के कथित करप्शन का एक और मामला मंगलवार को सामने आया है। कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया है कि महिंद्रा एंड महिंद्रा, आईसीआईसीआई, डॉ रेड्डीज, पिडिलाइट, सेम्बकॉर्प और विसु लीजिंग एंड फाइनेंस ने एगोरा एडवाइजरी से कंसलटेंसी सेवाओं का लाभ उठाया है। उस समय माधबी पुरी बुच भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की पूर्णकालिक निदेशक थीं। महिंद्रा समहू ने आरोपों को गलत बताया लेकिन कोई सबूत नहीं दिया।
एआईसीसी के मीडिया और प्रचार विभाग के अध्यक्ष, पवन खेड़ा ने कहा कि जब बुच सेबी की पूर्णकालिक निदेशक थीं, तब एगोरा की सेवाओं का लाभ उठाना "हितों का टकराव" था और सदस्यों के हितों के टकराव पर सेबी बोर्ड संहिता 2008 की धारा 5 का उल्लंघन है।"
पवन खेड़ा ने सबूतों के साथ बताया कि बुच के पास कंपनी के 99 प्रतिशत शेयर थे, जैसा कि हिंडनबर्ग रिसर्च ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में भी शुरू में खुलासा किया था। लेकिन तब बुच ने उसका जबरदस्त खंडन करते हुए कहा था कि जब उन्होंने सेबी में अपनी नियुक्ति ली तो उनके द्वारा स्थापित परामर्श कंपनियाँ सिंगापुर और भारत में फौरन निष्क्रिय हो गईं। कांग्रेस ने दस्तावेजों के साथ आरोप लगाया कि बुच के पास अभी भी एगोरा कंपनी का 99 प्रतिशत हिस्सा है जो सक्रिय रूप से सलाहकार और परामर्श सेवाएं प्रदान कर रहा है।
उन्होंने कहा- “2016-17, 2019-2020 से लेकर 2023-24 तक, सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में और बाद में इसके अध्यक्ष के रूप में, माधबी पुरी बुच को एगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से कुल 2.95 करोड़ रुपये मिले। यानी अभी जब वो सेबी चेयरपर्सन हैं, तब भी उनको अपनी फर्म से पैसे मिल रहे हैं। कांग्रेस ने अपने ताजा आरोपों में कहा कि एगोरा को कंसल्टेंसी के लिए मिले 2.95 करोड़ रुपये में से 2.59 करोड़ रुपये महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप से आए, जो 88 फीसदी है। जाहिर सी बात है कि महिंद्रा समूह ने इसके बदले सेबी में प्रोटक्शन हासिल किया होगा। हालांकि महिंद्रा ने आरोपों को गलत बताया लेकिन यह नहीं कहा कि उनके समूह ने एगोरा की कंसलटेंसी ली है या नहीं।
धवल बुच, सेबी चीफ माधबी के पति
कांग्रेस ने कहा कि माधबी पुरी बुच के पति धवल बुच को भी महिंद्रा एंड महिंद्रा से व्यक्तिगत क्षमता में आय के रूप में 4.78 करोड़ रुपये मिले, जो एगोरा को मिले 2.95 करोड़ रुपये से अधिक है। इसमें बताया गया कि धवल बुच की आय उस समय प्राप्त हुई जब माधबी पुरी बुच सेबी की पूर्णकालिक निदेशक थीं, और सेबी में महिंद्रा के मामलों का फैसला कर रही थीं। महिंद्रा समूह ने आरोपों का खंडन करते हुए स्वीकार किया कि धवल बुच यूनिलीवर से रिटायर हुए थे। विशेषज्ञ होने के नाते 2019 में उन्हें नियुक्त किया गया था। फिर महिंद्रा ने लंबी चौड़ी कहानी बताई है कि धवल बुच को उसने कहां-कहां रखा और क्या-क्या काम लिया। लेकिन महिंद्रा इस आरोप को नहीं झुठला सकी कि धवल बुच सेबी चीफ के पति हैं। उनकी कंपनी एगोरा को करोड़ों रुपये कंसलटेंसी के नाम पर मिले हैं।
कांग्रेस का पीएम मोदी से सवालकांग्रेस ने मंगलवार को इस मुद्दे पर पीएम मोदी से भी सवाल किये। यह बताना जरूरी है कि मोदी दावा करते रहे हैं कि वे भ्रष्टाचार को जड़ से मिटा देंगे। न वो खुद खाते हैं और न किसी को खाने देंगे। लेकिन जिस तरह से अडानी से जुड़े मामले सामने आये हैं, पीएम मोदी के दावों की गंभीरता खत्म हो गई। पार्टी ने सवाल किया कि क्या प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को पता है कि बुच के पास एगोरा की 99 प्रतिशत हिस्सेदारी है, और सूचीबद्ध संस्थाओं से "महत्वपूर्ण फीस" प्राप्त कर रहे हैं। इसने सवाल उठाया कि एगोरा किस प्रकार की सेवाएँ प्रदान करता है और क्या यह वित्तीय प्रकृति की हैं। कांग्रेस ने पूछा कि क्या प्रधान मंत्री को माधबी पुरी बुच के एक विवादित इकाई से संबंधों के बारे में पता था, और उनके पति को उनकी रिटायरमेंट के बाद महिंद्रा से पर्याप्त आय प्राप्त हो रही है।
भारत के लोगों ने आजतक सेबी को विवाद में नहीं पाया। लेकिन सारा विवाद तब शुरू हुआ जब अडानी समूह की वित्तीय अनियमितताओं को लेकर हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट आई। अडानी समूह ने आरोपों का खंडन किया। लेकिन हिंडनबर्ग ने बताया कि किस तरह अडानी समूह को सरकारी संस्था सेबी का संरक्षण मिला हुआ है। इतना ही नहीं सेबी प्रमुख माधबी और उनके पति धवल बुच ने अडानी की कंपनियों में निवेश कर रखा है। हिंडनबर्ग और देश की विपक्षी पार्टियों ने कहा कि ये हितों के टकराव का सीधा मामला है। बाद में यह भी पता चला कि माधबी पुरी बुच को लैटरल एंट्री के जरिए सेबी में लाया गया। पहली बार सेबी के नियम को तोड़ दिया गया। फिर यह भी साफ हो गया कि अडानी समूह का सेबी में सीधा हस्तक्षेप कैसे है। विपक्ष का आरोप है कि माधबी की नियुक्ति ही अडानी समूह ने सेबी में करायी थी।
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