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टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा

महुआ ने कहा- 5 नवंबर से पहले नहीं पेश हो सकती...मुझे भी जिरह करने दो

तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा ने कैश-फॉर-क्वेरी विवाद में लोकसभा की आचार समिति के सामने पेश होने के लिए और समय मांगा है। एक्स (ट्विटर) पर उन्होंने एथिक्स पैनल को भेजा गया अपना पत्र पोस्ट किया। जिसमें उन्होंने कहा कि वो 4 नवंबर तक अपने लोकसभा क्षेत्र में व्यस्त हैं। 5 नवंबर से पहले वो कमेटी के सामने पेश नहीं हो सकतीं। साथ ही सांसद ने कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए "आरोपों की गंभीरता" और "प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों" के तहत उन्हें भी कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से "जिरह" करने की अनुमति दी जाए।
महुआ मोइत्रा ने लिखा है- "एथिक्स कमेटी के चेयरमैन ने मुझे शाम 7:20 पर ईमेल किया लेकिन उस आधिकारिक पत्र को भेजने से ठीक पहले लाइव टीवी पर मुझे 31 अक्टूबर को तलब किए जाने की घोषणा की। मामले से जुड़ी सभी शिकायतें और हलफनामे भी मीडिया को जारी किए गए। मैं अपने पूर्व-निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 4 नवंबर तक लोकसभा क्षेत्र में व्यस्त हूं। उसके बाद ही मैं अपना लोकसभा क्षेत्र छोड़कर पेश हो सकती हूं।
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उन्होंने पत्र में लिखा है कि 30 अक्टूबर से 4 नवंबर के बीच निर्धारित विजयादशमी बैठकों के कारण, वह 31 अक्टूबर को दिल्ली में नहीं रहेंगी। महुआ मोइत्रा ने बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी का उदाहरण भी दिया, जिन्हें बसपा सांसद दानिश अली के खिलाफ आपत्तिजनक शब्द बोलने के कारण लोकसभा की विशेषाधिकार समिति ने बुलाया था। समिति ने 10 अक्टूबर को बैठक की, लेकिन बाद में विधूड़ी के अनुरोध पर उन्हें बाद में उपस्थित होने की अनुमति दी गई।
टीएमसी सांसद ने लिखा है- बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी को भी एथिक्स कमेटी के सामने बुलाया जाना चाहिए, और उन्हें उन सभी कथित उपहारों और सामानों की "सत्यापित सूची" देनी चाहिए जो उन्होंने टीएमसी सांसद को देने का दावा किया है।
टीएमसी सांसद ने पत्र में कहा कि "मैं रिकॉर्ड पर रखना चाहती हूं कि हीरानंदानी के पेश हुए बिना कोई भी जांच अधूरी, अनुचित होगी और वो 'कंगारू कोर्ट' आयोजित करने की तरह होगी..."
महुआ का यह बयान उस रिपोर्ट के बाद आया है जिसमें कहा गया था कि रियल एस्टेट समूह हीरानंदानी ग्रुप के सीईओ दर्शन हीरानंदानी को कैश-फॉर-क्वेरी विवाद की जांच में एथिक्स पैनल द्वारा बुलाए जाने की संभावना नहीं है। यह भी बताया गया कि मोइत्रा के बयान के बाद, पैनल लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को मामले में अपनी कार्रवाई की सिफारिश करने के लिए कह सकता है।
सूत्रों का कहना है कि एथिक्स पैनल विदेश मंत्रालय (एमईए) को हीरानंदानी के 'हलफनामे' को प्रमाणित करने के लिए लिखेगा। उसके बाद यह एक कानूनी दस्तावेज बन जाएगा। उसक बाद इसे महुआ मोइत्रा के खिलाफ चल रहे कैश-फॉर-क्वेरी विवाद में इस बयान को जांच में शामिल किया जा सकेगा।
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अपने 'हलफनामे' में दर्शन हीरानंदानी ने दावा किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने के लिए मोइत्रा ने उन्हें अडानी समूह के बारे में सवाल उठाने के लिए अपनी संसद लॉगिन का पासवर्ड दिया था। टीएमसी सांसद ने दावे का खंडन करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने दर्शन हीरानंदानी को ऐसा लिखने के लिए मजबूर किया था।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने मोइत्रा पर संसद में सवाल पूछने के लिए रिश्वत लेने का आरोप लगाया। उन्होंने अपनी शिकायत का आधार सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई द्वारा लिखे गए पत्र को बनाया है, जिन्हें टीएमसी सांसद का पुराना साथी माना जाता है। देहाद्राई के पत्र में मोइत्रा और हीरानंदानी के बीच "रिश्वत के आदान-प्रदान के अकाट्य सबूत" का उल्लेख है। मोइत्रा ने अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों को क्रमशः "फर्जी डिग्री सांसद" से जोड़ते हुए खारिज कर दिया है। दरअसल, महुआ ने ही सबसे पहले यह आरोप लगाया था कि भाजपा सांसद निशिकांत दूबे की एमबीए डिग्री फर्जी है। उन्होंने सबूत भी पेश किए। इस कथित मामले में कोर्ट में भी सुनवाई हो चुकी है।

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क़मर वहीद नक़वी
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